Sagar: डॉ. दीपक दुबे की बढ़ी मुश्किलें, डीएम के निर्देश पर CMO ने जारी किया नोटिस

Sagar News In Hindi: सागर कलेक्टर संदीप जी. आर. के निर्देश पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर ममता तिमोरी ने डॉ. दीपक दुबे के मामले को लेकर कारण बताओ नोटिस जारी किया है.बता दें कि दुबे को तत्काल प्रभाव से सिविल अस्पताल बीना में कार्य करने के लिए निर्देशित किया है.

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MP News In Hindi: सागर से डॉ. दीपक दुबे के मामले बड़ा पर अपडेट आया है. पुलिस थाना केसली में डॉ. दीपक दुबे चिकित्सा अधिकारी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र केसली, के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराई गई थी. कलेक्टर संदीप जी आर के निर्देश पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर ममता तिमोरी के द्वारा उक्त घटना में एक्शन लिया गया. डॉ. दीपक दुबे को तत्काल प्रभाव से सिविल अस्पताल बीना में कार्य करने के लिए निदेर्शित किया. डॉ. दुबे तत्काल अपनी उपस्थिति खंड चिकित्सा अधिकारी सिविल अस्पताल बीना के समक्ष देना सुनिश्चित करें.

रिश्वत मांगने का लगा था आरोप

डॉक्टर दीपक दुबे के द्वारा द्वारा सर्प के काटने से मृतक धनसींग यादव उम्र 70 वर्ष , के पोते रोहित यादव से पोस्टमार्टम रिपोर्ट देने के एवज में मृतक के परिजनों को मिलने वाली सहायता राशि 4 लाख रुपये की 10 प्रतिशत राशि की मांग की गई. राशि न देने की स्थिति में पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सर्प के काटने से मृत्यु का उल्लेख न कर नार्मल रिपोर्ट थाना में भेजने को कहा गया.

FIR दर्ज कराई गई थी

राशि न देने के कारण डॉ. दुबे के द्वारा मृतक की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सर्प काटने से मृत्यु होना नहीं लिखा गया और नार्मल मृत्यु की रिपोर्ट प्रस्तुत की गई. इस संबंध में संबंधित मृतक के पोते रोहित यादव के द्वारा पुलिस थाना केसली मे डॉक्टर दीपक दुबे के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराई गई थी.

इस संबंध में कारण बताओ नोट जारी

डॉक्टर की कार्य के प्रति लापरवाही एवं उदासीनता पूर्ण सामने आई है, साथ ही उक्त कृत्य से विभाग की छवि आमजन के समक्ष धूमिल हुई है, जिस पर सागर कलेक्टर संदीप जी. आर. के निर्देश पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर ममता तिमोरी ने इस संबंध में कारण बताओ नोट जारी किया है.

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स्पष्टीकरण मांगा

नोटिस के अनुसार डॉक्टर दीपक दुबे चिकित्सा अधिकारी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र केसली का  उपरोक्त कृत्य मध्यप्रदेश सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के अनुरूप न होकर कदाचरण की श्रेणी में आता है, डॉ. द्वारा उक्त नियमों का पालन न करने के कारण, स्वयं अनुशासनात्मक कार्रवाई के भागी बन गए हैं. अनुशासनात्मक कार्रवाई किए जाने हेतु वरिष्ठ कार्यालय को भेजा जाकर एवं 2 वेतन वृद्धियां असंचयी प्रभाव से रोकने की कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी,तत्संबंध में डॉक्टर दुबे से 24 घंटे के अंदर स्पष्टीकरण मांगा गया. 

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 डॉ. दीपक दुबे का बयान

डॉ. दीपक दुबे ने कहा- मुझ पर झूठा रिश्वत मांगने का आरोप लगाया गया. उनके पास कोई साक्ष्य नहीं हैं, पूरे आरोप निराधार हैं, अगर उनके पास कोई रिश्वत मांगने का आरोप है, तो वह सामने-सामने लेकर आएं. पीएम रिपोर्ट में सर्पदंश लिखने का अनावश्यक परिजन बना दबाव रहे थे. मुझे अनावश्यक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है. 

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