
Seoni Hindi News: सिवनी जिले के 1326 प्राथमिक स्कूलों के छात्र-छात्राओं को जमीन से डेस्क पर बैठाने की मुहिम गिफ्ट-ए-डेस्क चलाई जा रही है, जिसका मकसद साफ है कि बच्चों को जब गिफ्ट मिलेगा तो उनका पढ़ाई के प्रति उत्साह बढ़ेगा. साथ ही बारिश में जमीन पर बैठने और पालती मारकर घंटों बैठने की समस्या से निजात मिल रही है. वहीं, झुककर लिखने से कमर की परेशानी और बार-बार सर उठाकर ब्लैक बोर्ड को देखने की दिक्कत भी नहीं रहेगी.
सिवनी दूरस्थ दुर्गम आदिवासी वनांचल में पहुंचना मुश्किल है. ग्राम पंचायत रतनपुर के पीपरदोन की प्राथमिक शाला में छात्र-छात्राएं गिफ्ट में मिली डेस्क पर बैठकर उत्साह से पढ़ाई कर रहे हैं. इन डेस्क पर दानदाताओं के नाम भी बखूबी लिखे गए हैं.
अभिभावक और ग्रामीण भी जुड़े मुहिम से
खास बात ये है कि इस मुहिम से बच्चों के साथ-साथ उनके अभिभावक और ग्रामीण भी जुड़ रहे हैं, जो अपने नौनिहालों के लिए भी उपहार में डेस्क दे रहे हैं. उनका मानना है कि जब बच्चे पढ़ेंगे तो उनके गांव के साथ-साथ देश की तस्वीर भी बदलेगी. ऐसे में बच्चों को बेहतर शिक्षा मिलना बेहद जरूरी है. इसी रतनपुर ग्राम पंचायत के पांच गांव के ग्रामीणों ने मिलकर अपने क्षेत्र के पांचों स्कूलों और आंगनबाड़ी में दस-बीस रुपये से पांच सौ रुपये तक चंदा करके 51 डेस्क अपने बच्चों को गिफ्ट की हैं. अब इन स्कूलों में डेस्क के आने से बच्चे खासा उत्साहित हैं और स्कूल में दर्ज करीब सभी स्टूडेंट्स स्कूल आ रहे हैं.
सिवनी ब्लॉक के नारायण टोला गांव के प्राथमिक स्कूल में बच्चे जमीन पर मेट पर बैठकर पढ़ रहे थे. उन्हें पता था कि कुछ दिनों में उनके यहां गिफ्ट में डेस्क आ रही है. ऐसे में उनके चेहरे पर एक नया उत्साह था, जो जमीन पर बैठकर पढ़ने में भी साफ झलक रहा था. वहीं, उन्हें पढ़ा रहे शिक्षक ने भी बताया कि ऐसी मुहिम पीढ़ियों को शिक्षित कर देश की दशा-दिशा सुधारने में अहम साबित होगी.
अप्रैल में हुई मुहिम की शुरुआत
सिवनी कलेक्टर संस्कृति जैन ने इस मुहिम की शुरुआत इसी साल अप्रैल में की थी. उनकी अपील पर धीरे-धीरे इस मुहिम को रंग मिलता गया. जन-भागीदारी से बच्चों को डेस्क गिफ्ट दिलाने की इस मुहिम में स्थानीय लोगों के साथ देश-विदेश से भी लोग जमकर साथ दे रहे हैं और यही वजह है कि करीब 21 हजार डेस्क के लक्ष्य में से अभी तक करीब 7 हजार डेस्क स्कूलों में पहुंच चुकीं हैं.
इस मुहिम में सिवनी के कई सेलिब्रिटी भी आगे हैं, जिन्होंने स्कूली बच्चों को गिफ्ट में डेस्क दी है, जिसमें कॉमेडी कलाकार अहसान कुरैशी भी शामिल हैं. इसके साथ ही सात समंदर से पार इटली, यूएसए, एटलांटा जॉर्जिया, फिनलैंड और जर्मनी सहित कई देशों से लोग इस मुहिम में जुड़ चुके हैं. स्थानीय संस्थान और समुदाय के लोग भी बढ़ चढ़कर इस मुहिम का हिस्सा बन रहे हैं.
मुहिम के लिए बनाई गिफ्ट ए डेस्क
मुहिम से जुड़ने के लिए बाकायदा गिफ्ट ए डेस्क के नाम से एक वेबसाइट बनाई गई है, जिस पर डेस्क बनाने वाले निर्माताओं के कॉन्टेक्ट और स्कूलों की सूची अपडेट है. इसके जरिए डोनेटर ये तय कर सकते हैं कि किस स्कूल में किस निर्माता की डेस्क आप देना चाहते हैं. इसके लिए एक डेस्क की कीमत 2200 रुपये तय की गई है और इस सारे तकनीकी काम को करने के लिए बाकायदा कॉल सेंटर बनाया गया है.
1326 स्कूलों में 21 हजार डेस्क की जरूरत
मुहिम की सोच सिवनी की कलेक्टर संस्कृति जैन की उपज है. इस मुहिम को लेकर पहले इन्होंने स्कूलों का डाटा कलेक्शन किया, जिसके आधार पर यह तय किया गया कि 1326 स्कूलों में करीब 21000 डेस्क की जरूरत है. फिर लोकल फॉर वोकल की तर्ज पर स्थानीय फर्नीचर निर्माताओं के साथ बैठक की गई, जहां डेस्क की कीमत और गुणवत्ता तय हुई. इस मुहिम में सरकारी अमले को जोड़कर आगे बढ़ाया गया. स्थानीय लोगों के साथ जन-भागीदारी को जोड़ने के लिए एक वेबसाइट गिफ्ट ए डेस्क बनाई गई और धीरे-धीरे ये मुहिम रंग लाने लगी है.
कलेक्टर को ऐसे आया ख्याल
कलेक्टर संस्कृति जैन की सोच में यह बात तब आई, जब उन्हें लगा कि पहली से पांचवीं तक के बच्चों को एक बार पढ़ाई में रुचि दे दी जाए तो फिर उन्हें रोका नहीं जा सकता. ऐसे में नौनिहालों के शिक्षा का आधार मजबूत बनाने के चलते इस मिशन की शुरुआत हो गई, जिसके सुखद परिणाम दिखाई दे रहे हैं. अब स्कूलों में बच्चों की संख्या भी बढ़ रही है, साथ ही शिक्षकों को भी मोटिवेट किया जा रहा है और इस मिशन के जरिए बच्चों की पढ़ाई व रहन-सहन में सुधार करने के प्रयास किया जा रहे हैं. अभी तक करीब 7000 डेस्क जन भागीदारी से स्कूलों तक पहुंच चुकी हैं, जो करीब डेढ़ करोड़ की हैं. 35 फीसदी मुहिम करीब पूरी हो गई है और अब आगे की मुहिम के लिए कलेक्टर अपील कर रहीं हैं.