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सिंधिया के सामने रोने लगीं आदिवासी महिला, कहा- सचिव ताकतवर है...

Jyotiraditya Scindia News: ग्वालियर में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के सामने एक आदिवासी महिला सरपंच रोने लगीं और उन्हें अपनी पीड़ा सुनाई. महिला ने आरोप लगाया कि उनकी ग्राम पंचायत का सचिव मस्तराम धाकड़ उन पर जबरन कागजों पर अंगूठा लगाने के लिए दबाव बनाता है और उन्हें पद से हटवाने की धमकी देता है. महिला ने सिंधिया से न्याय की गुहार लगाई.

सिंधिया के सामने रोने लगीं आदिवासी महिला, कहा- सचिव ताकतवर है...

MP News: केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ( Jyotiraditya Scindia) दो दिन से ग्वालियर दौरे पर हैं. शनिवार को जब वे अपने महल जय विलास पैलेस में जनता दरबार लगाकर जनता से मिल रहे थे तभी पैरों में एक आदिवासी महिला अपने पति के साथ रोती हुई गिर गईं. वह बार-बार महाराज न्याय दिलाओ कहते हुए गुहार लगाते हुए दिखीं. उसने केंद्रीय मंत्री सिंधिया को अपनी पीड़ा कागज के पन्नों पर लिख कर दिया. इसमें कानून और अधिकारियों पर सीधे सवाल उठाया गया है. 
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने शनिवार को अपने जयविलास पैलेस पर आम लोगों से मुलाकात की. इस दौरान शिवपुरी जिले से एक दर्जन से अधिक आदिवासी भी पहुंचे. इनमें पोहरी जनपद क्षेत्र के उपसिल गांव की आदिवासी महिला सरपंच कुसमा बाई भी शामिल थीं. 

‘महाराज न्याय दिलाओ...'

ज्योतिरादित्य सिंधिया के पास पहुंच आदिवासी महिला सरपंच और उनका पति उनके पैरों में गिर गए. पैर पकड़ कर महाराज न्याय दिलाओ की गुहार लगाने लगे. सिंधिया ने उनसे उनका आवेदन लिया और उनकी परेशानियों का निरकारण करने का आश्वासन दिया. महिला बोलीं   महाराज अधिकारी बड़े लोगों के कहने पर चलते हैं. सरपंच कुसमा बाई का कहना है कि वह विशेष पिछड़ी सहरिया जनजाति से आती है और पढ़ी-लिखी नहीं है। इसका फायदा उठाकर उनकी ग्राम पंचायत का सचिव मस्तराम धाकड़ उससे जबरन कागजों पर अंगूठा लगाने के लिए  दबाव बनाता है। ज़ब वह इसका विरोध करती हैं  तो वह उन्हें पद से हटवाने की धमकी देता हैं  और आखिरकार उसने पंचायत के पंचों की खरीद फरोख्त और डरा धमका कर उसके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला दिया हैं. 

क्या बोलीं महिला सरपंच? 

महिला सरपंच ने कहा कि सचिव की राजनीति में पकड़ है, जिसके कारण मेरे आवेदनों पर कोई कार्रवाई और सुनवाई नहीं की गई. इसे देख अब ऐसा लगने लगा है कि आपका कानून और आपके अधिकारी सिर्फ बड़े लोगों के कहने पर ही चलते हैं. आम आदमी के लिए न्याय भी अब बड़े लोगों की इच्छा पर निर्भर हो गया है. लिहाजा एक बार फिर गुहार लगाती हूं कि मेरे खिलाफ पंचायत सचिव द्वारा षडयंत्र पूर्वक लाए गए अविश्वास प्रस्ताव में बहुमत साबित करने के लिए एक माह का समय दिया जाए. 

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