Bhopal Gas Tragedy का ज़हर फैल रहा आज भी... नगरपालिका परिषद में विरोध प्रस्ताव हुआ पास, जानें-क्या है पूरा मामला

MP News: एनडीटीवी ने बताया था कि जिस भोपाल की यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री में गैस रिसाव ने हजारों लोगों की जान ली, उसका ज़हरीला कचरा आज भी लोगों के लिये गंभीर खतरा बना हुआ है. यूनियन कार्बाइड के ज़हरीले कचरे को लेकर धार जिले के पीथमपुर में भारी विरोध शुरू हुआ गया है. 

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Strike against Carbide Waste in MP: घटना के 40 साल बाद मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) सरकार का गैस राहत विभाग यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री (Union Carbide Factory) से 350 मैट्रिक टन ज़हरीले कचरे का निपटान शुरू करने के लिए तैयार है. इस कचरे का निष्पादन इंदौर (Indore) के पीथमपुर (Pithampur) में ट्रीटमेंट स्टोरेज डिस्पोजल फैसिलिटी (TSDF) में किया जाएगा, जिसके लिये केंद्र सरकार ने 126 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं. लेकिन, यूनियन कार्बाइड के ज़हरीले कचरे (Poisonous Waste) को लेकर धार जिले के पीथमपुर में भारी विरोध शुरू हुआ गया है. 

कचरा जलाने के लिए खर्च किए जाने हैं करोड़ो रुपये

आज भी लोगों के लिए बना ज़हर

यूनियन कार्बाइड का ज़हरीला कचरा भोपाल में फैक्ट्री के आसपास के 42 बस्तियों के भूजल को विषैला बना चुका है. सालों से ज़मीन के अंदर ये कचरा ऐसे ही पड़ा हुआ है. एमपी सरकार अब इसे पीथमपुर में जलाने वाली है. जानकार कहते हैं कि इससे बड़ी मात्रा में ऑर्गेनोक्लोरीन निकल सकते हैं, जिससे कैंसर का खतरा बड़ जाएगा. पीथमपुर में इस कचरे को जलाने का 12 साल पहले खुद बीजेपी नेताओं ने विरोध किया था. जिसमें तत्कालीन पर्यावरण मंत्री जयंत मलैया, पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर भी शामिल थे. अब पीथमपुर के लोग इसका विरोध कर रहे हैं.

साल 2012 में जर्मन कंपनी GIZ ने 346 मेट्रिक टन यूनियन कार्बाइड कचरे को हैम्बर्ग, जर्मनी में जलाने के लिए 25 करोड़ रुपये की पेशकश की थी. आज इसे लगभग पांच गुना अधिक दाम पर यानी, 126 करोड़ रुपये खर्च करके जलाया जा रहा है. वह भी ऐसे इन्सिनरेटर में, जहां किए गए परीक्षणों में से छह असफल रहे हैं.

नगरपालिका परिषद ने भी किया विरोध

पीथमपुर नगरपालिका परिषद ने भी कचरे को ऐसे जलाने का विरोध किया. इस विरोध में सभी दलों के पार्षद भी शामिल हुए. खुद बीजेपी के स्थानीय नेता खुलकर इसका विरोध कर रहे हैं. एनडीटीवी की खबर के बाद आए दिन इलाके में विरोध बढ़ता जा रहा है. बता दें कि भोपाल में हुए गैस कांड का असर आज तक भी देखने को मिलता रहता है. 

कचरा जलने से पानी हो जाएगा दूषित

नियमों को रखा गया ताक पर

पीथमपुर इंडस्ट्रियल वेस्ट मैनजमेंट कंपनी प्राइवेट लिमिटेड (Pithampur Industrial Waste Management Company Private Limited) ने 2005 में पीथमपुर में एक प्लांट लगाया. इसमें मध्य प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों से आए ज़हरीले कचरे को लैंडफिल में गाड़ा गया. 2008 में यहीं पर तमाम विरोध और नियमों के उल्लंघन के बाद एक इंसिनरेटेर भी लगा दिया गया. पीथमपुर की लैंडफिल ग्राम तारपुरा से बहुत नज़दीक है, जो CPCB के नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है. 

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पीने का पानी भी होगा दूषित

स्थानीय लोगों का मानना है कि पीथमपुर में पहले ही हवा-पानी सब प्रदूषित है. यूनियन कार्बाइड के कचरे से पीथमपुर को पानी सप्लाई करने वाला संजय जलाशय भी प्रभावित होगा. इंदौर का यशवंत सागर भी इससे अछूता नहीं रहेगा. सोचने वाली बात यह है कि जिस कचरे को पीथमपुर में जलाया जाना है, वह कुल ज़हरीले कचरे का महज 5% है.

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