Private Schools: मध्य प्रदेश के 50 से अधिक निजी स्कूल कभी भी बंद हो सकते हैं. वजह स्कूलों की मान्यता नवीनीकरण की नई शर्त है. इससे इन स्कूलों के शटर डाउन हो सकते हैं, जिससे वहां पढ़ रहे 10 हजार छात्रों का भविष्य अधर में जा सकता है, क्योंकि इन स्कूलों ने नई शर्तों वाली मान्यता नवीनीकरण के लिए आवेदन नहीं किया है.
ये भी पढ़ें-राजा मर्डर केस में बड़ा उलटफेर, मजिस्ट्रेट के सामने पलट गए 2 आरोपी, क्या बच जाएगी सोनम?
शैक्षणिक सत्र शुरू होने से पहले 50 से अधिक निजी स्कूलों में लटके ताले
गौरतलब है प्रदेश में स्थित 50 से अधिक निजी स्कूलों में शैक्षणिक सत्र शुरू होने से पहले ताले लटक गए हैं, जिससे यहां पढ़ने वाले पहली से 8वीं क्लास के लगभग 10 हजार छात्रों का भविष्य पर संकट में पड़ना तय है. वजह स्कूलों ने मध्य प्रदेश राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा निर्धारित नई शर्तों वाले मान्यता नवीनीकरण के लिए आवेदन ही नहीं किया है.
राज्य शिक्षा केंद्र ने मान्यता नवीनीकरण के लिए लागू की हैं नई बाध्यताएं
रिपोर्ट के मुताबिक इस बार मान्यता नवीनीकरण के लिए राज्य शिक्षा केंद्र ने कुछ नई बाध्यताएं लागू की हैं. इसके तहत स्कूल भवन के लिए रजिस्टर्ड किरायानामा पेश करना अनिवार्य कर दिया गया है, जबकि पहले स्कूल संचालक केवल नोटरीकृत किरायानामा ही जमा करते थे, लेकिन अब रजिस्टर्ड दस्तावेज के बिना आवेदन निरस्त कर दिए जा रहे हैं.
ये भी पढ़ें-Jailor Sent Jail: अंडर ट्रायल कैदी से मांगे थे 2500 रुपए रिश्वत, डिप्टी जेलर साहब इतने साल के लिए भेजे गए जेल
ये भी पढ़ें-200, 300 और 500 में बेच दिए जाते हैं सैंकड़ों वर्ष पुराने वृक्ष, एमपी में निर्दयता से काटे जा रहे हरे-भरे फलदार पेड़
शिक्षक संख्या के आधार पर सुरक्षा निधि जमा करने की जोड़ी गई शर्त
राज्य शिक्षा केंद्र ने मान्यता नवीनीकरण की शर्त के लिए एक बड़ा बदलाव सुरक्षा निधि को लेकर किया है. नई शर्त के मुताबिक अब स्कूलों को शिक्षक की संख्या के आधार पर सुरक्षा निधि जमान करानी होगी. नवीनीकरण में जोड़ी गई नई शर्तों का निजी स्कूल संगठनों ने विरोध किया था, लेकिन कोई बदलाव नहीं किया गया.
1477 निजी स्कूलों में से सिर्फ 798 ने नवीनीकरण के लिए किया आवेदन
उल्लेखनीय है अब तक कुल 1477 स्कूलों में से सिर्फ 798 ही मान्यता नवीनीकरण के लिए आवेदन कर पाए हैं. विकासखंड स्तरीय स्रोत समन्वयकों द्वारा किए गए निरीक्षण के बाद 190 स्कूलों के आवेदन निराकृत हुए हैं, शेष स्कूलों को अब आयुक्त, राज्य शिक्षा केंद्र या स्कूल शिक्षा मंत्री के समक्ष अपील करनी होगी.