Sarkari Awas: टपकती छत... टूटे दरवाजे... जर्जर हालात! यहां रहते हैं सरकारी कर्मचारी, देखिए ग्राउंड रिपोर्ट

Sarkari Awas News: जर्जर आवासों में कर्मचारी रहते हैं. हैरानी की बात यह है कि शहडोल का PWD लोक निर्माण विभाग हर साल इन आवासों की मरम्मत और पेंटिग पुताई के नाम पर लाखों रुपये के टेंडर निकालकर खर्च कर देता है. लेकिन जमीनी हकीकत यही है कि मरम्मत के नाम पर PWD द्वारा लाखों रुपये मात्र कागजों में खर्च किये जा रहे हैं.

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Sarkari Awas: जर्जर सरकारी आवास

Sarkari Awas in MP: मध्य प्रदेश के शहडोल जिला मुख्यालय में पांडवनगर स्थित सरकारी कर्मचारियो के रहने के आवासों (Sarkari Awas) की हालत जर्जर हो गयी है. जर्जर टूटे आवास अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहे हैं, घरों की छतों में पन्नियां और बरसाती लगी हैं, सीवेज की समस्या है. छत उखड़ी पड़ी है, दीवारों के प्लास्टर झड़ गए हैं, खिड़कियां और दरवाजे टूटे हुए हैं, खंडहर हो रहे इन सरकारी आवासों की कई साल से मरम्मत नहीं कराई गई है. NDTV की टीम इन सरकारी आवास में पहुंची और यह रहने वाले कर्मचारियों से बात की. देखिए ये ग्राउंड रिपोर्ट.

Sarkari Awas: जर्जर सरकारी आवास

कहां बने हैं ये आवास?

ये आवास शहडोल जिला मुख्यालय पांडवनगर में स्थित हैं. कर्मचारियों के रहने के लिए बनाए गए इन सरकारी आवासों की हालत बदहाल हो चुकी है. इन्हीं जर्जर आवासों में कर्मचारी रहते हैं. हैरानी की बात यह है कि शहडोल का PWD लोक निर्माण विभाग हर साल इन आवासों की मरम्मत और पेंटिग पुताई के नाम पर लाखों रुपये के टेंडर निकालकर खर्च कर देता है. लेकिन जमीनी हकीकत यही है कि मरम्मत के नाम पर PWD द्वारा लाखों रुपये मात्र कागजों में खर्च किये जा रहे हैं, जिसके चलते ये आवास पूरी तरह जर्जर हो चुके हैं. बारिश में इन मकानों की छत से पानी टपकता है. दीवारों और छतों के प्लास्टर उखड़ गए है, छतों और दीवारों में सीपेज आ गया है. दरवाजे खिड़कियां टूट गयी है.

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Sarkari Awas: जर्जर सरकारी आवास

रहवासी कर्मचारियों ने क्या कहा?

यहां रहने वाले कर्मचारियों ने बताया कि हम इन्हीं टूटे जर्जर मकानों में रह रहे हैं, कई बार आवासों की मरम्मत के लिए PWD को कहा लेकिन कोई मरम्मत नहीं हुई, हम लोग खुद इन आवासों की मरम्मत और पुताई कराकर किसी तरह रह रहे है.

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बारिश के दौरान यहां के कर्मचारी और परेशान हो जाते हैं, छत टपकती है. इस समस्या से तंग आकर कुछ कर्मचारी तो बारिश में इन आवासों को छोड़ कर किराए के मकान में रहने चले जाते हैं. कर्मचारियो का कहना है कि कई साल से खुद हम लोग थोड़ा बहुत मरम्मत कराकर रह रहे है. PWD वाले नहीं आते. वहीं इन आवासों की मरम्मत के लिए जिम्मेदार PWD, लोक निर्माण विभाग के अधिकारी कुछ भी कहने से बच रहे हैं.

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