Navrati 2023 : विदिशा में यूं तो देवी मां के अनेक मंदिर (Devi Mandir) हैं, हर मंदिर की अपनी एक अलग खासियत है. ऐसा ही एक खास स्थान देवी का बाग (Devi Ka Baag) के नाम से जाना जाता है, जहां पर खुले प्रांगण में देवी मां विराजमान हैं. ऐसा कहा जाता है कि नाना साहेब पेशवा (Nana Saheb Peshwa) ने यहां पर देवी की स्थापना की थी. ऐसी मान्यता है कि यहां लोगों की मुराद पूरी होती है.
इमली के नीचे विराजमान हैं माता
यहां गुलाब बाटिका के पास एक खेत में खुले आसमान में इमली के नीचे मैया विराजमान हैं. वैसे तो हर दिन ही इस स्थान पर श्रद्धालु दर्शन, पूजन करने पहुंचते हैं, लेकिन नवरात्र के दौरान श्रद्धालुओं की संख्या में इज़ाफा हो जाता है. नवरात्र के मौके पर यहां सुबह से ही भक्तों का तांता लगा रहता है, यहां हर कोई मां को प्रसन्न करने का प्रयास करता नजर आता है.शहर के अलावा माता के दर्शन करने यहां दूर दराज से भी लोग पहुंचते हैं. लोगों की मान्यता है यहां देवी के दरबार से कोई खाली हाथ नहीं जाता. वहीं मुरादें पूरी होने के बाद श्रद्धालु यहां पीतल का घंटा भेंट करते हैं.
सैनिकों के पूजन के लिए स्थापित की गई थी देवी प्रतिमा
ऐसा माना जाता है कि पानीपत के युद्ध के लिए जाते समय मराठा सेना नाना साहब पेशवा के नेतृत्व में पुणे से चलकर सीहोर होते हुए विदिशा पहुंची थी. तब बेतवा नदी के किनारे एक खुले मैदान में जिसे आज नाना का बाग कहते हैं, वहां छावनी बनाई गई थी. उनके साथ लगभग 50 हजार सैनिकों की फौज थी. करीब एक महीने तक यहां फौज ने अपना पड़ाव डाला था. इस छावनी का विस्तार वर्तमान देवी के बाग तक हो गया. नाना के बाग में सैनिकों के उपयोग के लिए एक बावड़ी का निर्माण किया गया था. वहीं सैनिकों के पूजन के लिए देवी प्रतिमा की स्थापना की गई थी.जिस जगह ये प्रतिमा प्रतिष्ठित की गई, वही स्थान बाद में देवी का बाग कहलाया.
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