अनोखा रिवाज:  इस मंदिर में शराब चढ़ाकर की पूजा, सम्राट विक्रमादित्य से जुड़ी है ये कहानी

Navratri 2024: आज दिन शुक्रवार है, नवरात्रि के पर्व को लेकर हर तरफ उत्साह है. नवरात्रि की महाअष्टमी के शुभ अवसर पर महाकाल की नगरी अवंतिका (उज्जैन) में कलेक्टर नीरज सिंह ने 24 खंबा मंदिर पर दोनों माता को मदिरा की धार चढ़ाकर पूजा की. ये रिवाज काफी अनूठा है. जानें क्या है इस पूजा का इतिहास.

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अनोखा रिवाज: महाकाल की नगरी में माता के मंदिर में चढ़ाई शराब, फिर 27 KM तक ऐसे किया नगर भ्रमण.

Ujjain News In Hindi: भारत त्योहारों का देश हैं. यहां उत्सव और उत्साह का आना-जाना सतत रूप से बना रहता है. वहीं, उज्जैन में सदियों से एक अनूठी परंपरा चली आ रही है. इस परंपरा ने अनुसार, माता के मंदिरों में शराब चढ़ाकर पूजा की जाती है. 

घरों में भी कुल देवी का पूजन किया

नवरात्रि की महाअष्टमी पर शुक्रवार सुबह पारंपरिक शासकीय पूजा की गई. इस दौरान कलेक्टर नीरज सिंह ने 24 खंबा मंदिर पर दोनों माता को मदिरा की धार चढ़ाकर पूजा की. इसके बाद 27 KM तक नगर भ्रमण कर मदिरा की धार लगाना शुरू हुआ. इस दौरान घरों में भी कुल देवी का पूजन किया गया.

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चौबीस खंबा मंदिर पहुंचे

मंदिर में की गई विशेष पूजा.

शारदीय नवरात्रि की महाअष्टमी पर शुक्रवार सुबह 7.30 बजे गुदरी चौराहा स्थित चौबीस खंबा मंदिर पर कलेक्टर नीरज सिंह चौबीस खंबा मंदिर पहुंचे. यहां कलेक्टर ने महामाया और महा लया माता को सोलह श्रृंगार की सामग्री, चुनरी और बड़ बाखल का भोग लगाकर पूजा करते हुए मदिरा की धार अर्पित की.

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इसके बाद ढोल -नगाड़ों के साथ माता की महा आरती सम्पन्न हुई, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु मंदिर पहुंचे और मदिरा का प्रसाद ग्रहण किया. वहीं, दोपहर 12 बजे हरसिद्धि माता मंदिर पर शासकीय पूजन होगा. जिसमें प्रशासन से मंदिर के  गर्भगृह में माता हरसिद्धि को श्रृंगार की सामग्री अर्पित करेगा.

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27 KM की यात्रा और 40 मंदिरों में पूजन

चौबीस खंबा मंदिर में माता महालाया और महामाया में पूजन के बाद कोटवार परंपरानुसार मदिरा से भरी मिट्टी की हांडी लेकर रवाना हुए. गाजे बाजे से निकला दल हांडी से 27 किलोमीटर तक नगर भ्रमण कर मदिरा की धार लगाएगा. 12 घंटे तक चलने वाली परिक्रमा के दौरान चामुंडा माता,भूखी माता, काल भैरव, चंडमुंड नाशिनी सहित 40 देवी,भैरव व हनुमान मंदिरों में पूजा की जाएगी. बता दे की माताजी और भैरवजी को मदिरा का भोग लगाते है। वहीं हनुमान मंदिरों में ध्वजा अर्पित की जाती है. नगर पूजा रात करीब 8 बजे गढ़कालिका माता मंदिर में पूजन के बाद समीप भैरव मंदिर में पूजन के बाद हांडी फोड़कर संपन्न होगी.

राजा विक्रमादित्य करते थे पूजन

नगर पूजा के संबंध में मान्यता है कि राजा सम्राट विक्रमादित्य के शासन काल से ही चौबीस खंबा माता मंदिर में नगर पूजा की जाती है. सम्राट विक्रमादित्य माता महामाया और महामाया के साथ ही भैरव का पूजन करते थे. इसमें माता और भैरव को भोग लगाने के साथ मदिरा की धार लगाने के बाद पूरे नगर में मदिरा की धार इसलिए लगाई जाती है, जिससे नगर में समृद्धि और खुशहाली और प्राकृतिक प्रकोप से बचाव हो और अतृप्त आत्माएं भी तृप्त होकर नगर की रक्षा करें. हालांकि, इस बार जल्द पूजा होने से पुजारियों ने नाराजगी जताते हुए पूजा नहीं लगने का कहा.

यह है मंदिर का इतिहास 

प्राचीन देवी मंदिर के भीतर 24 काले पत्थरों के खंभे हैं, इसलिए इसे 24 खंभा माता मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. यह नगर में प्रवेश करने का प्राचीन द्वार हुआ करता था. यह द्वार दोनों ओर से 12-12 खंभों पर टीका हुआ है. पहले इसके आसपास परकोटा था. माना जाता है तंत्र साधना के लिए प्रसिद्ध अवंतिका नगरी के चारों द्वार पर भैरव तथा देवी विराजित हैं, जो आपदा -विपदा से नगर की रक्षा करते हैं. चौबीस खंभा माता उनमें से एक हैं. यह मंदिर करीब 1000 साल पुराना  है. मंदिर पर एक शिला-लेख भी है, जिसके अनुसार इस मंदिर में पशु बलि की प्रथा भी थी. लेकिन 12वीं शताब्दी में बलि की प्रथा प्रतिबंधित कर दी गई.

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देवी मंदिरों में श्रद्धालुओं का ताता 

महा अष्टमी का पर्व होने से सुबह से ही शहर के देवी मंदिरों में भक्तों का तांता लगा रहा. दर्शन पूजन का यह क्रम देर रात तक चलेगा. श्रद्धालु घरों में माता पूजन के बाद देवी मंदिरों में दर्शन के  लिए पहुंचते है. शहर के प्रसिद्ध देवी मंदिरों में चामुंडा माता, शक्तिपीठ हरसिद्धि मंदिर,गढ़कालिका,भूखी माता, चौसठ योगिनी, देवास रोड हामूखेड़ी स्थित बिजासन माता मंदिरों में भक्तों पहुंचने लगे. वहीं, इस मौके पर घरों में भी कुलदेवता और देवी का पूजन किया जाता.

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