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Number of vultures In MP : मध्य प्रदेश के नाम कई खिताब दर्ज है. टाइगर स्टेट, डायमंड स्टेट ऐसे कई नामों से देश के दिल में बसे प्रदेश को जाना जाता है. लेकिन अब एक और उपलब्धि प्रदेश के नाम हो गई है. जहां, एक ओर हर जगह से गिद्धों की संख्या में कमी आ रही है, वहीं, मध्य प्रदेश से थोड़ा राहत वाली खबर आई है. प्रदेश में गिद्धों की संख्या अब 12 हजार के पार पहुंच चुकी है. ये दावा मध्य प्रदेश वन विभाग ने जारी एक आंकड़े में किया है.लेकिन जबलपुर में गिद्धों की संख्या में कमी देखी गई है.
जानें कैसे की गई गणना
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बता दें, वन विभाग द्वारा वर्ष 2025 में प्रदेश स्तर पर गिद्धों की गणना में गिद्धों की संख्या 12 हजार 981 हो गई है. मध्यप्रदेश देश में सबसे अधिक गिद्धों वाला राज्य बन गया है. प्रथम चरण में 17, 18 एवं 19 फरवरी 2025 को वन विभाग के 16 वृत्त, 64 डिवीजन और 9 संरक्षित क्षेत्रों में गिद्ध गणना की गयी. गिद्ध गणना का कार्य वन विभाग के अधिकारियों, कर्मचारियों, डब्ल्यूआईआई, भोपाल के प्रतिभागियों, स्वयं सेवकों और फोटोग्राफरों द्वारा किया गया.
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प्रदेश में गिद्धों की गणना की शुरूआत वर्ष 2016 से की गई थी. प्रदेश में गिद्धों की कुल 7 प्रजातियां पाई जाती हैं. इसमें से 4 प्रजातियां स्थानीय एवं 3 प्रजातियां प्रवासी हैं. गिद्धों की गणना करने के लिये शीत ऋतु का अंतिम समय सही रहता है. इस दौरान स्थानीय एवं प्रवासी गिद्धों की गणना आसानी से हो जाती है. वर्ष 2019 की गणना में गिद्धों की संख्या 8 हजार 397, वर्ष 2021 में 9 हजार 446 और वर्ष 2024 में बढ़कर 10 हजार 845 हो गयी थी.
जबलपुर में कम हुए गिद्ध
जबलपुर वन विभाग द्वारा सुबह 7 बजे से 10 बजे तक चलने वाली इस गणना के अनुसार, पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष गिद्धों की संख्या में गिरावट देखी गई है - जहां 2023 में 89 गिद्ध पाए गए थे, वहीं इस वर्ष केवल 70 गिद्ध ही निगरानी में आए. गिद्धों की गणना के लिए जबलपुर में विशेष तैयारी की गई थी. सभी सर्कल और डिवीजन स्तर पर मास्टर ट्रेनर और प्रशिक्षकों को ट्रेन्ड किया गया था, जिसमें 900 से अधिक वन अधिकारी, कर्मचारी, गिद्ध विशेषज्ञ, और पक्षी प्रेमियों ने भाग लिया.
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पर्यावरण की रक्षा के लिए जरुरी हैं गिद्ध
गिद्धों को प्रकृति का सफाई कर्मचारी माना जाता है, जो मृत पशुओं के शवों को खाकर पर्यावरण की रक्षा करते हैं. इनकी घटती संख्या के कारण, इन्हें 2002 से IUCN रेड लिस्ट में गंभीर रूप से संकटग्रस्त के रूप में वर्गीकृत किया गया.
17 फरवरी को 57, 18 फरवरी को 66, और 19 फरवरी को 70 गिद्ध मिले. जबलपुर के वन अधिकारी अपूर्व प्रखर शर्मा ने बताया कि गिद्धों की संख्या दिन-प्रतिदिन घटती-बढ़ती रहती है. गिद्ध एक ही स्थान पर लंबे समय तक नहीं रहते हैं, इतना ही नहीं, पूरी मध्यप्रदेश की गणना के बाद ही इसकी पूर्ण तस्वीर सामने आएगी.
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