MP News : बुंदेलखंड में दबंगों का ऐसा प्रभाव है कि एक पुजारी को भगवान हनुमानजी के लिए न्याय की गुहार लगाते हुए 8 साल बीत गए. जी हां, आपने बिल्कुल ठीक पढ़ा. ये पुजारी 8 साल से एक मामले के लिए अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं. उन्हें और भगवान हनुमान को न्याय नहीं मिल रहा है. दरअसल, यह मामला नोगांव थाना क्षेत्र के कुलवारा धनुषधारी मंदिर की जमीन से जुड़ा है. यहां के पुजारी पुरुषोत्तम नायक साल 2016 से मंदिर की जमीन पर अवैध कब्ज़े की लड़ाई लड़ रहे हैं. पुजारी पुरुषोत्तम नायक ने 2016 में इस जमीन के लिए केस शुरू किया था. जहां साल 2022 में सिविल कोर्ट से फैसला उनके पक्ष में आया. लेकिन इसके बाद भी जमीन अब तक खाली नहीं करवाई गई है. इसके बावजूद पुजारी ने तहसीलदार और पटवारी से कई बार गुहार लगाई लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. उनका कहना है कि जब कोर्ट ने उन्हें न्याय दे दिया है तब भी प्रशासन उनके खिलाफ कोई कदम नहीं उठा रहा.
पुजारी का आरोप - अफसर नहीं कर रहे मदद
तभी आज पुजारी हनुमानजी समेत पूरा राम दरबार लेकर कलेक्टर पार्थ जैसवाल की जनसुवाई में पहुंच गए. फिर उनके समने भगवान को न्याय दिलाने की मांग करना शुरू कर दी. पुजारी पुरुषोत्तम नायक ने कलेक्टर पार्थ जैसवाल से गुहार लगाते हुए कहा कि वे गांव के दबंगों से भगवान हनुमानजी की जमीन को खाली करवाएं. उनका कहना है कि कोर्ट का आदेश होते हुए भी नोगांव के तहसीलदार और पटवारी कार्रवाई करने में आनाकानी कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि कई बार अधिकारियों के आगे हाथ जोड़े लेकिन उनकी मदद किसी ने नहीं की.
बातचीत में क्या बोले पुजारी ?
जब पुजारी रहसविहारी शरण (सुरेंद्र नायक) से बात की गई तो उन्होंने बताया कि उन्होंने 2016 और 2022 में दो बार केस जीता है फिर भी अधिकारियों ने दबंगों पर कोई कार्रवाई नहीं की. उन्होंने अधिकारियों पर कोर्ट के आदेश की अवमानना का आरोप लगाया है और न्याय की मांग की है.
SDM का बयान - मामला पुजारी के परिवार का ही विवाद
नोगांव SDM विशा माधवानी ने बताया कि कलेक्टर के निर्देश पर मामले की जांच की गई है. जांच में पता चला कि वर्तमान में सगुन पाठक मंदिर के पुजारी हैं जो शिकायतकर्ता के परिवार से ही हैं. सगुन पाठक को 2013 से सर्वसम्मति से पुजारी नियुक्त किया गया है और गांववाले भी उन्हें पुजारी के रूप में पसंद करते हैं. वहीं, लोगों ने बताया कि पुरुषोत्तम नायक के पुजारी रहते हुए मंदिर से मूर्तियां चोरी हुई थीं, जिस कारण उनके खिलाफ FIR भी दर्ज की गई थी और ग्रामीण उन्हें पुजारी के रूप में नहीं चाहते.
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