अनूपपुर के इस मोहल्ले का हाल बदहाल, सड़क-पानी के लिए तरस रहे लोग... जिम्मेदारों को नहीं कोई सुध

अनूपपुर के बिजुरी की नगर पालिका परिषद के हालात बदतर हैं. इस मोहल्ले में विकास के नाम पर कुछ भी नहीं है. आजादी के 76 साल बीत जाने के बाद भी यहां रहने वाले लोगों को बिजली पानी, सड़क, नाली की आम सुविधाएं भी नसीब नहीं हो पाई है.

Advertisement
Read Time: 16 mins

मध्य प्रदेश की नई सरकार बनने के बाद भी हालात जस के तस नजर आ रहे हैं. कुछ ऐसा ही नजारा अनूपपुर के बिजुरी की नगर पालिका परिषद में देखने को मिला. जहां ग्रामीण आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए दर-दर भटकने को मजबूर है. बिजली, सड़क जैसी सुविधाएं मिलना तो दूर, इस मोहल्ले के लोगों को पीने का पानी भी नहीं मिल पा रहा है. लोगों को साफ पानी के इंतजाम के लिए करीब 2 किलोमीटर दूर चलकर जाना पड़ता है. दरअसल, मामला बिजुरी के वार्ड नम्बर 7 बरघाट कुडाकु मोहल्ले का है जहां आजादी के 76 साल बीत जाने के बाद भी यहां रहने वाले लोगों को बिजली पानी, सड़क, नाली की आम सुविधाएं भी नसीब नहीं हो पाई है. बरघाट के इस मोहल्ले में करीब 100 से 150 लोगों का आदिवासी परिवार इन्हीं हालातों में जीवन यापन कर रहा है. यहां पर आसपास सड़कें भी कच्ची और टूटी-फूटी है.... और न ही यहां लोगों को बिजली की सुविधा मिलती है.

पक्की सड़क न होने के चलते लोगों को होती है परेशानी 

सड़क न होने के चलते छोटे बच्चों को स्कूल जाने के लिए रोज समस्याओं का सामना करना पड़ता है. वहीं, बरसात के मौसम में कीचड़ होने के चलते बच्चे स्कूल ही नहीं जा पाते, क्योंकि उन्हें बस्ती से करीब 2 से 3 किलोमीटर दूर पैदल चलकर स्कूल जाना पड़ता है और आने जाने के लिए कोई भी सड़क नहीं है.... बारिश में पगडंडी के रास्तो में कीचड़ जमा हो जाता है जिसके चलते भी काफी परेशानी होती है. ऐसे में इन बच्चों का भविष्य पर सवाल खड़ा होना लाजमी है. मोहल्ले के तमाम लोगों की जिंदगियां दांव पर लगी हुई है जिसे प्रशासन ने शायद भगवान भरोसे छोड़ दिया है. सड़क के आभाव में गर्भवती महिला, गंभीर बीमारी के मरीजों को खाट का सहारा लेना पड़ता है. 

Advertisement

यह भी पढ़ें : Cooch Behar Trophy : जबलपुर में जन्में कर्नाटक के 'प्रखर' ने युवराज सिंह का 24 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ा

Advertisement

जब पूछा गया सवाल तो नींद से जागे जिम्मेदार अधिकारी

बताते चलें कि ये मोहल्ला नगर पालिका क्षेत्र में आता है उसके बावजूद इस मोहल्ले में विकास के नाम पर कुछ भी नहीं है. एक तरफ प्रशासन की तरफ से बड़े-बड़े विकास के वादे किए जाते हैं... वहीं, दूसरी तरफ जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है. आखिर इन आदिवासियों का विकास कौन करेगा? इस मोहल्ले के लोगों की जिंदगी आसान होगी या फिर इसी तरह से यहां के लोगों को परेशानियों से घिरकर जीना पड़ेगा. हालांकि इस मामले में जब मुख्य नगर पालिका अधिकारी से बात की तो उन्होंने जो कहा वो बेहद हैरान करने वाला था. वे कहते हुए नजर आए कि जो मुद्दा आपने उठाया है उसे जल्द से जल्द पूरा किया जाएगा. इस बात से यह अंदाजा तो लगाया जा सकता है कि जिम्मेदार अधिकारीयों से सवाल किया गया तब जाकर साहब नींद से जगाते दिखाई पड़े. अधिकारियों का इस तरह का रवैया सरकारी दावों की पोल खोलता नजर आ रहा है जिसकी सरोकार प्रशासन को भी नहीं है. 

Advertisement

ये भी पढ़े: Ujjain: ताजपुर में दिखा तेंदुआ; ग्रामीणों में दहशत, सरपंच ने की अलर्ट रहने की अपील

Topics mentioned in this article