खुलेआम एक लाख रुपये रिश्वत मांग रहे थे नगर परिषद के सीएमओ! 30 हजार लेते रंगे हाथों गिरफ्तार

Shivpuri Bribery Case: शिवपुरी में नगर परिषद के दो कर्मचारियों को लोकायुक्त पुलिस ने रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया है. इसके अलावा, नगर परिषद के सीएमओ पर एक लाख रुपये घूस मांगने का भी आरोप लगा है. आइए आपको पूरे मामले के बारे में विस्तार से जानकारी देते हैं.

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शिवपुरी में रिश्वत लेते दो कर्मचारियों को लोकायुक्त पुलिस ने किया रंगे हाथों गिरफ्तार

CMO Bribery in Shivpuri: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के शिवपुरी जिले की पिछोर तहसील अंतर्गत संचालित नगर परिषद पिछोर (Pichore Nagar Parishad) में लोकायुक्त पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की है. पुलिस ने कार्रवाई करते हुए रंगे हाथों दो कर्मचारियों को 30 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया है. नगर परिषद पिछोर के सीएमओ पर भी एक लाख रुपये की रिश्वत मांगने के आरोप हैं. साथ ही, यह मामला इस नगर परिषद के प्रिंटर टेंडर से जुड़ा हुआ बताया जा रहा है. इस मामले में आगे की जांच हो रही है, जिसके बाद कार्रवाई की जाएगी.

फरियादी के शिकायत पर एक्शन

इस मामले में लोकायुक्त पुलिस के सामने जो शिकायत आई, उसके अनुसार करीब तीन महीने पहले नगर परिषद पिछोर में कंप्यूटर प्रिंटर का टेंडर पास हुआ था. उपकरण लगाने के बाद चार लाख 77 हजार रुपये का बिल भुगतान होना था. इसके एवज में पिछोर सीएमओ ने 22%, यानी एक लाख रुपये रिश्वत की मांग की थी. बाद में लेखपाल के जरिए सौदा 15%, यानी 60 हजार रुपये में तय हुआ. 30 हजार रुपये उसी राशि का हिस्सा है, जो दिया जा रहा था.

प्लानिंग करके लोकायुक्त पुलिस ने लिया एक्शन

मामले में जब शिकायत लोकायुक्त पुलिस के पास पहुंची, तो एक योजना बनाई गई और योजना के मुताबिक पैसे दिए जाने के दौरान दोनों आरोपी कर्मचारियों को गिरफ्तार करने के लिए टीम मौके पर पहुंची. जैसे ही फरियादी ने लेखपाल के कहने पर टाइमकीपर रामबाबू त्रिपाठी को पैसे दिए, टीम ने दोनों कर्मचारियों को रंगे हाथों  गिरफ्तार कर लिया.

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आरोप को बताया निराधार

नगर परिषद सीएमओ ने सभी आरोपों को निराधार बताया और कहा कि टेंडर ऑनलाइन हुआ था. ठेकेदार या उसके इंजीनियर से आज तक कोई बातचीत भी नहीं हुई है. उन्होंने कहा कि मेरे कैबिन में वॉयस वाले सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, जांच टीम चाहे तो जांच कर ले. इधर, इस पूरे मामले की शिकायत सामने आने के बाद जांच कर रही लोकायुक्त पुलिस का कहना है कि शिकायत 1 सितंबर को प्राप्त हुई थी. उसके बाद शिकायत की प्रमाणिकता की जांच की गई और उसके बाद कार्रवाई को अंजाम दिया गया.

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