Ujjain Rape Case: उज्जैन में 15 साल की नाबालिग के साथ हुई घटना ने पूरे देश की संवेदना को झकझोर दिया,पुलिस पर कई सवाल भी उठे, पर इस घटना में खाकी का संवेदनशील चेहरा भी सामने आया.पहले दो पुलिसकर्मियों ने बच्ची को रक्तदान (blood donate) किया और अब इस केस को हल करने में अहम भूमिका निभाने वाले महाकाल थाने (Mahakal police station) के इंस्पेक्टर अजय वर्मा (Ajay Verma)पीड़ित को गोद लेने के लिए आगे आए हैं. अजय लगभग पौने चार साल बाद रिटायर हो जाएंगे. उनके परिवार में दो बेटे हैं.बड़ा बेटा लॉ की पढ़ाई कर रहा है और छोटा भी फायनल ईयर में हैं. वो कहते हैं बच्ची के इलाज के वक्त जो चीखें उन्होंने सुनी उससे उनकी आंखें भी नम हो गईं. उन्होंने हमारे स्थानीय संपादक अनुराग द्वारी से इस संबंध में तफ्सील से बात की.
आपको क्यों लगा बच्ची की गोद लेना चाहिए?
समाज का कितना क्रूर चेहरा सामने आया,आज बहुत लोगों के फोन आए.उसके परिजन भी यहां आ रहे हैं.अभी जब आएंगे तो उनके बैंक खातों का नंबर डलवा दूंगा जिससे जो मदद करना चाहें सीधे भी कर सकते हैं.
गोद लेने में बहुत कानूनी पेचीदियां होती हैं?
परिजन मिल गये हैं,कानूनी पेचीदियों में ना पड़ते हुए भी ज़िम्मेदारी निभा सकते हैं.गोद लेने का मतलब ये है कि मैं उसकी आर्थिक ज़रूरतें,उसकी पढ़ाई,स्वास्थ्य का ध्यान रख सकूं.समय-समय पर जो दायित्व सामने आएंगे, उसे पूरी कर सकूं.मेरी सोच ऐसी है.अगर मां-बाप ना मिलते को मैं कानूनी तौर पर गोद ले लेता. अगर सहमति दे दें तो मैं हर तरह से रखने को तैयार हूं.
इस घटना में समाज का निर्दयी चेहरा शहर का सामने आया. ये प्रायश्चित है या आपकी सोच?
मेरी बच्ची भी नहीं है,मैंने सोचा भगवान ने बच्ची भी तो नहीं दी. जब सारी घटना हो रही थी.उसकी चीख सुन रहा था जब डॉक्टर उसका इलाज कर रहे थे-मेरी आंखें भर आईं कि हे भगवान इसको इतनी तकलीफ क्यों दे रहे हो.इस घटना के बाद हमने हर पल ईश्वर को याद किया. कहा अब आप इसको हल करो आप यकीन नहीं मानेंगे कि जादुई ढंग से आरोपी मिल गया.
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