रीवा में पानी की एक-एक बूंद को तरसते लोग, हाथों में खाली बाल्टी लेकर सुनाई आपबीती 

Water Scarcity in Rewa: रीवा शहर में साल के 12 महीने पानी रहता है. मुंबई से बनारस के बीच में नदी में आपको इतना पानी कहीं नहीं मिलेगा. लेकिन फिर भी अब इसी शहर को पानी की समस्या से जूझना पड़ रहा है. दरअसल, रीवा शहर के वार्ड नंबर 4 में 500 लोगों की बस्ती के बीच एक हैंडपंप था. जहां पर उसके ऊपर बीते जनवरी महीने में सड़क बना दी गई.

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Water Scarcity in Rewa: रीवा शहर में साल के 12 महीने पानी रहता है. मुंबई से बनारस के बीच में नदी में आपको इतना पानी कहीं नहीं मिलेगा. लेकिन फिर भी अब इसी शहर को पानी की समस्या से जूझना पड़ रहा है. दरअसल, रीवा शहर के वार्ड नंबर 4 में 500 लोगों की बस्ती के बीच एक हैंडपंप था. जहां पर उसके ऊपर बीते जनवरी महीने में सड़क बना दी गई. अब उस वार्ड के लोगों को पानी भरने के लिए सड़क क्रॉस करके हवाई अड्डे के पास सरकारी हैंडपंप में जाना पड़ता है... या फिर निजी बोरिंग वालों से पैसे देकर पानी लेना पड़ता है. जिसने पैसा दिया उसे पानी मिला जिसने नहीं दिया उसे पानी नहीं मिला. मोहल्ले वाले परेशान है. कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही. शासन-प्रशासन ने वादा किया था कि हैंडपंप हो जाएगा लेकिन हालात अब तक जस के तस है. 

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सरकारी वादे नहीं हुए पूरे

रीवा शहर के नेशनल हाईवे 30 के किनारे चोरहटी गांव में नगर निगम के वार्ड 4 मे सड़क के किनारे गरीब हरिजन आदिवासियों की एक बस्ती है. जहां रोज कमाने-खाने लोग वाले रहा करते हैं. इन गांव वालों की जमीन पहले नेशनल हाईवे बनाने के नाम से ले ली गई. जिसका इनको मुआवजा भी मिला था. उसके बाद अभी जनवरी माह में नेशनल हाईवे के किनारे जहां पर उनकी बस्ती के लिए एकमात्र हैंड पंप लगा हुआ था. वहां पर सड़क बना दी गई. इस आश्वासन के साथ उनकी बस्ती में जल्दी एक नया हैंडपंप लगा दिया जाएगा. सड़क का मुआवजा भी दिया जाएगा. गांव वाले खुश थे कि चलो सड़क भी मिलेगी... पैसा भी मिलेगा. नया हैंडपंप भी मिलेगा. लेकिन उन्हें क्या मालूम था कि ये सरकारी आश्वासन है. जो कभी पूरा नहीं होगा.

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पानी के लिए तरसते रीवा के लोग

जनवरी से मार्च का महीना आ गया. लेकिन बस्ती में हैंडपंप नहीं खोदा गया. वार्ड 4 के रहने वाले प्रदेश के उप मुख्यमंत्री से लेकर कलेक्टर तक के दरवाजे पर हो आए है. लेकिन हर जगह उन्हें आश्वासन मिला बस दो-तीन दिन में आपका काम हो जाएगा. आप बस आधार कार्ड दे दीजिए.... बाकी डिटेल दे दीजिए. पैसा आपके खाते में आ जाएगा. लेकिन जमीनी हकीकत आज भी जस की तस है. NDTV की टीम ने वार्ड 4 का दौरा किया और स्थानीय लोगों से बात की. वार्ड वासी निजी बोर वाले से पानी ले रहे थे. जिसने पैसे दिये उसको पानी मिला जिसने पैसे नहीं दिये उसको पानी नहीं मिला. ऐसे में सवाल उठता है कि पानी को तरसते लोग कहां जाए? 

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