महाकाल लोक:फिर से तकिया मस्जिद बनाने की मांग खारिज, हाईकोर्ट बोला-धर्म का स्थान से कोई नाता नहीं

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने उज्जैन के महाकाल लोक परिसर विस्तार से जुड़े एक बड़े विवाद को ख़ारिज कर दिया है. अदालत ने लगभग 200 साल पुरानी तकिया मस्जिद के पुनर्निर्माण की मांग करने वाली याचिका को ख़ारिज कर दिया.लेकिन इस फ़ैसले में सबसे दिलचस्प और दूरगामी टिप्पणी यह है कि हाई कोर्ट ने साफ कर दिया है कि 'धर्म का पालन करने के लिए संविधान के द्वारा दिए गए अधिकार का किसी विशेष स्थान से कोई संबंध नहीं है'

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Ujjain Takia Masjid Vivad: मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने उज्जैन के महाकाल लोक परिसर विस्तार से जुड़े एक बड़े विवाद को ख़ारिज कर दिया है. अदालत ने लगभग 200 साल पुरानी तकिया मस्जिद के पुनर्निर्माण की मांग करने वाली याचिका को ख़ारिज कर दिया.लेकिन इस फ़ैसले में सबसे दिलचस्प और दूरगामी टिप्पणी यह है कि हाई कोर्ट ने साफ कर दिया है कि 'धर्म का पालन करने के लिए संविधान के द्वारा दिए गए अधिकार का किसी विशेष स्थान से कोई संबंध नहीं है'. यह टिप्पणी भविष्य में ज़मीन अधिग्रहण से जुड़े धार्मिक मामलों के लिए एक नई नज़ीर बन सकती है. फिलहाल उज्जैन के जिस धार्मिक परिसर की ज़मीन अधिग्रहित कर ढहाया गया था, उसका पुनर्निर्माण अब नहीं हो पाएगा.

अदालत ने क्यों ख़ारिज की याचिका. दो अहम तर्क

उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ के न्यायमूर्ति विवेक रुसिया और न्यायमूर्ति बिनोद कुमार द्विवेदी ने 7 अक्टूबर को यह फ़ैसला सुनाया. याचिकाकर्ताओं ने ज़मीन अधिग्रहण को संवैधानिक धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन बताया था. याचिकाकर्ताओं के वकील सैयद अशहर अली वारसी ने दलील दी थी कि यह संपत्ति वक्फ संपत्ति थी और एक बार वक्फ होने के बाद यह हमेशा वक्फ रहती है.

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सरकारी पक्ष का दमदार काउंटर

सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता आनंद सोनी ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक फैसले का हवाला दिया. उन्होंने कहा कि किसी संपत्ति के अधिग्रहण के बाद, उस संपत्ति को पूजा या नमाज के लिए इस्तेमाल करने का अधिकार खो सकता है, लेकिन यह किसी व्यक्ति के धर्म पालन के मूल अधिकार का उल्लंघन नहीं है.

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हाई कोर्ट की ऐतिहासिक टिप्पणी

अदालत ने इस तर्क को स्वीकार करते हुए अपनी अंतिम टिप्पणी में कहा कि उज्जैन की तकिया मस्जिद की ज़मीन का अधिग्रहण कानूनी प्रक्रिया से किया गया है और याचिकाकर्ताओं को मुआवजा भी दिया गया है. अब ''चूंकि धर्म का पालन करने के अधिकार का किसी विशेष स्थान से कोई संबंध नहीं है, इसलिए मस्जिद के रूप में इस्तेमाल की जा रही किसी विशेष भूमि के अधिग्रहण से इस अधिकार का उल्लंघन होना नहीं माना जा सकता.''

क्या था पूरा मामला?

दरअसल महाकालेश्वर मंदिर के पास बनाए गए विशाल महाकाल लोक परिसर के पार्किंग क्षेत्र के विस्तार के लिए प्रशासन ने आस-पास की ज़मीन का अधिग्रहण किया था.इस ज़मीन अधिग्रहण के दायरे में लगभग 200 साल पुरानी तकिया मस्जिद की ज़मीन भी आ रही थी.अधिकारियों के मुताबिक मुआवजा दिए जाने के बाद इसी साल 11 जनवरी को तकिया मस्जिद को ढहा दिया था. इसके बाद ही पुनर्निर्माण की मांग को लेकर कानूनी लड़ाई शुरू हुई थी, जिसे अब उच्च न्यायालय ने ख़ारिज कर दिया है.

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