मकर संक्रांति पर हजारों श्रद्धालुओं ने शिप्रा में लगाई डुबकी, बाबा महाकाल का हुआ विशेष श्रृंगार

Makar Sankranti: तिथि के हिसाब से इस बार मकर संक्रांति का त्यौहार 15 जनवरी को मनाया जा रहा है. उज्जैन में रविवार को सुबह से ही हजारों की संख्या में पतंगें उड़ती हुई दिखीं. वहीं सोमवार को भी पतंग काटने की होड़ देखने को मिली.

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मकर संक्रांति के दिन उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में बाबा महाकाल का खास श्रृंगार किया गया.

Makar Sankranti Festival: देशभर में आज मकर संक्रांति (Makar Sankranti) का पर्व मनाया जा रहा है. इस मौके पर आसमान में हजारों की संख्या में पतंगें (Kites) उड़ती हुई दिख रही हैं. उज्जैन महाकालेश्वर मंदिर (Mahakaleshwar Temple Ujjain) में मकर संक्रांति के पर्व पर आधारित बाबा महाकाल (Baba Mahakal) का श्रृंगार किया गया. इसके साथ ही हजारों श्रद्धालुओं ने संक्रांति के अवसर पर शिप्रा नदी (Shipra River) पर डुबकी लगाकर दान किया. बता दें कि संक्रांति दिन नदी में नहाने का विशेष महत्व है. यही कारण है कि दूर-दराज से बड़ी संख्या में श्रद्धालु शिप्रा नदी पर स्नान के लिए पहुंचे.

तिथि के हिसाब से इस बार मकर संक्रांति का त्यौहार 15 जनवरी को मनाया जा रहा है. उज्जैन में रविवार को सुबह से ही हजारों की संख्या में पतंगें उड़ती हुई दिखीं. वहीं सोमवार को भी पतंग काटने की होड़ देखने को मिली.

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बाबा महाकाल का तिल से स्नान

महाकाल मंदिर के पंडित महेश पुजारी ने बताया मकर संक्रांति होने के कारण आज तड़के महाकाल मंदिर में बाबा महाकाल को तिल के उबटन से स्नान कराया गया. जिसके बाद तिली, गुड़ और शक्कर के पकवानों का भोग लगाया गया और जलाधारी में भी तिल्ली अर्पित किया गया.

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सूर्य का उत्तरायण में प्रवेश 

पंडित अमर डिब्बेवाला ने बताया कि संक्रांति का पर्व दक्षिणायन से उत्तरायण की ओर होता है. धनु राशि के सूर्य का मकर राशि में परिभ्रमण संक्रांति की स्थिति दर्शाती है. सूर्य के उत्तर में प्रवेश के वारियान योग से राष्ट्र को लाभ होगा. इस पर्व पर चावल, हरी मूंग दाल की खिचड़ी, पात्र, वस्त्र, भोजन आदि वस्तुओं का दान करने की परंपरा भी है. मान्यता है कि विशेष तौर पर तांबे के कलश में काले तिल भरकर ऊपर सोने का दाना रख दान करने से पितरों की कृपा प्राप्त होती है.

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