MP Hindi News: मध्य प्रदेश के सीहोर (Sehore) में आशा-उषा संयुक्त मोर्चा ने अपनी 15 सूत्रीय मांगों को लेकर चक्काजाम किया. इस दौरान आशा-उषा कार्यकर्ताओं ने जमकर सड़क पर नारेबाजी की. इसके बाद कलेक्ट्रेट का घेराव किया. आशा व पर्यवेक्षकों की वार्षिक वेतन वृद्धि को रोक दिया गया है, जिसके विरोध में आशा-उषा कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया. दरअसल, मुख्यमंत्री द्वारा 1,000 रुपये की वेतन वृद्धि की घोषणा की गई थी, इसके बावजूद भुगतान नहीं किया गया.
आशा-उषा कार्यकर्ताओं ने कलेक्ट्रेट का किया घेराव
आशा-उषा कार्यकर्ताओं ने कलेक्ट्रेट कार्यालय के बाहर सड़क पर गोल घेरा बनाकर बैठ गई और चक्काजाम कर दिया. इसके बाद वह पैदल मार्च करते हुए कलेक्ट्रेट परिसर के अन्दर पहुंची और घेराव किया. फिर वहीं पर धरने पर बैठ गई. इस दौरान कार्यकर्ताओं ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.
15 सूत्रीय मांगों को लेकर विरोध प्रर्दशन
बता दें कि लंबे समय से आशा-उषा कार्यकर्ता अपनी मांगों को लेकर आन्दोलन करती आ रही है, लेकिन उनकी समस्याओं का निराकरण नहीं हो रहा है. प्रदर्शन के दौरान उन्होंने कहा कि भेदभावपूर्ण तरीके से आशा व पर्यवेक्षकों का वार्षिक वेतन वृद्धि का भुगतान रोक दिया गया है. इसका वह विरोध कर रही हैं. वह सरकार की महत्वपूर्ण अंग हैं. योजनाओं के क्रियान्वयन में अहम भूमिका निभा रही है, घर घर जाकर अपनी सहभागिता देती हैं, लेकिन उन्हें वह वेतन और सम्मान नहीं मिलता है, जो एक अन्य कर्मचारी को मिलता है.
संगठन की अध्यक्ष चिंता चौहान ने बताया कि सरकार से जुड़े होने के बावजूद भी उन्हें वह सुविधाएं नहीं मिलती है, जो अन्य सरकारी कर्मचारियों को मिलती हैं, उनकी मांग है कि कम से कम 10 हजार रुपये मासिक वेतन मिलना चाहिए. उन्होंने 15 सूत्रीय मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा है.
आशा-उषा सहयोगिनी एकता यूनियन संयुक्त मोर्चा ने कहा कि 29 जुलाई 2023 को भोपाल में विभागीय व प्रशासनिक अधिकारियों की उपस्थिति और हजारों आशा व पर्यवेक्षकों की उपस्थिति में महासम्मेलन आयोजित किया गया था, जिसमें तात्कालिक मुख्यमंत्री द्वारा आशा व पर्यवेक्षकों के लिए 1,000 रुपये का वार्षिक वेतन वृद्धि करने की घोषणा की गई थी, लेकिन आज तक इस घोषणा को पूरा नहीं किया गया है. जबकी इस संबंध में 2 अगस्त 2023 को मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा विधिवत आदेश जारी किया गया था.
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