
NDTV Emerging Business Conclave 2025: भोपाल में आयोजित NDTV के इमर्जिंग बिजनेस कॉन्क्लेव में पहुंचे मध्य प्रदेश के भाजपा अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने 4000 शवों को मुफ्त सम्मानपूर्वक उनके घर तक पहुंचाने का काम किया है. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने इस काम की शुरुआत करने की वजह के बारे में भी बताया. उन्होंने यह भी बताया कि पिता के निधन के बाद 2008 से राजनीति में कदम रखा.
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि एक आदिवासी कार्यकर्ता ने बताया कि उनके पिता की सरकारी अस्पताल में मौत हो गई. शव ले जाने के लिए वाहन वाले 2000 रुपये मांग रहे हैं, लेकिन उसके पास पैसे हैं नहीं. इसके लिए आदिवासी ने उनसे मदद मांगी. थोड़ी देर बाद फिर आया उसने बताया कि गाड़ी वाला अभी भी राजी नहीं है. फिर गाड़ी वालों से बात की. उन्हें समझाया कि 2000 रुपये बहुत होते हैं. फिर गाड़ी वालों ने कहा कि यह समय होता है कि पैसा कमाने का. इस पर मुझे दुख हुआ तो कहा कि जिसके पास पिता के इलाज के पैसे नहीं है तो अंतिम समय में मदद करनी चाहिए. हालांकि वाहन चालक ने मदद कर दी. फिर मैं घर लौटा तो अपना वाहन खरीदा और उस पर ड्राइवर रखकर शवों को सम्मानपूर्वक उनके घरों तक निशुल्क पहुंचाया.
एमपी में विरोधी लहर नहीं
हेमंत खंडेलवाल ने आगे कहा कि एमपी में विरोधी लहर का सवाल नहीं है. हम तीन-चार बार सरकार बना चुके हैं. हमारा संगठन पहले से मजबूत है. हम काम इस तरह का करते हैं कि जनता को लगे कि भाजपा को ही लाना है. हालांकि कुछ बूथ और विधानसभा नहीं जीते हैं. कुछ समाज और वर्ग हमसे दूर है, हम चाहते हैं कि हर समाज और वर्ग हमसे जुड़ा रहे. मेरा प्रयास रहेगा कि हर दिल, हर बूथ और हर विधानसभा में भाजपा रहे. हम उसके लिए काम कर रहे हैं.
चुनाव-प्रचार का सुनाया एक किस्सा
1996 में चुनाव-प्रचार के दौरान गाड़ी खराब हो गई थी. कार में उस दौरान चालक को मिलाकर चार लोग सवार थे. उस समय कार को एक किमी धक्का लगाकर ले जाना पड़ा था.
मीडिया आपके बारे में लिखता है कि लो प्रोफाइल यट इंफ्लुएंसियल (लो प्रोफाइल लेकिन असरदार). इससे भाजपा को कैसे फायदा मिला.
लो प्रोफाइल होना और आपकी व्यक्तित्व में प्रभाव नहीं होना दोनों अलग-अलग हैं. लो-वाला अपनी रिस्पेक्ट पर ध्यान देता है. हाई प्रोफाइल वाला वह वर्किंग से ज्यादा इसपर ध्यान देता कि उसे कौन विश कर रहा है, किस मीडिया में नाम है कौन मेरी चर्चा कर रहा है. लो प्रोफाइल वाला इन सबमें ध्यान नहीं देता. वह मीडिया फ्रेंडली जरूर रहता है. वह बस काम करता है.
जन्मदिन पर आपने कहा है कि कोई पोस्टर-बैनर नहीं लगाएगा. राजनीति में लोग पोस्टरों से शहर पाट देते हैं. पीएम मोदी भी वीवीआईपी कल्चर के खिलाफ हैं. बावजूद भी इस तरह की चीजें होती हैं, लेकिन जो आपसे प्रेम करते हैं उन कार्यकर्ताओं को कैसे समझा रहे हैं.
मैं अपनी गाड़ी में कोई स्टीकर नहीं लगाता, न ही लिखता कि प्रदेश अध्यक्ष हूं और न हूटर होता है. गनमैन भी नहीं रखता हूं. जैसे जंगल में टाइगर बोर्ड लगाकर नहीं घूमता, क्योंकि उसे जरूरत क्या है कि वह टाइगर है. वैसे विधायक को भी जरूरत क्या है कि मैं विधायक हूं. आपकी पर्सनैलिटी ऐसी होनी चाहिए.
सामान्य नागरिक की तरह मेरा भी बर्थडे आता है. मैंने कोई ऐसा काम नहीं किया कि मेरे होर्डिंग्स या पोस्टर लगें. न होर्डिंग्स से खर्चा होता है. याद करना है तो स्वामी विवेकानंद, बाबा साह आंबेडकर,दीन दयाल, श्यामा प्रसाद मुखर्जी, सरदार पटेल या फिर पीएम मोदी की नीतियों को याद किया जाए.
आप 40 अनाथ बच्चों की देखभाल करते हैं. क्या ये सही उपहार नहीं होगा कि हम आसपास के बच्चों की आपकी तरह देखभाल करें?
हर कोई इस तरह के काम तब करता है जब उसके आसपास ऐसी कोई घटना होती है. मैंने देखा कि एक आदिवासी दंपती की किसी ने हत्या कर दी. उसकी तीन बच्चियां अनाथ हो गईं. मैंने इस तरह की घटना देखी है. तभी से मैं अनाथ बच्चों के पढ़ाने, देखभाल और परवरिश का करता हैं. ऐसे 40 बच्चे हैं, जिनकी मैं देखभाल कर रहा हूं.
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