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वंदे भारत, शताब्दी, तेजस, दुरंतो और राजधानी की रफ्तार हो रही कम ! हकीकत क्या है?

कोहरा बढ़ने पर ट्रेन की लेटलतीफी एक बार समझ में आती है...लेकिन आम दिनों में भी भारतीय रेलवे की लेट लतीफी'आम' है. ये हम नहीं कह रहे हैं बल्कि खुद सरकारी आकड़ें इसकी गवाही दे रहे हैं. मध्यप्रदेश में नीमच के रहने वाले RTI कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ द्वारा मांगी गई जानकारी में ये चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है. जैसे-जैसे वक्त गुजर रहा है वंदे भारत समेत तमान ट्रेनों की रफ्तार सुस्त होती जा रही है.

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Indian Railways News: कोहरा बढ़ने पर ट्रेन की लेटलतीफी एक बार समझ में आती है...लेकिन आम दिनों में भी भारतीय रेलवे की लेट लतीफी'आम' है. ये हम नहीं कह रहे हैं बल्कि खुद सरकारी आकड़ें इसकी गवाही दे रहे हैं. मध्यप्रदेश में नीमच के रहने वाले RTI कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ द्वारा मांगी गई जानकारी में ये चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है. एक बानगी देखिए- रफ्तार को लेकर सबसे ज्यादा सुर्खियों में चलने वाली वंदेभारत ट्रेन के बारे में दावा किया जाता है कि ये 160 किमी से 180 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकती है लेकिन बीते 6 महीने के आंकड़े बताते हैं कि दूसरी तिमाही में इसकी औसत रफ्तार 76.99 kmph ही रह गई है जो इसे पहले की तिमाही में 79.14 KMPH थी. यानी जैसे-जैसे वक्त गुजर रहा है वंदे भारत ट्रेन की रफ्तार सुस्त होती जा रही है.  RTI से मिले आंकड़े की इसकी सच्चाई सामने रखते हैं. जो बताते हैं कि देश में केवल एक ही रूट ऐसा है जहां ये ट्रेन अधिकतम 94 KMPH की रफ्तार से दौड़ी है. वो रूट है नई दिल्ली-वाराणसी रूट. 

कुछ ऐसा ही हाल देश में चलने वाली दूसरी नामचीन ट्रेनों का भी है.. इस लिस्ट में हमने वंदे भारत के अलावा राजधानी, शताब्दी, दुरंतो,  तेजस और दूसरी मेल-एक्सप्रेस ट्रेनों को शामिल किया है. अधिकांश ट्रेनों का हाल ये है कि साल-दर-साल उनकी रफ्तार कम होती जा रही है.  

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ये जानकारी रेलवे ने सूचना के अधिकार के तहत दी है, हालांकि कैमरे पर रेल मंत्रालय ने इस सवाल पर कोई जवाब नहीं दिया. RTI कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ कहते हैं कि इस जानकारी का उद्देश्य व्यस्था में सुधार करवाना है.

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रेलवे की पंक्चुअलिटी परफॉर्मेंस, लेट लतीफी और एवरेज स्पीड को लेकर के दिमाग में कुछ सवाल थे. जो जानकारी मिली है वह आपके सामने है. आरटीआई लगाने का प्रयोजन यही है कि सेवाओं में सुधार हो. 

चंद्रशेखर गौड़

आरटीआई कार्यकर्ता, नीमच मध्य प्रदेश

उधर रेलवे के रिटायर्ड चीफ ऑफ IRCA एवं एक्सपर्ट  कैप्टन जेपी सिंह ने एनडीटीवी से बातचीत में बताया कि देश में सबसे बड़ी समस्या रेलवे ट्रैक की है. इसका सही और समय पर मेंटेनेंस नहीं होने और  क्वालिट ठीक नहीं  होने से ट्रेनों की रफ्तार पर बड़ा असर पड़ता है.रूट पास नहीं मिलने के कारण भी रफ्तार कम करनी पड़ती है.कई साल पहले आगरा- इलाहाबाद ट्रैक पर 100-150 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से एक ट्रेन का ट्रायल किया गया था. लेकिन ये नियमित नहीं हो सका. ट्रैक की क्वालिटी और मेन्टेन्स पर अगर काम हो तो काफी सुधार हो सकता है. जाहिर है ट्रेनों की रफ्तार को लेकर बड़े-बड़े दावे अपनी जगह सही है लेकिन उतनी ही ये बात भी सच्ची है कि बुनियादी ढांचे में सुधार के बिना ये दावे हवा-हवाई ही रहेंगे. 

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