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This Article is From Sep 22, 2023

चुनावी साल में सरकार के खिलाफ अब अतिथि विद्वानों ने खोला मोर्चा, नीलम पार्क में धरने पर बैठे

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जन भागीदारी अतिथि विद्वानों की महापंचायत बुलाई थी, जिसमें सरकार ने मांगें पूरी नहीं की थी. इसके बाद से अतिथि विद्वान नाराज चल रहे हैं.

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चुनावी साल में सरकार के खिलाफ अब अतिथि विद्वानों ने खोला मोर्चा, नीलम पार्क में धरने पर बैठे
जन भीगीदीरी स्ववित्तीय अतिथि विद्वान मानदेय, नियमितीकरण समेत विभिन्न मांगों को लेकर भोपाल के नीलम पार्क में धरने पर बैठ गए हैं.
भोपाल:

मध्य प्रदेश में चुनाव नजदीक आते ही अलग-अलग कर्मचारी संगठन अपनी मांगों को पूरा करने में की भरपूर कोशिश कर रहे हैं. कई सरकारी कर्मचारियों के प्रदर्शन के बाद अब प्रदेश के अतिथि विद्वानों ने भी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. जन भीगीदीरी स्ववित्तीय अतिथि विद्वान (Public Participation Self Financed Guest Scholar) मानदेय, नियमितीकरण समेत विभिन्न मांगों को लेकर भोपाल के नीलम पार्क में धरने पर बैठ गए हैं. जन भीगीदीरी अतिथि विद्वानों ने कहा कि हम कॉलेज में कड़ी मेहनत करते हैं, इसके बावजूद भी हमें रिक्त पदों पर कार्यरत अतिथि विद्वानों के समान वेतन नहीं दिया जा रहा है.

हालांकि इससे पहले भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) ने जन भागीदारी अतिथि विद्वानों की महापंचायत बुलाई थी, जिसमें सरकार ने मांगें पूरी नहीं की थी. इसके बाद से अतिथि विद्वान नाराज चल रहे हैं. उनकी मांग है कि महापंचायत में की गई घोषणाओं एवं जारी किए जाने वाले नियम और निर्देशो को जन भागीदारी स्ववित्तीय अतिथि विद्वानों पर भी लागू किया जाए.

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जन भीगीदीरी स्ववित्तीय अतिथि विद्वानों की ये हैं मांगें 

जन भीगीदीरी स्ववित्तीय अतिथि विद्वानों ने अपनी मांगों में कहा कि रिक्त पदों पर कार्यरत अतिथि विद्वानों के लिए मुख्यमंत्री द्वारा बुलाई गई महापंचायत में की गई घोषणाओं को जारी किए जाने वाले नियम और निर्देशो को जनभागीदारी स्ववित्तीय अतिथि विद्वानों पर भी लागू किया जाए. इसके साथ ही जन भागीदारी स्ववित्तीय अतिथि विद्वानों का कार्यकाल 12 माह और वेतनमान रिक्त पदों पर कार्यरत अतिथि विद्वानों के समान किया जाए. जन भागीदारी अतिथि विद्वानों ने कहा कि लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित सहायक प्राध्यापक चयन परीक्षा में जन भागीदारी स्ववित्तीय से पढ़ाने वाले अतिथि विद्वानों के अनुभव अंक भी सम्मिलित किए जाने का आदेश जारी किया जाए.

इसके साथ ही उन्होंने मांग की है कि स्ववित्तीय पाठ्यक्रमों के साथ परंपरागत पाठ्यक्रमों में वर्तमान समय में जनभागीदारी मद से नियुक्त अतिथि विद्वानों के लिए पद सृजित कर उन पदों पर वर्तमान में कार्यरत जनभागीदारी स्ववित्तीय अतिथि विद्वानों को अधिगृहित कर सृजित पदों पर केवल उन्हें ही नियुक्ति प्रदान की जाए और जन भागीदारी स्ववित्तीय अतिथि विद्वानों को योग्यता के आधार पर भेदभाव न करते हुए वेतनमान दिया जाए. जनभागीदारी स्ववित्तीय अतिथि विद्वानों के लिए श्रम कानूनों के पालन हेतु महाविद्यालयों को निर्देश दिया जाए और समस्याओं के समाधान के लिए शासन स्तर पर एक कमेटी का गठन किया जाए.

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