नर्मदापुरम : नागद्वार मेला का हुआ शुभारंभ, प्रशासन ने किए ये खास इंतजाम

MP News in Hindi : नर्मदापुरम के सतपुड़ा के घने जंगलों में स्थित नागद्वार मंदिर की यात्रा का शुभारंभ इस बार 1 अगस्त से हुआ है, जो 10 अगस्त तक चलेगा. नागपंचमी के दस दिन पहले से शुरू होने वाली यह यात्रा प्रदेश की सबसे ऊंची चोटी धूपगढ़ मार्ग से होकर नागद्वार पहुंचती है.

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नर्मदापुरम : नागद्वार मेला का हुआ शुभारंभ, प्रशासन ने किए ये खास इंतजाम

Nagdwar Yatra 2024 : नर्मदापुरम के सतपुड़ा के घने जंगलों में स्थित नागद्वार मंदिर की यात्रा का शुभारंभ इस बार 1 अगस्त से हुआ है, जो 10 अगस्त तक चलेगा. नागपंचमी के दस दिन पहले से शुरू होने वाली यह यात्रा प्रदेश की सबसे ऊंची चोटी धूपगढ़ मार्ग से होकर नागद्वार पहुंचती है. नर्मदापुरम जिले के पचमढ़ी से श्रद्धालु इस कठिन यात्रा की शुरुआत करते हैं. इस यात्रा में श्रद्धालुओं को सतपुड़ा के ऊंचे पेड़, नदियाँ, पहाड़ एवं झरनों को पार करते हुए लगभग 12 किलोमीटर तक ऊंची पहाड़ियों से गुजरना पड़ता है. यात्रा के दौरान बारिश का भी सामना करना पड़ता है, जिससे यह यात्रा अमरनाथ जैसी कठिन हो जाती है. पहाड़ी रास्तों में पैदल ही चलना होता है और घोड़े-खच्चर की सुविधा उपलब्ध नहीं होती है.

जानिए कितनी कठिन है ये यात्रा ?

यात्रा के दौरान रास्ते में देनवा नदी सहित करीब 20 छोटे-छोटे नाले पार करने होते हैं. इन पहाड़ी नालों के बीच ऊंचे पहाड़ों से गिरने वाले झरने मन मोह लेते हैं. नागद्वार की गुफा लगभग 35 फीट लंबी है. यात्रा का पहला पड़ाव काजली गाँव है, जो चारों ओर से नदियों और पहाड़ियों से घिरा हुआ है. काजली गाँव में पहले कुछ आदिवासी परिवार बसते थे, जिन्हें सतपुड़ा टाइगर रिजर्व ने हटा दिया. अब नागद्वार यात्रा में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए यहाँ ठहरने की खास व्यवस्था जिला प्रशासन की तरफ से की जाती है.

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प्रशासन ने किए ये खास इंतजाम

प्रशासन की तरफ से यहाँ 100 वाटरप्रूफ टेंट लगाए गए हैं. इसके अलावा जगह-जगह डस्टबिन, शौचालय और ताजे जल की व्यवस्था की गई है. नागद्वार यात्रा के मुख्य पड़ावों में धूपगढ़, गणेश टेकरी, काजली, पश्चिम द्वार, पदमशेष, नींबू द्वार, चिंतामन बाबा और चित्रशाला माता शामिल हैं. यात्रा का अंतिम पड़ाव चित्रशाला माता और गुप्त गंगा माना जाता है. स्वर्ग द्वार तक पहुँचने के लिए दो पहाड़ियों के बीच लोहे की खड़ी सीढ़ियाँ लगाई गई हैं.

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जानिए यात्रा से जुड़ी मान्यता

नागद्वार यात्रा की मान्यता के अनुसार, इसे नागराज की दुनिया भी कहा जाता है. इस यात्रा का किसी पुराण या धार्मिक पुस्तक में कोई जिक्र नहीं है, लेकिन किवदंती है कि काजली गाँव में रहने वाली एक महिला ने पुत्र प्राप्ति के लिए नागराज को काजल लगाने की मन्नत की थी. पुत्र प्राप्ति के बाद वह काजल लगाने पहुँची तो नागराज का विशाल रूप देखकर मोक्ष को प्राप्त हो गई. यह यात्रा लगभग 100 साल से चल रही है.

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कई अधिकारियो की ड्यूटी

जिला प्रशासन ने यात्रा के लिए खासे इंतजाम किए हैं. सतपुड़ा टाइगर रिजर्व एरिया में होने के चलते वन विभाग इस मार्ग को साल में महज दस दिन के लिए खोलता है. कलेक्टर, SP, जिला पंचायत सीईओ और जिला चिकित्सा अधिकारी तक यात्रा के पहले तैयारियों का जायजा लेते हैं. मेले के दौरान पुलिस और स्वास्थ्य विभाग के सैंकड़ों अधिकारियों की ड्यूटी अलग-अलग प्वाइंटों पर लगाई जाती है.

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श्रद्धालुओं को नहीं होगी दिक्कत

यात्रा के दस दिनों में लाखों श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचते हैं और उनकी सुविधाओं का खासा ध्यान रखा जाता है. इस बार भी यात्रा में प्रशासन की तरफ किए गए इंतजामों से श्रद्धालुओं को किसी भी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा और वे सुरक्षित और भयमुक्त होकर अपनी यात्रा पूरी कर सकेंगे.

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