इस शिक्षक को सैल्यूट: 166 छात्र, आठ कक्षाएं और अकेले चला रहे नियमित स्कूल, जानें कितनी परेशानियों का करना पड़ता है सामना

Satna News: जिले में एक ऐसे भी शिक्षक हैं, जो एक साल से अकेले ही सभी तरह के रोल निभा रहे है. विभागीय कार्य से बाहर जाने पर आंगनबाड़ी की सहायिका सहयोग दे रही है.

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एक शिक्षक के भरोसे चल रहा पूरा स्कूल

Special School Teacher: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के सतना (Satna) जिले में उचेहरा के पहाड़ क्षेत्र के गांव पिपरिया में स्थित माध्यमिक विद्यालय (Middle School) एक ही टीचर के भरोसे चल रहा है... स्कूल में तैनात प्रभारी हेडमास्टर बालगोविंद कोल एक मात्र नियमित शिक्षक हैं. उनके अलावा विद्यालय में किसी और शिक्षक की नियुक्ति नहीं हुई है. विद्यालय कक्षा एक से कक्षा 8वीं तक है, जिसमें 166 छात्र-छात्राएं पंजीकृत हैं. जबकि, 30 बच्चों पर एक शिक्षक की नियुक्ति होना जरूरी है. स्कूल में प्रधानाचार्य की नियुक्ति भी नहीं है. ऐसे में बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती है.

इन कार्यों को एक ही शिक्षक कर रहे

सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के पास शिक्षण कार्य के अलावा भी कई कार्य होते हैं. जिसमें नामांकन, सर्वे, छात्रवृत्ति वितरण, पुस्तक वितरण, यूनिफॉर्म वितरण और परीक्षा ड्यूटी सहित तमाम अन्य काम शामिल हैं. इस तरह एक विद्यालय का बहुत कार्य होता है. ऐसे में शिक्षक बालगोविंद करीब एक वर्ष से यह जिम्मेदारी निभा रही हैं. जिससे छात्र-छात्राओं को पढ़ाने के लिए पूरा समय नहीं मिल पाता. एक शिक्षक होने से सभी विषय नहीं पढ़ाई नहीं हो पाती. कक्षा आठवीं के छात्रों ने बताया कि मात्र एक अध्यापक हैं. ऐसे में सभी कक्षाएं एक साथ चलती हैं. इस वजह से छात्र-छात्राओं को पढ़ाई में बहुत सी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

कैसे करते हैं मैनेज

शिक्षक बालगोविंद 166 छात्रों के साथ नियमित स्कूल संचालित करते हैं. जब उन्हें किसी भी वरिष्ठ कार्यालय के लिए जाना पड़ता है, तो वे आंगनबाड़ी केन्द्र की सहायिका का सहयोग लेते हैं. सहायिका इस दौरान बच्चों को क्लास में पढ़ाई करने के लिए प्रेरित करती है. कुछ सीनियर छात्र जूनियर क्लास के बच्चों को पढ़ाते हैं. इस प्रकार से स्कूल किसी तरह से मैनेज हो पा रही है.

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एक से पांच तक एक ही क्लास

शिक्षक श्री कोल ने बताया कि जब वे स्कूल में रहते हैं, तो नियमित रूप से क्लास लेते हैं. पहले कक्षा एक से लेकर पांचवीं तक के बच्चों को पढ़ाते हैं. इसके बाद कक्षा छठवीं से लेकर आठवीं तक की क्लास अलग-अलग लेते हैं. पिछले एक साल से अकेले पढ़ाई कराने के बाद भी विद्यालय में कक्षा आठवीं की परिणाम 58 फीसदी से अधिक रहा. वहीं, जब विद्यालय में शिक्षकों की कमी को लेकर जिला शिक्षा अधिकारी नीरव दीक्षित से जानकारी ली गई, तो उन्होंने कहा कि विद्यालय में जल्द ही अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति की जाएगी ताकि बच्चों की पढ़ाई हो सके.

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