Tiger Deaths in MP: वनराज की मौतों पर NDTV की पड़ताल के बाद वन विभाग में बड़ा प्रशासनिक फेरबदल

Tiger in Madhya Pradesh: एनडीटीवी की रिपोर्ट ने 2021 से 2023 के बीच बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व (Bandhavgarh Tiger Reserve) और शहडोल वन मंडल में बाघों की मौतों में हुई चिंताजनक वृद्धि को उजागर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. रिपोर्ट में बताया गया कि इस अवधि में कुल 43 बाघों की मौत हुई, जिनमें से कई मौतें शिकार, चिकित्सीय लापरवाही और वन्यजीव अधिकारियों द्वारा की गई अपर्याप्त जांच से जुड़ी थीं.

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Tiger Deaths in National Park: मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व (Bandhavgarh Tiger Reserve) में बाघों की मौतों में हुई चिंताजनक वृद्धि पर एनडीटीवी (NDTV) की जांच रिपोर्ट (Investigative Report) के बाद राज्य के वन विभाग (Forest Department) में बड़ा प्रशासनिक बदलाव देखने को मिला है. वन्यजीव संरक्षण के प्रयासों में हुई कथित चूक के बीच कार्यवाहक प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) शुभरंजन सेन को उनके पद से हटा दिया गया है. शुभरंजन सेन को हटाने का निर्णय राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) द्वारा मध्य प्रदेश वन्यजीव विभाग से स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) की ओर से उठाए गए गंभीर सवालों पर आधिकारिक जवाब मांगने के बाद लिया गया.

लापरवाही के मिले थे संकेत

SIT की रिपोर्ट, जिसे 1 अगस्त को एनडीटीवी ने उजागर किया था, उसमें राज्य में बाघों की मौतों के मामले में कई प्रक्रियात्मक खामियों और वन्यजीव अधिकारियों की लापरवाही की ओर संकेत किया गया था.

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अब विजय एन अंबाडे, जो पहले नागपुर में उप महानिदेशक वन के पद पर कार्यरत थे, को मध्य प्रदेश का नया प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) नियुक्त किया गया है. एमपी वन विभाग के उप सचिव किशोर कुमार कन्याल द्वारा जारी आधिकारिक ट्रांसफर आदेश में कहा गया है कि अंबाडे की नियुक्ति "प्रशासनिक आधार" पर की गई है और यह तत्काल प्रभाव से लागू होगी.

एनडीटीवी की रिपोर्ट और उसकी भूमिका

एनडीटीवी की रिपोर्ट ने 2021 से 2023 के बीच बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व और शहडोल वन मंडल में बाघों की मौतों में हुई चिंताजनक वृद्धि को उजागर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. रिपोर्ट में बताया गया कि इस अवधि में कुल 43 बाघों की मौत हुई, जिनमें से कई मौतें शिकार, चिकित्सीय लापरवाही और वन्यजीव अधिकारियों द्वारा की गई अपर्याप्त जांच से जुड़ी थीं.

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रिपोर्ट के बाद, NTCA ने तत्काल संज्ञान लिया और राज्य के वन्यजीव विभाग से स्पष्टीकरण मांगा. 9 अगस्त को दिए गए अपने जवाब में, उस समय कार्यवाहक प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) शुभरंजन सेन ने इन खामियों को स्वीकार करते हुए माना कि कई मामलों में NTCA की मानक संचालन प्रक्रियाओं (SOPs) का पूरा पालन नहीं किया गया था.

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SIT की रिपोर्ट, जिसे एनडीटीवी ने उजागर किया, में पाया गया कि बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में अकेले 34 बाघों की मौत हुई, जबकि शहडोल वन मंडल में नौ अन्य बाघों की मौत हुई. रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि इन मौतों की सही जांच नहीं की गई, पोस्टमॉर्टम प्रक्रियाओं में आवश्यक निगरानी नहीं थी, और कई मामलों को जल्दी से आपसी संघर्ष के रूप में दर्ज कर दिया गया.

शुभरंजन सेन द्वारा NTCA को भेजी गई अपनी रिपोर्ट में, उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि इन मौतों में से 30 मौतें उन क्षेत्रीय निदेशकों के कार्यकाल के दौरान हुईं, जिन्होंने स्थापित SOPs का पालन नहीं किया. रिपोर्ट में आगे सुझाव दिया गया कि इन अधिकारियों ने अपनी जिम्मेदारियों को निभाने में रुचि नहीं दिखाई, जिससे बाघों की असामयिक मौतें हुईं. इसके चलते संबंधित अधिकारियों के खिलाफ आगे की जांच और संभावित अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की गई.

Tiger Death in Madhya Pradesh: एनडीटीवी की खबर का असर

इन खामियों के उजागर होने से न केवल नेतृत्व में बदलाव हुआ, बल्कि गहन जांच की मांग भी तेज हो गई है. वन्यजीव कार्यकर्ता और संरक्षणवादी रिजर्व के भीतर प्रबंधन प्रथाओं की पूरी तरह से समीक्षा की मांग कर रहे हैं. प्रमुख वन्यजीव कार्यकर्ता अजय दुबे ने विभाग के भीतर "नेतृत्व संकट" की ओर इशारा करते हुए इस बात पर जोर दिया कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए स्थायी, जिम्मेदार नेतृत्व की आवश्यकता है.

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