Madhya Pradesh News: एमपी के जबलपुर हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर मांग की गई है कि प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग, ओबीसी को उसकी जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण का लाभ दिया जाए. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली युगलपीठ ने इस जनहित याचिका की सुनवाई पहले से लंबित प्रकरणों के साथ लिंक करके किए जाने की व्यवस्था दे दी. सभी मामलों पर अगली सुनवाई 19 जुलाई को होगी.
इस रिपोर्ट का हवाला दिया
जनहित याचिका मे वैदिक सामाजिक व्यवस्था और ज्योतिबा फुले की मांग पर हंटर कमीशन रिपोर्ट, मिलर कमीशन की अनुशंसा, गोलमेज सम्मेलन में आरक्षण पर विमर्श, काका कालेलकर, मंडल आयोग व महाजन आयोग तथा गौरीशंकर बिसेन आयोग की रिपोर्ट का हवाला दिया गया, जिनमें ओबीसी को आनुपातिक प्रतिनिधित्व देने की बात कही गई है.
ये संस्था ने जनहित याचिका दायर की
जबलपुर की एडवोकेट यूनियन फार डेमोक्रेसी एंड सोशल जस्टिस नामक संस्था ने यह जनहित याचिका दायर की है, जिसमें कहा गया कि मध्य प्रदेश में ओबीसी वर्ग को एससी-एसटी के समान आनुपातिक आरक्षण दिया जाए. जनहित याचिका कर्ता की ओर से अधिवक्ता विनायक प्रसाद शाह, रामेश्वर सिंह ठाकुर, परमानंद साहू, पुष्पेंद्र शाह ,रूप सिंह मरावी ने पक्ष रखा.
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ये तर्क दिया गया
दलील दी गई कि सैकड़ो वर्ष पुरानी भारतीय वैदिक सामाजिक व्यवस्था में आज के संपूर्ण ओबीसी वर्ग को शूद्र वर्णित किया गया . मंडल आयोग ने वैदिक सभ्यता में व्याप्त सामाजिक विषमता व भेदभाव को वर्तमान आरक्षण का मूल आधार बताया गया. तर्क दिया गया कि 26 जनवरी, 1950 से संविधान लागू होने से आजाद भारत में ओबीसी वर्ग को आरक्षण के अधिकारों से संबंधित का कालेलकर, मंडल आयोग, महाजन आयोग व गौरीशंकर बिसेन आयोग की रिपोर्ट भी आई है. इन सभी रिपोर्ट का याचिका मे हवाला दिया गया.
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