Sidhi negligence: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के सीधी से बड़ी लापरवाही का मामला सामने आया है. सीधी जिले में स्वास्थ्य व्यवस्थाएं बेपटरी हो चुकी हैं. गत दो दिन पहले सीधी जिले के एक मामले ने प्रदेश में हलचल मचा दिया है. घंटे भर इंतजार करने के बाद भी 108 एंबुलेंस न मिलने पर गर्भवती उर्मिला रजक को हाथ रिक्शा में जिला अस्पताल लाया गया, जहां काफी देर तक वह तड़पती रही और हाथ ठेले पर ही नवजात को जन्म (Woman Delivery on Cart) दे दिया. सुविधा न मिलने और समय पर अस्पताल न पहुंचने के चलते जन्म लेने वाले नवजात की मौत हो गई. मामले में डिप्टी सीएम राजन शुक्ला (Deputy CM Rajan Shukla) ने मामले की गंभीरता को देखते हुए बड़ी कार्रवाई की है.
अस्पताल के सामने ठेले पर तड़पती रही महिला
1 नवंबर की रात गर्भवती महिला उर्मिला रजक को अचानक पेट में दर्द होने पर उनके पति ने रात 10:30 बजे से 108 एम्बुलेंस सेवा के कॉल सेंटर पर कई बार संपर्क किया. गंभीर स्थिति के बावजूद भी जिले में उपलब्ध एम्बुलेंस सेवा को असाइन नहीं किया गया. गर्भवती महिला को सीधी जिला में संचालित 108/जननी एम्बुलेंस के बजाय अन्य लोकेशन की एम्बुलेंस असाइन की गई, जो पहले से ही एक अन्य केस में व्यस्त थी. एम्बुलेंस पहुंचने में देरी के चलते प्रसूता के पति को मजबूरन हाथ रिक्शे के माध्यम से अस्पताल की ओर ले जाना पड़ा. रास्ते में ही महिला का प्रसव हुआ और अस्पताल पहुंचने से पहले नवजात शिशु की मृत्यु हो गई.
एक्शन में आए डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला
मध्य प्रदेश के उप मुख्यमंत्री एवं स्वास्थ्य मंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने सीधी में गर्भवती महिला को एम्बुलेंस सुविधा प्रदाय में अवांक्षित विलंब पर संज्ञान लेते हुए सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा है कि सरकार की प्राथमिकता त्वरित और सुलभ स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना है और किसी भी प्रकार की लापरवाही अस्वीकार्य है. संबंधित एम्बुलेंस वाहनों के एक माह की परिचालन व्यय राशि 4 लाख 56 हजार 917 रुपये सेवा प्रदाता के देयकों से काटी जाएगी, ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो.
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इनको जारी किया गया नोटिस
गर्भवती महिला को समय पर एंबुलेंस न मिलने की घटना के बाद अधिकारी कर्मचारी एक दूसरे के सिर पर ठीकरा फोड़ने में लगे हुए हैं. जिसमें मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी सीधी, सिविल सर्जन सीधी, जिला टीकाकरण अधिकारी एवं प्रभारी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी तथा खण्ड चिकित्सा अधिकारी शामिल है. उक्त सभी अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए विभागीय जांच संस्थित की गई है. मामले की पूरी गंभीरता से जांच कर दोषी अधिकारियों एवं कर्मचारियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाएगी.
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