Madhya Pradesh News : ऑर्गन ट्रांसप्लांट (Organ Transplant) के लिए मध्यप्रदेश में कई बार एक शहर से दूसरे शहर के लिए ग्रीन कॉरिडोर (Green Corridor) बनाया गया है. लेकिन प्रदेश में ऑर्गन ट्रांसपोर्ट करने लिए अब तक का सबसे बड़ा ग्रीन कॉरिडोर गुरुवार 21 सितंबर की रात को देखा गया. जिसमें जबलपुर से ऑर्गन लेकर भोपाल तक पहुंचाया गया.
जब जान बचाना नामुमकिन लगा तब लिया अंगदान का निर्णय
जबलपुर निवासी 64 वर्षीय राजेश सराफ को जब उनके रिश्तेदार मेट्रो हॉस्पिटल लेकर पहुंचे तो डॉक्टरों ने कहा ब्रेन ट्यूमर के कारण उनके मस्तिष्क ने काम करना बंद कर दिया है. मरीज को वेंटिलेटर पर रखा गया लेकिन जब बचना लगभग नामुमकिन सा दिखने लगा तब जिला रेड क्रॉस सोसाइटी के उपाध्यक्ष और बड़ेरिया मेट्रो प्राइम के मैनेजिंग डायरेक्टर (Managing Director) सौरभ बड़ेरिया ने अंगदान (Organ Donation) की मुहिम को आगे बढ़ते हुए परिजनों की काउंसलिंग शुरू की. इसके बाद मरीज राजेश सराफ के भांजे पीयूष सराफ अंगदान के लिए राजी हो गए.
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सीएम शिवराज ने दिया हेलिकॉप्टर
जब ब्रेन डेड पेशेंट के परिवारजनों ने ऑर्गन डोनेशन का निर्णय ले लिया, तो डोनर के बाद रिसिवर की तलाश शुरु हुई जो कि भोपाल के बंसल हॉस्पिटल में मिल गया. देश में अंगदान की प्रक्रिया अभी भी जटिल है, क्योंकि इस ऑर्गन डोनेशन की कानूनी कर्रवाई दो दिनों तक चली और उसके बाद ऑर्गन ट्रांसफर (Organ Transfer) के लिए ग्रीन कॉरिडोर की तैयारी शुरु हुई. ऑर्गन ट्रांसपोर्टेशन के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chouhan) द्वारा दिए गए हेलीकॉप्टर से डॉक्टर्स का दल जबलपुर पहुंचा और अंग निकलने की प्रक्रिया शुरू हुई.
खराब मौसम की वजह से बनाया गया 650 KM का कॉरिडोर
हेलिकॉप्टर जबलपुर पहुंच तो गया था लेकिन जब भोपाल लौटने की बारी आयी तो खराब मौसम की वजह से हवाई मार्ग से जाने में दिक्कत महसूस की गई. इसके बाद जबलपुर से भोपाल तक 650 किलोमीटर लंबा ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया और रात लगभग 12:00 बजे भोपाल के बंसल हॉस्पिटल में देवास के 64 वर्षीय मरीज के शरीर में ट्रांसप्लांट किया गया.
इस कॉरिडोर का रूट क्या था?
मध्यप्रदेश में अब तक का जो यह सबसे लंबा ग्रीन कॉरिडोर (Longest Green Corridor) बनाया गया था. यह कॉरिडोर जबलपुर से नरसिंहपुर, रायसेन और भोपाल के बीच बनाया गया था.
एक्पर्ट्स ने क्या कहा?
ऑर्गन रिमूव और ट्रांसप्लांट करने में प्रमुख भूमिका निभाने वाले डॉक्टर राजेश पटेल ने बताया कि 6 घंटे के अंदर ऑर्गन ट्रांसप्लांट किया जाना आवश्यक होता है. इसके लिए काफी हिम्मत की जरूरतर पड़ती है.
सौरभ बड़ेरिया का कहना है कि अब शीघ्र ही शहर में ही ऑर्गन ट्रांसप्लांट का सुविधा प्रारंभ की जाएगी. इस बार भी ऑर्गन शहर में ही ट्रांसप्लांट किया जाता, लेकिन रिसीवर की जानकारी न होने से यह प्रक्रिया नहीं हो सकी.