
Mini Brazil of Madhya Pradesh: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने अमेरिकी पॉडकास्ट होस्ट लेक्स फ्रिडमैन से लम्बी बातचीत के दौरान मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के शहडोल (Shahdol) जिले का विचारपुर गांव का जिक्र किया. उन्होंने बताया की वहां के लोग चार पीढ़ियों से फुटबॉल खेल रहें हैं. वहां के लोगों में फुटबॉल के प्रति गहरा लगाव काबिले तारीफ है. प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिकी पॉडकास्टर के साथ शहडोल के विचारपुर गांव की चर्चा कर सुर्खियों में ला दिया है.
लिहाजा, इस गांव की जमीनी हकीकत पता करने के लिए हमारे सहयोगी विनय तिवारी विचारपुर गांव के फुटबॉल ग्राउंड पहुंचे और फुटबॉल खेल रहे खिलाड़ियों से बात की. इस दौरान यहां एक छोटे से बच्चे से लेकर युवा तक में फुटबॉल के प्रति गजब का लगाव देखने को मिला. वहीं, प्रधानमंत्री मोदी की ओर से विचारपुर और अपनी चर्चा को लेकर खिलाड़ियों में काफी उत्साह दिखा.
अभाव के बीच संवार रहे हैं भविष्य
हालांकि, स्थानीय सरकार और प्रशासन की अनदेखी की वजह से अब भी विचारपुर गांव में फुटबॉल खेलने वाले बच्चे बहुत सीमित संसाधन में फुटबॉल को किसी तरह जिंदा रखे हुए हैं, जिस ग्राउंड में खिलाड़ी फुटबाल खेलते हैं,वो भी बहुत खराब और ऊबड़खाबड़ है. फुटबॉल खेल रहे बच्चों ने कहा कि ग्राउंड घास का होना चाहिए , क्योंकि खेलते वक्त गिरने से चोट लग जाती है. ग्राउंड के चारों ओर बाउंड्रीवाल और लड़कियों के लिए ड्रेस चेंजिंग रूम तक भी नहीं है.
पीने के पानी की भी नहीं है व्यस्था
बच्चों को नहीं मिल पा रही है प्रोपर डाइट
फुटबॉल खिलाड़ियों को खेल का प्रशिक्षण दे रही कोच लक्ष्मी सहिश ने बताया कि वो खेलो इंडिया सेंटर की ओर से कोच हैं और दो सालों से बच्चों को फुटबॉल का प्रशिक्षण दे रही हैं. उन्होंने बताया वही गांव के अधिकांश बच्चे आदिवासी समाज के है, उन्हें भरपूर डाइट की भी बहुत आवश्यकता है. साथ ही बच्चों को किट, ड्रेस, जूते अभी स्थानीय कोल माइन्स, बच्चों के माता-पिता और गांव के ही सीनियर खिलाड़ियों की ओर से दी जा रही है. ग्राउंड भी अच्छा नहीं है, लड़कियों के लिए चेंज रूम तक नहीं है. ऐसे में यहां पीने के पानी जैसी सारी सुविधाएं होनी चाहिए.
युवक कल्याण विभाग के ब्लॉक कॉर्डिनेटर जताई असमर्थता
वहीं, इस बारे में खेल एवं युवक कल्याण विभाग के ब्लॉक कॉर्डिनेटर अजय सोंधिया ने बताया कि खेल एवं युवक कल्याण विभाग की ओर से शासन स्तर पर बच्चों को किट,ड्रेस और जूते उपलब्ध कराए जा रहे हैं. वहीं, ग्राउंड स्टेडियम के लिए विभाग की ओर से लगातार शासन में प्रस्ताव भेजकर पत्राचार किया जा रहा है. साथ ही खेलो इंडिया के तहत खेलो इंडिया और युवक कल्याण विभाग और साईं के द्वारा फुटबॉल का स्मॉल फीडर सेंटर खोला गया है, जिसमें एक कोच के जरिए खिलाड़ियों को प्रशिक्षण दिया जाता है. उन्होंने कहा कि स्टेडियम बनाने का जैसा बड़ा काम शासन स्तर से ही हो सकता है. हमारे पास तो इतना बजट नहीं होता है. लिहाजा, इस मांग को हम पूरा करने में असमर्थ हैं.
यह भी पढ़ें- MP में छात्रों की फीस से ऐसे भर रहा सरकारी खजाना, 'वन टाइम एग्जाम फीस' वाले वादे से इतनी दूरी क्यों ?
बाते दें कि साढ़े सात सौ आबादी वाले आदिवासी बाहुल्य विचारपुर गांव के लोग चार पीढ़ियों से फुटबॉल खेलते आ रहें हैं. यहां हर परिवार में एक खिलाड़ी आपको आसानी से मिल जाएंगे. इस विचारपुर गांव में लड़के ही नहीं, बल्कि लड़कियां भी फुटबॉल खेल में खासा रुचि रखती हैं. यही कारण हैं कि यहां से अब तक कई बच्चे राष्ट्रीय स्तर पर फुटबॉल खेल में हिस्सा ले चुके हैं, जिन्होंने अपने गांव, जिला व प्रदेश का नाम रोशन कर रहें हैं.