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डिंडोरी : छह सालों में 150 से 19 हो गई गौवंशों की संख्या, क्या बदइंतजामी से तोड़ रहे दम, मिले कई शव

Government  Gaushala News :  गौशाला में गौवंश तड़प-तड़पकर दम तोड़ रहे हैं, गौवंशों के लिए भूसे-चारे का इंतजाम नहीं है. रविवार को जब NDTV की टीम पहुंची, तो कुछ मृत गौवंशों के शव मिले. ये मामला डिंडोरी जिले के शहपुरा तहसील के केहेंजरा ग्राम स्थित गौशाला का है.

डिंडोरी : छह सालों में 150 से 19 हो गई गौवंशों की संख्या, क्या बदइंतजामी से तोड़ रहे दम, मिले कई शव
28 लाख रुपये की लागत से बनी थी गौशाला, छह सालों में घटकर 19 बची संख्या, भूख से दमतोड़ रहे गौवंश! 

Negligence In Gaushala : मध्यप्रदेश के आदिवासी बाहुल्य डिंडोरी जिले की सरकारी गौशाला का हाल बेहाल है. हालात अब यहां तक आ चुके हैं कि गोवंश भूख और प्यास से तड़प-तड़पकर अपनी जान दे रहे हैं. परिसर में चारों तरफ अव्यवस्था का मंजर है. रविवार को शहपुरा विधानसभा क्षेत्र के ग्राम पंचायत केहेंजरा में स्थित सरकारी गौशाला में गौवंशों के मृत होने की खबर सामने आई है. गौशाला के अंदर और बाहर मृत गौवंशों के शव पड़े हुए हैं, जिससे अन्य गौवंशों के संक्रमण की चपेट में आने का खतरा बना हुआ है. 

चारा-भूसा और पानी का कोई इंतजाम नहीं !

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गौशाला में गायों के लिए चारा-भूसा और पानी का कोई इंतजाम नहीं है, लिहाजा गाय मिट्टी खाकर पेट भरने के लिए मजबूर हैं. गौशाला के अंदर दो गायों के शव काफ़ी दिनों से पड़े हुए हैं. तो वहीं, कुछ गाय भूख और प्यास की वजह से मरणासन्न स्थिति में तड़पते हुए नजर आ रहे हैं.

NDTV की टीम गौशाला पहुंची, तो पशु चिकित्सा विभाग के कर्मचारी भी गौशाला पहुंच गए. इस बीच वो भी अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ते हुए नजर आए. तो वहीं, इलाके के तहसीलदार पुष्पेंद्र पेंद्रों जांच की बात कर गोलमोल जवाब देते हुए नजर आए.

गौशाला के पीछे करीब पांच गौवंश के अवशेष पड़े मिले

गौशाला के ठीक पीछे करीब पांच गौवंश के अवशेष पड़े हुए हैं, जिससे न सिर्फ गायों को बल्कि ग्रामीणों पर भी संक्रमण का खतरा मंडरा रहा है. हैरान करने वाली बात यह है की गौशाला के मेन गेट पर ताला लगा हुआ है, जिसके कारण गौवंश बाहर भी नहीं निकल सकते हैं. स्थानीय ग्रामीण धनीराम ने बताया की जब गांव में गौशाला की शुरुआत की गई थी, उस वक्त गौशाला में करीब डेढ़ सौ गौवंश थे, लेकिन देखरेख के अभाव में और भूख-प्यास की वजह से लगातार गायों की मौत हो रही है, जिसकी परवाह किसी को भी नहीं है.

फंड का सूखा, स्व सहायता समूह ने भी पीछे किए हाथ

वर्ष 2019 में जब प्रदेश में कमलनाथ सरकार थी, तब जिले के सभी विकासखंडों में लाखों रुपये की लागत से गौशाला का निर्माण कराया गया था.  स्व सहायता समूह की महिलाओं को गौशाला का प्रबंधन करने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई थी. लेकिन फंड न मिलने की वजह से स्व सहायता समूह की महिलाओं ने हाथ खड़े कर दिए. धीरे-धीरे देखरेख के अभाव में गौशाला योजना बदइंतजामी की भेंट चढ़ गई. बता दें, 28 लाख रुपये की लागत से गौशाला बनाई गई थी.

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जानें क्या बोले ग्राम पंचायत सचिव

गौशाला में लगातार हो रही गायों की मौत के मामले में ग्राम पंचायत के सचिव अमर सिंह से जब NDTV ने बात की. पहले तो वे मामले से अनजान बनते हुए नजर आए. फिर जब हमने मृत गायों की तस्वीरें होने की बात कही, तो उनका कहना है कि हो सकता है ठंड की वजह से गायों की मौत हो गई हो. सचिव ने बताया की बरसात के पहले गौशाला प्रबंधन के लिए एक लाख तीस हज़ार रुपये की राशि मिली थी, जिससे चारा भूसा और गौशाला में तैनात दो कर्मचारियों को वेतन दिया गया था. गौशाला में गायों की देखभाल के लिए दो चरवाहे सुखलाल और नानसिंह तैनात हैं, जिन्हें हर महीने चार हज़ार रुपए वेतन दिया जाता है. दिसंबर महीने में ही जनपद पंचायत कार्यालय शहपुरा को ग्रामपंचायत कार्यालय के द्वारा मांगपत्र भेजा गया है.

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