Shri Mahakal Mahalok: महाकाल लोक में तीसरी बार लगेगी सप्तऋषि की मूर्ति, भ्रष्टाचार के भी लगे हैं आरोप

Mahakal Lok Ujjain: सप्तऋषि की मूर्तियों को विक्रमादित्य शोधपीठ तैयार करवा रहा है. मूर्तियों का स्कैच बनारस के कलाकार सुनील विश्वकर्मा ने बनाया है. सुनील के अनुसार पौराणिक ग्रंथ का अध्ययन कर स्कैच प्रतिमा विज्ञान के आधार पर तैयार किया है. उन्होंने कहा जिस तरह से अयोध्या में भगवान राम की प्रतिमा की आंखें पत्थर पर ही तराशकर बनाई गई हैं, सप्तऋषि की मूर्तियों की आंखें भी ऐसी ही बनाई जाएंगी. ताकि ये जीवंत नजर आएं.

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Mahakal Lok Ujjain: महाकाल मंदिर उज्जैन (Mahakaal Mandir Ujjain) के नजदीक में ही स्थित महाकाल लोक (Shri Mahakal Mahalok Ujjain) एक बार फिर चर्चाओं में है. इस बार फिर से वजह सप्त ऋषियों की मूर्तियां हैं. इस समय करोड़ों रुपए की लागत से तैयार सप्त ऋषियों की मूर्तियों को तीसरी बार लगाने की तैयारी हो रही है. आंधी-तूफान की वजह से सप्त ऋषियों की मूर्तियां क्षतिग्रस्त होने पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते देख 11 महीने पहले ही इन मूर्तियों को प्रदेश सरकार ने लगवाया था. सरकार बदलने के बाद सीएम ने फिर से मूर्तियां लगवाने का ऐलान किया था, जिसका काम दिखने लगा है.

क्या है पूरा मामला? जानिए यहां...

करोड़ों रुपए की लागत से बने महाकाल लोक का लोकार्पण 11 अक्टूबर 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने लोकार्पण किया था. कुछ ही समय में देश भर में चर्चित हुए महाकाल लोक में 66 लाख रुपए की लागत से तैयार की गईं सप्त ऋषियों की मूर्तियां भी लगाई गई थीं.

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फाइबर रीइन्फोर्स प्लास्टिक (FRP) की बनी ये मूर्तियां भीतर से खोखली थीं, इसलिए लोकार्पण के 7 माह बाद ही 29 मई 2023 को आए आंधी-तूफान में 6 मूर्तियां क्षतिग्रस्त हो गई थीं. इस पर विपक्ष द्वारा प्रदेश सरकार पर भ्रष्टाचार के तीखे आरोप लगाए गए थे. इस पर तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) के निर्देश पर अगस्त 2023 में एक बार फिर नई मूर्तियां लगाई गईं. लेकिन सरकार बदलने के बाद मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री (Chief Minister of Madhya Pradesh) डॉ मोहन यादव (CM Mohan Yadav) ने पत्थर की मूर्तियां लगाने का आदेश दिया था. नतीजतन 11 महीने के बाद ही 2.50 करोड़ रुपये की लागत से सप्त ऋषि और भगवान शिव की प्रतिमा बनाने का काम शुरू हो गया.

बनारस के कलाकार सुनील हैं इन मूर्तियों के डिजाइनर

इन मूर्तियों को विक्रमादित्य शोधपीठ तैयार करवा रहा है. मूर्तियों का स्कैच बनारस के कलाकार सुनील विश्वकर्मा ने बनाया है. सुनील के अनुसार पौराणिक ग्रंथ का अध्ययन कर स्कैच प्रतिमा विज्ञान के आधार पर तैयार किया है. उन्होंने कहा जिस तरह से अयोध्या में भगवान राम की प्रतिमा की आंखें पत्थर पर ही तराशकर बनाई गई हैं, सप्तऋषि की मूर्तियों की आंखें भी ऐसी ही बनाई जाएंगी. ताकि ये जीवंत नजर आएं.

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हाट बाजार में हो रहा है मूर्ति निर्माण

महाराज विक्रमादित्य शोधपीठ के निदेशक श्रीराम तिवारी ने बताया कि हरि फाटक के पास स्थित हाट बाजार में प्रतिमाओं का निर्माण हो रहा है. आधुनिक मशीनों की बजाय पारंपरिक तरीके से मूर्तियों को बनाया जा रहा है. शुरुआत पत्थर कटिंग से की जा रही है, इसके बाद मूर्ति को तराशने के कलाकार आएंगे.

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15 फीट ऊंची बनेगी मूर्तियां

प्रमुख मूर्तिकार मुरलीधर महरोडना ने बताया राजस्थान स्थित बंशी पहाड़पुर के लाल पत्थर से पहले फेज में ऋषि अत्रि, कश्यप, गौतम, जमदग्नि, वशिष्ठ, भारद्वाज और विश्वामित्र की 15 फीट ऊंची,10 फीट चौड़ी और 4.5 फीट मोटी मूर्ति को तैयार की जाएगी. मूर्तियां बनने में करीब 6 महीने लगेंगे. इसके लिए उड़ीसा और गुजरात के 10 कलाकारों की टीम काम कर रही है. इसके बाद बाकी मूर्तियों को भी बदला जाएगा. बताया जाता है कि करीब 60 मूर्तियों के लिए शासन नया एस्टीमेट तैयार कर रहा है.

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