MP News : पीएम आवास योजना में बड़ा फर्जीवाड़ा आया सामने, गरीबों के आशियानें हड़प कर वसूल रहे हैं किराया

Ujjian News: मध्य प्रदेश के उज्जैन में प्रधानमंत्री आवास दस्तावेजों के आधार पर गरीबों को ही आवंटित किए गए थे. लेकिन उन कथित गरीबों में से कितने लोग इन मकानों में रह रहे और अधिकारी किस तरह से अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं?  इसकी जब NDTV ने तहकीकात की तो जो सच सामने आया वह काफी चौंकाने वाला है. 

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Madhya Pradesh news : मध्य प्रदेश के उज्जैन में पीएम आवास योजना  में  कई चौंकाने वाले खुलासे हैं. यहां गरीबी रेखा के कार्ड से पीएम आवास लेकर उसे किराए पर देने का मामला सामने आया है. ये मामला नगर निगम (Municipal council) के संज्ञान में भी है, निगम ने ऐसे लोगों को नोटिस भेजने की बात तो कर रहा है, लेकिन  अब तक किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं हुई है. 

ये नाम आए सामने 

दरअसल  जिले के  कानी पुरा रोड़ पर गरीबों के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना मल्टी बनाई गई है.  यहां सुजलाम प्रधानमंत्री आवास गृह (Sujalam Prime Minister Residence House) में बने 152  मकान में से लाटरी सिस्टम से वर्ष 2022 में 149 लोगों को आवंटित किए गए थे. मकानों में लाभार्थी ही रह रहे की नहीं पता लगाने के लिए NDTV की टीम ने मौके पर पहुंचकर पड़ताल की. यहां पता चला कि एक दर्जन से अधिक लोग मकान किराए पर देकर अन्य स्थान या निजी मकान में रहने चले गए हैं. चौंकाने वाली जानकारी मिलने पर नगर निगम में पीएम आवास प्रभारी एक्जीक्यूटिव इंजीनियर पीसी यादव से बातचीत की गई तो उन्होंने माना कि जफर खान,जावेद खान, आशिक खान, परवीन अली, नुजहत बी, मो शकील, फातिमा कुरैशी, बहादुर सिंह परिहार, विजेंद्र धंधोरिया, श्रद्धा रघुवंशी, सुनिल ठाकुरवाल को मकान किराए से देने पर नोटिस दिए हैं. लेकिन यादव यह नहीं बता पाए कि मकान किराए से लेने ओर देने वालों पर कब और क्या कार्रवाई करेंगे?  

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खांचरोद में धंधा, यहां बन गए गरीब

नगर निगम के एक अधिकारी ने ऑफ दी रिकार्ड बताया कि कनीपुरा मल्टी में कृतिका गोड को ए ब्लॉक में 306 नंबर मकान आवंटित किया। उन्होंने इसे किराए पर दे दिया। वहीँ हितग्राही की जगह अन्य व्यक्ति मिला. आवंटी को कॉल किया. पता चला कि वह खांचरोद में व्यापार कर रहा है और यह मकान किराए से दे दिया. पीएम आवास की यह स्थिति देख सवाल खड़े होते हैं कि क्या असली गरीब और जरूरतमंदो को मकान आवंटित किए है. 

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नियमानुसार गरीबों को आवंटित ये मकान न तो किसी को बेचे जा सकते हैं और न ही किराए पर दिए जा सकते हैं. ऐसा करने पर आवंटन तुरंत निरस्त किया जाता है. 

इसकी देखरेख और हितग्राहियों के वेरिफिकेशन की जवाबदारी नगर निगम की है. लेकिन जिम्मेदार अधिकारी सिर्फ कागजों पर ही निरीक्षण कर इति श्री कर लेते हैं. यही वजह है कि एक दर्जन अनाधिकृत लोगों के रहने की जानकारी के बावजूद निगम ने संबंधित हितग्राहियों के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं की. 

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गरीबों से सुविधा शुल्क 

कानीपुरा पीएम आवास मल्टी सोसायटी अध्यक्ष कमलेश राव और रहवासियों ने बताया कि सरकार ने अच्छे फ्लैट तो दिए लेकिन यहां कई समस्याएं हैं. नगर निगम यहां सफाई नहीं करवाता है. निगम कर्मचारी कचरा ले जाने के लिए प्रति घर से 100 रुपए महीना वसूलते हैं. शिकायतों का कोई असर आज तक नही हुआ.

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जेएनएनयूआर के फ्लैट तीन लाख में 

जेएनएनयूआर में भी वर्ष 2009 में गोंड बस्ती नीलगंगा और पवासा में 1293 फ्लैट बनाए गए। इन मल्टी के फ्लैट में गलचा कालोनी, बेगमबाग के अतिक्रमण कारियो को हटाकर बसाया गया था. लेकिन यहां भी 2500 रुपये में किराए पर मकान मिल रहे हैं. कई लोग यहां 3 लाख में मकान बेचकर जा भी चुके हैं. बता दें कि पीएम आवास योजना में ही  मंछामन कॉलोनी में गरीबों के लिए एक और मल्टी बन रही है.

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