Saurabh Sharma Surrender: 52 KG गोल्ड और करोड़ों कैश वाले सौरभ शर्मा के सरेंडर को लेकर सस्पेंस

Saurabh Sharma Surrender: 17 दिसंबर को सौरभ शर्मा के घर लोकायुक्त के छापे के अलगे दिन आयकर विभाग को भोपाल के करीब एक कार मिली थी. इस कार में 52 किलो सोना मिला था. कार सौरभ शर्मा के दोस्त चेतन सिंह गौर के नाम पर रजिस्टर्ड है, लेकिन इसका उपयोग सौरभ शर्मा के कार्यालय के लोग करते थे.

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Saurabh Sharma Surrender: 52 किलों गोल्ड वाले सौरभ शर्मा ने भोपाल के लोकायुक्त स्पेशल कोर्ट में सरेंडर कर दिया है. हालांकि इसे लेकर अभी सस्पेंस है.  ED और लोकायुक्त के छापे के बाद से धनकुबेर सौरभ शर्मा फरार था. दरअसल, 17 दिसंबर को लोकायुक्त पुलिस ने सौरभ शर्मा के घर पर छापा मारा था. इसके बाद भोपाल, ग्वालियर और महाराष्ट्र के पुणे में भी छापेमारी की गई. 

आरटीओ के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा के ठिकानों पर ईडी, लोकायुक्त और आयकर विभाग द्वारा छापेमारी की गई, जिसमें कुल 93 करोड़ रुपये से अधिक की प्रॉपर्टी मिली थी.

छापेमारी के दौरान सौरभ शर्मा के पास करोड़ों की संपत्ति मिली थी, इसके साथ ही इसके दोस्त चेतन सिंह गौर की गाड़ी से सोना भी बरामद किया गया था. इस कार में 52 किलो सोना और 11 करोड़ रुपये कैश मिला था.

17 दिसंबर को हुई कार्रवाई में सौरभ के घर से 12 लाख रुपये कैश, घर के लगभग 245 किलो चांदी, डिजिटल डिवाइस, सोने-हीरे के जेवर, कई कारें, प्रॉपर्टी के दस्तावेज और नोट गिनने वाली मशीन मिली थी. इसके अलावा बैंक खातों से 30 लाख रुपये की राशि जब्त किया गया था. 

17 दिसंबर को सौरभ शर्मा के घर पर लोकायुक्त के छापे के अलगे दिन आयकर विभाग को भोपाल के पास जंगल में एक कार मिली थी. इस कार में 52 किलो सोना और 11 करोड़ कैश मिला था. कार सौरभ शर्मा के दोस्त चेतन सिंह गौर के नाम पर रजिस्टर्ड है, लेकिन इसका उपयोग सौरभ शर्मा के कार्यालय के लोग करते थे.

सौरभ शर्मा के ठिकानों से 93 करोड़ की संपत्ति बरामद

लोकायुक्त की छापेमारी में सौरभ शर्मा के दो ठिकानों से 4 करोड़ रुपये नकद, 245 किलो चांदी समेत कई प्रॉपर्टी के दस्तावेज और नोट गिनने की 7 मशीनें मिली थी. जिसके बाद ईडी, लोकायुक्त और आयकर विभाग की टीमों ने भोपाल, ग्वालियर और महाराष्ट्र के पुणे में भी छापा मारा था. इस दौरान सौरभ के इन ठिकानों से कुल 93 करोड़ रुपये से अधिक की प्रॉपर्टी मिली.

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बता दें कि पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा के पिता आरके शर्मा सरकारी डॉक्टर थे, लेकिन 2015 में उनका निधन हो गया, जिसके बाद सौरभ को परिवहन विभाग में अनुकंपा पर नियुक्ति मिली थी. हालांकि सात साल तक नौकरी करने के बाद उसने वीआरएस ले लिया था. इसके बाद सौरभ ने काली कमाई शुरू कर दी. 

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