उमा भारती की PM से मांग- 33% आरक्षण में 50% हिस्सा OBC महिलाओं को मिले

मोदी सरकार ने विधायिका में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण का बिल लोकसभा में पेश कर दिया है लेकिन उनकी ही पार्टी की वरिष्ठ नेता उमा भारती ने मांग की है कि इसमें ओबीसी महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण दिया जाए...उन्होंने बकायदा PM मोदी को पत्र भी लिखा है.

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मोदी सरकार (Modi government)ने नारी शक्ति वंदन बिल मंगलवार को लोकसभा (Lok Sabha) में पेश कर दिया है.महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण वाले इस बिल को कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल (Arjunram Meghwal) ने इसे पेश किया तो कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (Congress and Aam Aadmi Party)ने भी इसका स्वागत किया लेकिन बीजेपी के अंदर से ही इसके खिलाफ आवाज उठने लगी है. पार्टी की वरिष्ट नेता उमा भारती ने मांग की है कि इस बिल में ओबीसी वर्ग की महिलाओं के लिए 50 फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया जाए. उमा भारती (Uma Bharti)ने इसके लिए बकायदा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi)को पत्र भी लिखा है.

उनका कहना है कि ऐसा न होने से पार्टी पर से पिछड़ों का भरोसा टूटेगा. उमा ने साफ किया है कि वे मध्यप्रदेश में भी शिवराज सरकार से यही मांग करेंगी. मध्यप्रदेश विधानसभा में महिलाओं के लिए 50 फीसदी आरक्षण होना चाहिए.

उमा ने कहा है कि आज हालात ऐसे हैं कि राष्ट्रवादी लोग बीजेपी के विरोध में दूसरी जगहों पर जा रहे हैं. पार्टी नेतृत्व को इस पर ध्यान देना होगा. 

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उमा भारती ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर ओबीसी महिलाओं के लिए 50 फीसदी आरक्षण की मांग की है.

मुलायम और लालू ने भी किया था मेरा समर्थन

उमा भारती ने पीएम को लिखे पत्र में कहा है कि जब साल 1996 में ये बिल तब के प्रधानमंत्री एच डी देवगौड़ा ने रखा था तभी मैंने इसमें ओबीसी के लिए संशोधन प्रस्तुत कर दिया था. उस समय आधे से ज्यादा सदन ने मेरा साथ दिया था. खुद देवगौड़ा जी ने इस संशोधन को स्वीकार किया और विधेयक को स्टैडिंग कमेटी के पास भेजा था. तब के हमारे नेता अटल बिहारी वाजपेयी ने भी मेरी बात को धैर्य के साथ सुना था.

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हमारे विरोधी होते हुए भी मुलायम सिंह यादव और लालू यादव ने भी मेरे प्रस्ताव का समर्थन किया था. मेरा विश्वास है कि विधायिका में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण मिलना ही चाहिए और इसमें 50 फीसदी हिस्सा एसटी, एससी एवं ओबीसी महिलाओं का होना चाहिए.

इसके साथ ही मंडल कमीशन के द्वारा चिह्नित मुस्लिम समुदाय की पिछड़ी जाति की महिलाओं को भी इसमें शामिल होना चाहिए. यदि इस विशेष प्रावधान के बगैर यह विधेयक पारित हो रहा है तो पिछड़े वर्गों की महिलाओं के साथ ये अन्नाय होगा. उमा ने दावा किया कि उनके इस प्रसताव की वजह से पिछड़ी जातियों में पार्टी का प्रभाव बढ़ा है. उमा ने कहा कि अब में संसद में नहीं हूँ लेकिन मुझे एवं देश के पिछड़े, दलित एवं आदिवासी वर्गों को भरोसा हैं की हमारी सरकार इस को समग्रता के साथ ही संसद में प्रस्तुत करेगी. 

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