Madhya Pradesh: रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के कई छात्रों को मिले '0' नंबर,  जानें क्या है पूरा मामला ? 

MP News: जबलपुर की रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय ने एक और नया कारनामा कर दिया है.  इस बार B.A. और B.COM की पूरक परीक्षा देने वाले दर्जनों छात्रों को शून्य या 10 से कम नंबर ही मिले हैं. विद्यार्थी परेशान हैं कि उन्होंने पूरा पेपर किया था उसके बाद भी उन्हें शून्य नंबर कैसे मिल सकते हैं? 

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Jabalpur News: मध्य प्रदेश के जबलपुर के रानी दुर्गावती यूनिवर्सिटी (Rani Durgavati University Jabalpur) की पूरक परीक्षाओं के परिणामों ने सभी को चौंका कर रख दिया है. B.A. और  B.COM की पूरक परीक्षा देने वाले दर्जनों विद्यार्थियों को पूरक परीक्षा में शून्य या 10 से कम नंबर ही मिले हैं. जबकि छात्रों का दावा है कि उन्होंने शून्य अंक के लायक प्रश्न पत्र हल नहीं किए थे. अब चिंतित छात्र फिर से जांच कराने की मांग कर रहे हैं. 

इस विश्वविद्यालय में पूरक परीक्षाओं (Supplementary exam) के रिजल्ट आने के बाद अनेक छात्रों ने NDTV से चर्चा करते हुए बताया कि पूरे कॉलेज को ही एक बार फिर सप्लीमेंट्री एग्जाम में फेल कर दिया गया है. B.A. या B.COM के जिन छात्रों ने सप्लीमेंट्री एग्जाम दिए थे, उनमें से बहुत से फेल हो गए  हैं.  छात्रों का आरोप है कि ऐसा संभव नहीं है कि किसी कॉलेज के सभी के सभी छात्र एक बार फिर फेल हो जाएं. एक छात्र ने बताया कि उसे पहले ज्यादा नंबर मिले थे. लेकिन सप्लीमेंट्री एग्जाम के बाद नंबर कम हो गए. अगर मामला किसी एक- दो विद्यार्थियों के साथ होता तो माना जा सकता था कि वह पढ़ने में कमजोर है इसलिए पास नहीं हो पाए. लेकिन विश्वविद्यालय में दर्जनों विद्यार्थी अपनी अंक सूची लेकर घूम रहे थे जिन्हें जीरो या 10 से कम अंक प्राप्त हुए हैं.

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पुनर्मूल्यांकन की दी जा रही है सलाह

विद्यार्थियों ने बताया कि उनसे कहा जा रहा है कि एक बार वह पुनर्मूल्यांकन करा लें. जिसकी फीस ₹600 है ,जो विद्यार्थियों की कमजोर आर्थिक परिस्थितियों के कारण उन्हें ज्यादा लग रही है लेकिन विश्वविद्यालय के नियम के अनुसार बिना ₹600 की फीस जमा किए पुनर्मूल्यांकन नहीं किया जा सकता है.  इसलिए अब छात्र कुलगुरु और कुल सचिव से निवेदन कर रहे हैं कि इतनी बड़ी संख्या के छात्रों को पुनर्मूल्यांकन की फीस जमा करने के लिए बाध्य न कर उन सभी की कॉपियां एक बार पुनः  जांच करवाई जाए जिन्हें 10 या 10 से कम अंक मिले हैं. 

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कुलसचिव ने दिया ये जवाब

कुलसचिव दीपेश मिश्रा ने NDTV से बात करते हुए कहा कि नई शिक्षा नीति के तहत जिन छात्रों को 35 अंक से कम अंक मिलते हैं उन्हें  ग्रेड पॉइंट  और क्रेडिट मार्कस जीरो मिलते हैं इसलिए भी छात्रों में भ्रम फैल रहा है कि उन्हें जीरो अंक प्राप्त हो रहे हैं . दीपेश मिश्रा ने NDTV से कहा की यदि बच्चों को सैद्धांतिक प्रश्नों में जीरो अंक प्राप्त हुआ है तो इसकी जांच वह जरूर करेंगे. यदि यह गड़बड़ी हुई है तो इन छात्रों की उत्तर पुस्तिकाओं को उनके अभिभावकों के सामने खोला जाएगा. कुल सचिव का कहना है कि अनेक बार छात्र ऐसे जवाब नहीं लिखते जिसमें कोई नंबर दिया जाए और बाद में आरोप लगाते हैं. इसलिए जो बच्चों को शून्य नंबर मिले हैं, उनके अभिभावकों को विश्वविद्यालय बुलाकर उनके सामने ही पुनर्मूल्यांकन  कराया जाएगा. ताकि वह देख सकें कि छात्र या छात्रा ने क्या लिखा है और उसे क्यों शून्य अंक प्राप्त हुआ है? 

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टेबुलेटर पर भी है लापरवाही के आरोप

जब कॉपियों के मूल्यांकन के बाद रिजल्ट तैयार करना होता है तब एक जिम्मेदार अधिकारी को टेबुलेटर नियुक्त किया जाता है. जो रिजल्ट पर जांच कर रिजल्ट जारी करने की अनुमति देता है लेकिन छात्रों का आरोप है कि जब इतने सारे छात्रों को 10 या 10 से कम अंक मिल रहे थे, तब रिजल्ट घोषित करने के पहले ही टेबुलेटर को इस पर आपत्ति उठाकर एक बार जांच करनी चाहिए थी. ऐसा लगता है कि टेबुलेटर ने बिना जांच किए ही परिणाम घोषित कर दिए.

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