33 साल बाद राजगढ़ से चुनावी मैदान में दिग्विजय सिंह, कहा- बीजेपी वाले चाहते हैं मेरा जनाजा निकले

मध्यप्रदेश की 29 लोकसभा सीटों में इस बार राजगढ़ लोकसभा सीट पर हाईप्रोफाइल हो गई है...क्योंकि यहां 33 सालों बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह इस सीट से लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं. जिसके कारण यहां मुकाबला दिलचस्प हो गया है. उ धुंआधार प्रचार में जुटे दिग्विजय सिंह से बात की हमारे स्थानीय संपादक अनुराग द्वारी ने. जिसमें उन्होंने बीजेपी पर तो जमकर हमले किए ही साथ ही साथ ये भी बताया कि वे राजगढ़ के लिए क्या करने जा रहे हैं.

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Lok Sabha Elections 2024: मध्यप्रदेश की 29 लोकसभा सीटों में इस बार राजगढ़ लोकसभा सीट पर हाईप्रोफाइल हो गई है...क्योंकि यहां 33 सालों बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) इस सीट से लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं. जिसके कारण यहां मुकाबला दिलचस्प हो गया है. उनका मुकाबला यहां के मौजूदा बीजेपी सांसद रोडमल नागर (Rodmal Nagar) से है. धुंआधार प्रचार में जुटे दिग्विजय सिंह से बात की हमारे स्थानीय संपादक अनुराग द्वारी ने. जिसमें उन्होंने बीजेपी पर तो जमकर हमले किए ही साथ ही साथ ये भी बताया कि वे राजगढ़ के लिए क्या करने जा रहे हैं. दिग्विजय सिंह ने तंज कसते हुए कहा- मेरा मुकाबला रोडमल नागर से है न कि भगवान राम से...जैसा बीजेपी अपने प्रचार में कह रही है. यदि भगवान राम पर्चा भरते तो मैं चुनाव ही नहीं लड़ता. इसी बातचीत में दिग्विजय सिंह ने कहा कि इस बार उनका मुकाबला भारतीय जनता पार्टी और EVM दोनों के खिलाफ है. उन्होंने दावा किया कि जनता उन पर ही भरोसा जताएगी. इसी विश्वास के साथ वे लोगों से कह रहे हैं- इतने वोट दो कि ईवीएम भी हारे और बीजेपी भी.  

'33 साल में राजगढ़ में कुछ भी नहीं बदला'

 उन्होंने बताया कि वे 33 साल बाद राजगढ़ से चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन इस दौरान यहां कुछ भी नहीं बदला. वे बताते हैं कि आप इलाके के तमाम गावों में घूम आइए इस पठारी इलाके में आपको पानी की भयंकर कमी दिखाई देगी. इस इलाके में पानी को स्टोर करके रखने की जरूरत होती है. लेकिन ग्रामीण इलाकों में हैंडपंप चल ही नहीं रहे हैं. पानी है नहीं. मैं जब यहां से सांसद था तो वाटर शेड मेरा मिशन था. तब खेत का पानी खेत में और गांव का पानी गांव में रहता था. ट्यूबवेल सूखते नहीं थे. आज इलाके में सूखा पड़ा है. ये सरकार बेहद ही असंवेदनशील है. हमारे समय में ऐसा होने पर सूखाग्रस्त इलाका घोषित हो जाता था. लोगों को टैंकर से पानी दिया जाता था. जिसकी वजह से राजगढ़ में पलायन हो रहा है.  उन्होंने बताया था कि मैं जब मुख्यमंत्री था तब यहां मैंने सिंचाई के साधन को बढ़ाया. जिससे यहां लोगों को गेंहू मिलने लगा था.दिग्विजय सिंह के मुताबिक यहां के सांसद ने फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाने का वादा किया था जिसे पूरा नहीं किया गया. अगर ये होता तो किसानों को काफी राहत मिलता.

400 उम्मीदवार क्यों नहीं खड़ा किया दिग्विजय सिंह ने?

 EVM को लेकर दिग्विजय सिंह अक्सर आलोचना करते रहते हैं. मौजूदा चुनाव में भी उन्होंने राजगढ़ से 400 उम्मीदवारों को खड़ा करने का चर्चित ऐलान किया था ताकि EVM फेल हो जाए.जब उनसे सवाल पूछा गया क्या उन्हें इतने उम्मीदवार नहीं मिले तो उन्होंने बताया कि मेरे इस ऐलान से चुनाव आयोग घबरा गया था. आयोग ने बताया कि एक और कंट्रोल यूनिट लगा कर वे 384 उम्मीदवारों के लिए इंतजाम कर सकते हैं. जिसके बाद मैंने अपनी ये मुहिम छोड़ दी. दिग्विजय सिंह से जब पूछा गया कि आखिर बीजेपी को आपसे इतना 'प्यार' क्यों है? इसके जवाब में उन्होंने कहा- अभी अमित शाह ने चुनावी सभा की थी जिसमें उन्होंने 17 बार मेरा नाम लिया. वे मेरा जनाजा निकालना चाहते हैं. दिग्विजय सिंह ने पूछा- आखिर कांग्रेस के घोषणापत्र के बारे में बीजेपी इतनी चिंता क्यों करती है. प्रधानमंत्री मोदी भी इसको लेकर झूठ बोलते हैं. आज बात होनी चाहिए किसानों की, महंगाई की,रोजगार की लेकिन ये बात करते हैं मंगलसूत्र की, मीठ की, मछली की और मुस्लिम की...क्या ये मुद्दे हो सकते हैं. एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि मेरे प्रचार के लिए राहुल-प्रियंका को मैं परेशान नहीं करता. अशोक गहलोत और सचिन पायलट मेरे प्रचार के लिए राजगढ़ आएंगे. 

राजगढ़ से 2 बार सांसद रह चुके हैं दिग्विजय सिंह

दिग्विजय सिंह को 33 साल बाद राजगढ़ सीट से कांग्रेस का उम्मीदवार बनाया गया है. उन्होंने 1984 और 1991 में सीट जीती, लेकिन 1989 में उसी सीट से हार गए थे. उनके छोटे भाई लक्ष्मण सिंह भी इस सीट से पांच बार जीत चुके हैं. सिंह का मुकाबला बीजेपी से दूसरी बार सांसद चुने गए रोडमल नागर से है. राजगढ़ सीट मध्य प्रदेश के तीन जिलों - गुना, राजगढ़ और आगर-मालवा की आठ विधानसभा सीटों को कवर करती है, जहां तीसरे चरण (7 मई) में मतदान होगा. दिग्विजय सिंह ने 2019 का लोकसभा चुनाव मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में लड़ा था, लेकिन बीजेपी की प्रज्ञा ठाकुर से 3.64 लाख वोटों के भारी अंतर से हार गए थे.

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