Naagchandreshwar Mandir: नाग पंचमी को ही खुलता है उज्जैन के इस मंदिर का पट, जानें - क्या है विशेष महत्व

Naagchandreshwar Mandir Ujjain: उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर के ही तीसरे खंड पर नागचंद्रेश्वर मंदिर है. इसके पट साल में एक बार नाग पंचमी के दिन ही खुलते हैं. आइए आपको इसके बारे में विस्तार से जानकारी देते हैं.

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नागचंद्रेश्वर मंदिर के खुलने वाले हैं पट

Nag Panchami 2025: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के उज्जैन (Ujjain) स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर (Naagchandreshwar Mandir) के पट सोमवार रात 12 बजे खुलेंगे. खास बात यह है कि इस मंदिर के पट सिर्फ साल में एक बार नाग पंचमी के दिन 24 घंटे के लिए खुलते है. यही वजह हैं कि दर्शन के लिए लाखों श्रद्धालुओं के आने की संभावना है. बता दें कि 29 जुलाई को नाग पंचमी है और इस पर्व पर विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर (Mahakaleshwar Mandir) के तीसरे खंड पर स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर के दर्शन का विशेष महत्व माना जाता है. यही वजह है कि परंपरानुसार साल भर में एक बार खुलने वाले मंदिर के पट इस बार 28 जुलाई, सोमवार रात 12 बजे खुलेंगे.

नागचंद्रेश्वर मंदिर में सुरक्षा की खास तैयारियां

इसके बाद, महानिर्वाणी पंचायती अखाड़े के महंत विनीत गिरी जी द्वारा पूजा के बाद मंगलवार रात 12 बजे तक आम श्रद्धालु दर्शन कर सकेंगे. बता दें कि श्रद्धालु मंदिर तक विश्राम धाम से कतार में एयरो ब्रिज पर होते हुए मंदिर तक पहुंच पाएंगे.

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सुरक्षा के खास इंतजाम

नाग पंचमी 2025 के दिन नागचंद्रेश्वर भगवान के दर्शन के लिए लाखों श्रद्धालुओं के आने की संभावना है. दर्शनार्थी एयरो ब्रिज से होकर मंदिर तक पहुंचेंगे. इसके लिए दो दिन पहले ब्रिज की मजबूती का परीक्षण करने के लिए मंदिर में तैनात 300 महिला पुरुष सुरक्षाकर्मियों को ब्रिज पर काफी देर तक जंप करवाया था. वहीं रेलिंग और लूज हो चुके चीजों की फिर से वेल्डिंग करवाई जा रही हैं. साथ ही, सुरक्षा के लिए दो हजार पुलिसकर्मियों को भी तैनात किया जाएगा.

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नागचंद्रेश्वर मंदिर, उज्जैन का इतिहास

महाकालेश्वर मंदिर में गर्भगृह में 12 ज्योर्तिलिंग में से एक स्वयंभू बाबा महाकाल विराजित हैं. दूसरे खंड में ओंकारेश्वर और तीसरे खंड में प्राचीन नागचंद्रेश्वर मंदिर है. माना जाता है कि इसका निर्माण 1050 ईसवीं में परमार राजा भोज ने करया था. इसमें नागचंद्रेश्वर की दुर्लभ प्रतिमा 11वीं शताब्दी में नेपाल से लाकर स्थापित की गई थी. इसमें फन फैलाए नाग आसन पर शिव जी पार्वती के साथ बैठे हुए नजर आते हैं.

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दुनिया की एक मात्र प्रतिमा!

संभवतः पूरी दुनिया में ये एक मात्र ऐसी प्रतिमा है, जिसमें शिव जी नाग शैय्या पर विराजित हैं. मंदिर में गणेश जी, सप्तमुखी नाग देव और दोनों के वाहन नंदी, सिंह के साथ शिव जी के गले और भुजाओं में नाग लिपटे हैं. महाकाल मंदिर का जीर्णोद्धार 1732 में महाराज राणोजी सिंधिया ने किया था.

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