Madhya Pradesh News: जिस जमाने में बेटियां चांद तक का सफर तय कर रहीं हैं, उस दौर में भी बेटियों को बोझ मानने वालों की भी कमी नहीं है. सरकार के तमाम प्रयासों के बाद भी बेटियों को जन्म के बाद छोड़ देने की कुरीति थमने का नाम नहीं ले रही. रविवार को एक ऐसी ही झकझोर देने वाली घटना रामपुर बाघेलान थाना क्षेत्र के बेला से सामने आई, जहां पर महज कुछ दिनों की बेटी को उसके जन्मदाता माता-पिता ने झोले में भरकर मरने के लिए छोड़ दिया.
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जिला अस्पताल में चल रहा है इलाज
लेकिन कहा जाता है कि मारने वाले से बड़ा बचाने वाला होता है और यह बात तब चरितार्थ हुई जब बेटी के रक्षक बनकर कुछ ग्रामीण पहुंच गए. नवजात शिशु के रोने की आवाज सुनकर पहुंचे लोगों ने तुरंत बेला चौकी प्रभारी को सूचना दी. पुलिस आरक्षक चितेन्द्र पांडेय पहुंचे, जिन्होंने सुरक्षित अस्पताल पहुंचाया. अब मासूम बच्ची का इलाज जिला अस्पताल सतना के स्पेशल केयर यूनिट में चल रहा है. फिलहाल बच्ची स्वास्थ्य है.
जन्म के तुरंत बाद छोड़ा
नेशनल हाईवे क्रमांक 30 के किनारे बाईपास पर स्थित चौबे तालाब के पास मिली नवजात के संबंध में जानकारों ने बताया कि उसकी उम्र लगभग 6 से 8 घंटे की है. ऐसे में अनुमान है कि बच्ची की मां ने उसे जन्म के तुरंत बाद ही झोले में भरकर फेंक दिया. वहां से गुजर रहे लोगों को जब बच्चे के रोने की आवाज सुनाई दी तब उन्होंने इस पूरे घटनाक्रम से पुलिस प्रशासन को अवगत कराया और अब उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
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कब रुकेंगी लिंग भेद की घटनाएं
झोला के अंदर मिला मासूम बच्ची को उसके माता-पिता ने क्यों छोड़ा यह तो वही जानें, लेकिन अनुमान है कि लिंग भेद की वजह से ही उसे मरने के लिए छोड़ दिया गया. अब सवाल यह उठता है कि आखिर ऐसी घटनाएं कब रुकेंगी? जिले में इससे पहले भी कई घटनाएं सामने आ चुकी है, जब बेटी होने के चलते उसकेमां-बाप ने उसे किसी रास्ते या सूनसान जगह पर फेंक दिया था.
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