Vidisha: शिवराज सिंह चौहान की विदिशा में बगावत; BJP पार्षद अपनी ही पार्टी के खिलाफ धरने पर

Vidisha News: विदिशा में सब ठीक नहीं है. कल तक जो नेता एक-दूसरे के धुर विरोधी थे, आज हाथ में हाथ डालकर खड़े हैं. और यही वजह है कि पार्षद खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं.

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Vidisha News: शिवराज सिंह चौहान की विदिशा में बगावत; BJP पार्षद अपनी ही पार्टी के खिलाफ धरने पर

Vidisha News: मध्य प्रदेश की राजनीति में बीजेपी का मजबूत गढ़ माने जाने वाला विदिशा इन दिनों अंदरूनी कलह से उबल रहा है. अटल बिहारी वाजपेयी, सुषमा स्वराज और शिवराज सिंह चौहान जैसी दिग्गज हस्तियों की राजनीतिक विरासत वाली इस सीट पर, अब पार्टी के अंदर ही बगावत की आग धधक उठी है. बीजेपी के पार्षदों का अनिश्चितकालीन धरना गांधी प्रतिमा के नीचे पिछले करीब तीन हफ्तों से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठे नेता कोई विपक्षी नहीं, बल्कि बीजेपी के ही पार्षद हैं. जिन नेताओं ने कल तक मंच साझा कर पार्टी के लिए नारे लगाए, आज वही अपनी ही पार्टी के खिलाफ सड़क पर उतर आए हैं.

Vidisha News: बीजेपी पार्षदों का धरना

पार्षदों का क्या आरोप है?

पार्षदों का आरोप है कि नगर पालिका विकास के बजाय भ्रष्टाचार का केंद्र बन चुकी है. किसी का निशाना स्थानीय विधायक मुकेश टंडन पर है, तो किसी के आरोप सीधे नगर पालिका अध्यक्ष प्रीति शर्मा पर. पार्षदों का सवाल है कि “जनता के बीच क्या जवाब लेकर जाएं? शहर में काम ठप हैं, वादे पूरे नहीं हुए.”

Vidisha News: बीजेपी पार्षदों का प्रदर्शन

 मशाल जुलूस से अर्थी तक विरोध प्रदर्शन

कड़ाके की सर्दी में भी पार्षदों का गुस्सा कम नहीं हुआ है. कभी मशाल जुलूस निकालते हुए ‘भ्रष्टाचार खत्म करो' के नारे,
तो कभी भ्रष्टाचार की प्रतीकात्मक ‘अर्थी' उठाकर ‘राम नाम सत्य है' कहते हुए इनका साफ आरोप है कि “जो कुछ हो रहा है, सब विधायक के इशारे पर.”

विधायक का जवाब

वहीं दूसरी ओर विधायक मुकेश टंडन इस मामले को बड़ा संकट नहीं मानते. उनका कहना है—“कुछ गलतफहमियां हैं. सभी को मिलकर विदिशा का विकास करना है.”

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शिवराज-बीजेपी का गढ़

यह वही विदिशा है जहां से अटल और सुषमा स्वराज ने राजनीति की ऊंचाइयाँ हासिल कीं, और आज जहां केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान सांसद हैं. शिवराज नाराज़ पार्षदों को मनाने में जुटे हैं. उनका कहना है—“ये घर का मामला है… जल्द सुलझा लिया जाएगा.”

लेकिन तस्वीर साफ दिखाती है— विदिशा में सब ठीक नहीं है. कल तक जो नेता एक-दूसरे के धुर विरोधी थे, आज हाथ में हाथ डालकर खड़े हैं. और यही वजह है कि पार्षद खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं.

राजनीति का यही नियम है न कोई स्थायी दोस्त, न कोई स्थायी दुश्मन. “विदिशा— जहाँ बीजेपी के किले को अजेय माना जाता रहा है. आज वहां बगावत की यह चिंगारी खुलकर सामने आ चुकी है.”

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