Miracle Operation: डॉक्टरों ने किया बड़ा कारनामा, मासूम की जोड़ दी कटी हथेली, 7 से 8 घंटे तक चला ऑपरेशन

Miracle Operation: दरअसल, 9 वर्षीय मासूम की हथेली पूरी तरह कटकर अलग हो गई थी. संजय गांधी अस्पताल के प्लास्टिक सर्जन व उनकी टीम ने ऑपरेशन कर हथेली को दोबारा जोड़ दिया. प्लास्टिक सर्जन ने बताया कि मरीज समय पर अस्पताल पहुंच गया इसलिए ऑपरेशन कामयाब रहा.

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Miracle Operation in Rewa Sanjay Gandhi hospital

Palm Operation:  रीवा जिले के संजय गांधी अस्पताल में डाक्टर्स की टीम ने दुर्घटना में कटे एक मासूम की कटी हुई हथेली जोड़कर बड़ा कारनामा करने का मामला सामने आया है. प्लास्टिक सर्जन डॉक्टर व उनकी टीम ने चारा मशीन से चारा काटते समय हाथ से अलग हुए 9 वर्षीय मासूम की हथेली को हाथ से जोड़ने के लिए लंबा ऑपरेशन करना पड़ा.

दरअसल, 9 वर्षीय मासूम की हथेली पूरी तरह कटकर अलग हो गई थी. संजय गांधी अस्पताल के प्लास्टिक सर्जन व उनकी टीम ने ऑपरेशन कर हथेली को दोबारा जोड़ दिया. प्लास्टिक सर्जन ने बताया कि मरीज समय पर अस्पताल पहुंच गया इसलिए ऑपरेशन कामयाब रहा.

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हथेली कटने के बाद समय पर अस्पताल पहुंचा मासूम

हाथ से अलग हुए हथेली को छोटे से अंतराल में जोड़ने वाले संजय गांधी अस्पताल के प्लास्टिक सर्जन डाक्टर अजय पाठक और उनकी टीम की खूब प्रशंसा हो रही है. डॉक्टर्स का कहना है कि ऑपरेशन पूरी तरीके से कामयाब रहा है. उन्होंने कहा कि हथेली कटने के बाद बच्चा समय पर अस्पताल पहुंच गया था, जिसके चलते यह सफलता मिली है. 

चारा मशीन से कटी हथेली को डाक्टर्स ने दोबारा जोड़ा

 परिजनों के मुताबिक 9 वर्षीय मासूम रोज की तरह बुधवार को मवेशियों के लिए मशीन से चारा काट रहा था. इसी दौरान उसका हाथ मशीन में आ गया, जिससे उसके हाथ का पंजा कटकर अलग हो गया. परिजन तत्काल मासूम को लेकर संजय गांधी अस्पताल पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने 7- 8 घंटे चले ऑपरेशन में पंजे को हाथ जोड़ने में सफलता हासिल कर ली.

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प्लास्टिक सर्जन अजय पाठक और टीम ने हाथ से पूरी तरह अलग मासूम को पंजे को दोबारा हाथ से जोड़ने के लिए कुल 7-8 घंटे का ऑपरेशन किया, लेकिन डाक्टर्स की अंतिम सफलता सुबह मिली. ऑपरेशन जब खत्म हुआ तो मासूम का पंजा उसके हाथ से पूरी तरह जुड़ चुका था. 

मासूम का कटा हुआ पंजा लेकर अस्पताल पहुंचे थे परिजन

रिपोर्ट के मुताबिक सेमरिया थाना क्षेत्र के बरौं गांव निवासी 9 वर्षीय अनुराग पांडे को उसके कटे हुए पंजे को लेकर जब उसके परिजन अस्पताल पहुंचे तो वहां मौजूद लोगों के साथ डॉक्टरों के भी होश उड़ गए. प्लास्टिक सर्जन डाक्टर जांच के लिए बच्चे को तुरंत ऑपरेशन थिएटर ले गए, जहां ऑपरेशन के बाद पंजे को हाथ जोड़ दिया गया.

फिलहाल डाक्टरों की निगरानी में रखा गया है मासूम

ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर अजय पाठक ने बताया कि इस तरीके के ऑपरेशन में समय का बड़ा महत्वपूर्ण रोल होता है. मरीज समय से अस्पतला पहुंच गया और मौके पर मौजूद डॉक्टरों की टीम ने मुस्तैदी से उसके ऑपरेशन में जुट गए, जिससे मासूम के पंजे को हथेली से जोड़ने में सफलता मिल गई.

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बकौल प्लास्टिक सर्जन, समय पर मरीज के अस्पताल पहुंचने और ऑर्थोपेडिक्स, सर्जरी डाक्टर, एनेस्थीसिया स्टाफ और सपोर्टिंग स्टाफ की मौके पर मौजूदगी ने काम को आसान बना दिया वरना कुछ भी हो सकता था. उन्होंने बताया कि ऐसे मामलों में 5 से 6 घंटे बेहद महत्वपूर्ण होते हैं. 

पंजे में हरकत आई तो मासूम के चेहरे पर लौट आई

संजय गांधी अस्पताल के प्लास्टिक सर्जन अजय पाठक और उनकी टीम ने चारा मशीन से कटे हुए मासूम के पंजे को हाथ से दोबारा जोड़कर निःसंदेह बड़ा करिश्मा कर दिया, जिससे मासूम को नया जीवन मिला है. 7-8 घंटे तक चले ऑपरेशन के बाद जब मासूम के पंजे में हरकत आई तो उसके चेहरे पर मुस्कान लौट आई.

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