Sanchi Milk: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव (CM Mohan Yadav) ने डेयरी विकास योजना (Dairy development scheme), दुग्ध उत्पादन बढ़ाने एवं सांची दुग्ध संघ (Sanchi Dugdh Sangh) के कार्यों की समीक्षा के दौरान कहा है कि मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh), देश के कुल दुग्ध उत्पादन (Milk Production) का 9 से 10 प्रतिशत उत्पादन करते हुए देश में तीसरे स्थान पर है. प्रदेश के अनेक ग्रामों में किसान भाइयों को पशुपालन और दुग्ध उत्पादन के लिए सुविधाएं प्रदान कर प्रदेश को देश में अग्रणी बनाने का प्रयास किया जाएगा. बैठक में मध्यप्रदेश राज्य कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन (MP State Cooperative Dairy Federation) और उससे जुड़े दुग्ध संघों का प्रबंधन और संचालन अगले पांच वर्ष के लिए राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (National Dairy Development Board) द्वारा किए जाने पर सहमति बनी. वहीं इस विभाग का नया प्रमुख सचिव रमेश कुमार बनाया गया है. मध्य प्रदेश के ब्रांड सांची दुग्ध संघ का प्रबंधन और संचालन अगले पाँच साल राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड को दिया गया. पशुपालन एवं डेयरी विभाग का ज़िम्मा लेकर जनजाति कार्य विभाग के प्रमुख सचिव रमेश कुमार को दे दिया गया. वहीं गुलशन बामरा अब पर्यावरण विभाग के प्रमुख सचिव रहेंगे.
MP को दुग्ध उत्पादन में अग्रणी बनाएंगे : सीएम
मुख्यमंत्री डॉ.यादव ने कहा कि प्रदेश को दुग्ध उत्पादन में अग्रणी बनाकर किसानों और पुशपालकों की आमदनी बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय बोर्ड को दायित्व देने पर सहमति बनी है. आवश्यक हुआ तो इस कार्य के उद्देश्य से सहकारिता अधिनियम में आवश्यक संशोधन की कार्यवाही भी की जाएगी. मुख्यमंत्री डॉ यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश और राजस्थान के पश्चात मध्यप्रदेश दुग्ध उत्पादन में अग्रणी है.
MP में होगा अब ये काम
मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने कहा कि अगले पांच वर्ष में प्रदेश का दुग्ध उत्पादन दोगुना करने का लक्ष्य है. इसके लिए सहकारी आन्दोलन को मजबूत करने और किसानों एवं पशुपालकों को लाभान्वित करने की दिशा में कार्य होगा. प्रदेश के करीब चालीस हजार ग्रामों में दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के प्रयास होंगे. वर्तमान में 10 से 15 हजार ग्रामों में दुग्ध उत्पादन की स्थिति संतोषजनक है. शेष ग्रामों में विभिन्न उपायों से दुग्ध उत्पादन में वृद्धि के प्रयास किए जाएंगे. मुख्यमंत्री डॉ यादव ने राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड और भारत सरकार के पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय से मिल रहे सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया. बैठक में गोबर से रसोई ईंधन और ऑर्गेनिक खाद प्राप्त करने के प्रयासों पर भी चर्चा हुई. आगर-मालवा में इस क्षेत्र में पहल की गई है. वर्तमान में प्रदेश में 233 संयंत्र स्थापित कर बॉयोगैस की सुविधा दी जा रही है. कम से कम दो या तीन पशु रखने वाले किसानों और पशुपालकों को गोबर के उपयोग की शिक्षा देते हुए इस लघु संयंत्र की स्थापना में सहयोग दिया जाएगा. इसके लिए किसानों को लगभग 10 हजार की राशि व्यय करनी होती है.
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