BSC सेकेंड ईयर परीक्षा का प्रश्न, 'रानी दुर्गावती का मकबरा कहां है?' भड़के छात्र और इतिहास-प्रेमी

Rani Durgavati Tomb Or Rani Durgavati Samadhi Sthal: दरअसल, 3 मई, 2025 को रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय द्वारा कराए गए बीएससी सेकेंड ईयर के फाउंडेशन कोर्स में एक सवाल पूछा गया. परीक्षा का सवाल था- 'रानी दुर्गावती का मकबरा कहां स्थित है?' इस सवाल ने सभी छात्रों को हैरत में डाल दिया, क्योंकि वीरांगना रानी दुर्गावती एक हिंदू थीं, लेकिन पूछा गया कि उनका मकबरा कहां है?

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Students and historian got angry over Rani Durgavati University BA exam question

Rani Durgavati Tomb: रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय एक बार फिर विवादों के घेरे में है. इस बार मुद्दा परीक्षा केंद्र और परिणामों की देरी का नहीं है, बल्कि बेहद संवेदनशील है, जिसने जनभावनाओं को गहराई से आहत कर दिया है. जी हां, विश्वविद्यालय के बीएससी सेकेंड में पूछे गए एक सवाल ने छात्रों को ही नहीं, इतिहासकारों को आगबबूला कर दिया है. आहत लोग अब विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. 

दरअसल, 3 मई, 2025 को रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय द्वारा कराए गए बीएससी सेकेंड ईयर के फाउंडेशन कोर्स में एक सवाल पूछा गया. परीक्षा का सवाल था- 'रानी दुर्गावती का मकबरा कहां स्थित है?' इस सवाल ने सभी छात्रों को हैरत में डाल दिया, क्योंकि वीरांगना रानी दुर्गावती एक हिंदू थीं, लेकिन पूछा गया कि उनका मकबरा कहां है?

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प्रश्न-पत्र उस विश्वविद्यालय ने तैयार किया, जिसका नामकरण रानी दुर्गावती नाम पर है

रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित परीक्षा के प्रश्न पत्र के सवाल से इतिहासकार हैरान हैं. दिलचस्प यह है कि प्रश्नपत्र उस विश्वविद्यालय द्वारा तैयार किया गया है, जिसका नाम रानी दुर्गावती के नाम पर है. वीरांगना रानी दुर्गावती के समाधि स्थल को ‘मकबरा' बताना किसी भी हिंदू धर्मावलंबी की भावनाओं को आहत करने के लिए काफी है.

विश्वविद्यालय परीक्षा के सवाल में ‘समाधि' की जगह ‘मकबरा' लिखने से मचा बवाल

परीक्षा में पूछे गए विवादित 'रानी दुर्गावती का मकबरा कहा है?' प्रश्न संख्या 42 में 4 विकल्प दिए गए थे. पहला विकल्प (a) बरेला, दूसरा (b) बम्हानी, तीसरा (c) चौथा चारगुंवा और चौथा (d) डंडई दिया गया था. सही उत्तर बरेला है, जहां वास्तविक रूप में रानी दुर्गावती की समाधि है. लेकिन सवाल में ‘समाधि' की जगह ‘मकबरा' लिखे जाने से बवाल मच गया है.

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वीरांगना रानी दुर्गावती का बलिदान न केवल गोंडवाना की शान है, बल्कि पूरे देश में मातृशक्ति के प्रतीक के रूप में उन्हें पूजा जाता है. ऐसे में ‘समाधि' की जगह ‘मकबरा' शब्द का प्रयोगन केवल तथ्यात्मक भूल है, बल्कि सांस्कृतिक असंवेदनशीलता का भी उदाहरण बन गया है.

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छात्र संगठन एनएसयूआई ने दिया विश्वविद्यालय प्रशासन को दिया अल्टीमेटम

रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय द्वारा की गई भूल को लेकर एनएसयूआई के अध्यक्ष सचिन रजक ने विश्वविद्यालय प्रशासन को चेताया है कि यदि जिम्मेदारों पर जल्द कार्रवाई नहीं हुई और सार्वजनिक माफी नहीं मांगी गई, तो उग्र प्रदर्शन किया जाएगा. संगठन ने इसे न केवल परीक्षा में त्रुटि, बल्कि जनमानस और इतिहास के साथ खिलवाड़ बताया है.

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विश्वविद्यालय प्रशासन ने मानी गलती, विवादित प्रश्न- पत्र के जांच की बात कही

मामले के तूल पकड़ने पर विश्वविद्यालय परीक्षा नियंत्रक प्रोफेसर रश्मि टंडन ने इस त्रुटि को गंभीर मानते हुए कहा, "यह एक बड़ी लापरवाही है. हम सभी जानते हैं कि रानी दुर्गावती की समाधि है, मकबरा नहीं. हम इसकी जांच कर रहे हैं कि यह गलती कैसे हुई. उन्होंने कहा कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

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वीरांगना रानी दुर्गावती की समाधि स्थल का मकबरा बताने का मुद्दा केवल प्रश्न की त्रुटि नहीं रहा, यह जनगौरव और सांस्कृतिक सम्मान से जुड़ चुका है. रानी दुर्गावती के बलिदान की गाथा को ‘मकबरे' जैसे शब्द से धुंधला करना न केवल अज्ञानता है, बल्कि शहीदों की गरिमा के खिलाफ भी है.

इतिहासकारों व सामाजिक संगठनों ने विश्वविद्यालय के खिलाफ जताई नाराजगी

वहीं, मामले को लेकर इतिहासकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के खिलाफ नाराजगी जताई है. उन्होंने इसे वीरता के प्रतीक रानी दुर्गावती के सम्मान का अपमान बताया है. उनका कहना है कि विश्वविद्यालय जैसे संस्थानों से ऐतिहासिक तथ्यों के प्रति संजीदगी की अपेक्षा की जाती है.

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