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रीवा में खुलेगा एमपी का दूसरा मानव दूध बैंक, बच्चों को मिलेगा मां का दूध; कुपोषण से मिलेगी मुक्ति

Human Milk Bank in Rewa Hospital: रीवा में लगभग 20 लाख की लागत से ह्यूमन मिल्क बैंक खुलेगा, जहां ऐसे बच्चों को मां का दूध उपलब्ध कराया जाएगा, जिन्हें किसी कारणवश मां का दूध नहीं मिल पाता.

रीवा में खुलेगा एमपी का दूसरा मानव दूध बैंक, बच्चों को मिलेगा मां का दूध; कुपोषण से मिलेगी मुक्ति

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के सहयोग से मध्य प्रदेश के रीवा जिले में ह्यूमन मिल्क बैंक (Human Milk Bank) जल्दी ही खुलने जा रहा है. जहां मां के दूध को उचित तापमान में स्टोर किया जाएगा और ऐसे बच्चों को दिया जाएगा, जिन्हें इनकी सख्त जरूरत है. रीवा के संजय गांधी अस्पताल के बच्चा वॉर्ड के एचओडी डॉ. नरेश बजाज मानते हैं कि हमारे यहां लगभग 3000 से 5000 एडमिशन हर साल होते हैं.

जहां ज्यादातर बच्चों को मां का दूध किसी न किसी वजह से नहीं मिल पाता. इसकी वजह से यही बच्चा आगे चलकर कुपोषण का शिकार हो जाता है. लगभग 48% बच्चे इस कैटेगरी में आते हैं. बैंक की मदद से कुपोषण को काफी हद तक रोकने में कामयाब हो सकेंगे.

रीवा के संजय गांधी अस्पताल में इंदौर की तर्ज पर प्रदेश का दूसरा ह्यूमन मिल्क बैंक जल्दी ही खुलने जा रहा है. अस्पताल में इसको लेकर तैयारियां तेज हो गई हैं. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के सहयोग से संजय गांधी अस्पताल में बनने वाले ह्यूमन मिल्क बैंक का काम लगभग पूरा होने की कगार पर है. 20 लाख की लागत से बनने वाले बैंक के चेंबर का निर्माण अंतिम चरण में है. मशीनों का ऑर्डर दिया जा चुका है.

इसे जल्दी ही चालू कर दिया जाएगा, जहां मां के दूध को एक नियत टेंपरेचर में स्टोर किया जाएगा. दूध का इस्तेमाल उन बच्चों पर किया जाएगा, जिन्हें किसी न किसी वजह से मां का दूध नहीं मिल पाता. कुछ मां ऐसी होती है, जिनके शरीर में दूध काम बनता है. कुछ मां ऐसी होती हैं, जिन्हें किसी न किसी वजह से दूध ज्यादा बनता है. कुछ मां ऐसी होती हैं, जो किसी परिस्थितिवश अपने बच्चों को खो देती है.

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ऐसी मां की मदद से इस मिल्क बैंक का निर्माण होगा. संजय गांधी अस्पताल की बात की जाए तो यहां लगभग हर साल 3000 से 5000 बच्चों एडमिशन होते हैं. डॉक्टर बजाज साफ तौर से मानते हैं कि मां का दूध ना मिल पाने की वजह से बच्चे कुपोषित हो जाते हैं. खास तौर से समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चे, ऐसे बच्चों का प्रतिशत लगभग 48 प्रतिशत है. यह हमारे शहर के बच्चों के लिए एक बेहतर कदम साबित होगा.

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