MP में बाल विवाह पर मंत्री को ही जानकारी नहीं; कांग्रेस विधायक जयवर्धन सिंह ने सदन में रखें ये आंकड़े

MP Child Marriage Cases: मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य था जिसने बच्चियों से रेप पर मौत की सजा का प्रावधान किया था, जानकारों की मांग है. अब यही सख्ती बाल विवाह पर भी दिखनी चाहिए.

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MP में बाल विवाह पर मंत्री को ही जानकारी नहीं; कांग्रेस विधायक जयवर्धन सिंह ने सदन में रखें ये आंकड़े

MP Child Marriage Cases: कुछ दिनों पहले बच्चों के लिये काम करने वाली संस्था -  जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन ने बताया था कि उसने मध्यप्रदेश के 41 जिलों में पिछले दो सालों में 36,838 बाल विवाह रोके गए, 4,777 बच्चों को ट्रैफिकिंग से बचाया गया. इन प्रयासों के बावजूद ये आंकड़े खत्म नहीं हो रहे हैं. इसकी तस्दीक विधानसभा में पेश आंकड़े करते हैं. हालांकि हैरत ये है कि जिस मंत्री ने लिखित जवाब दिया उन्हें ही इसकी जानकारी नहीं थी. ऐसे में एमपी के पूर्व मंत्री और वर्तमान में कांग्रेस विधायक जयवर्धन सिंह के सवाल करते हुए कहा कि "सरकार कहती है कि योजनाएं चल रही हैं, जागरूकता बढ़ रही है. लेकिन आंकड़े बता रहे हैं कि हर साल बाल विवाह बढ़ रहा है. ये बेहद चिंताजनक है. सरकार बताए, बेटियों की सुरक्षा कौन देखेगा?

MP Child Marriage Cases: सदन में आंकड़ें दिखाते कांग्रेस विधायक

कांग्रेस विधायक ने क्या कहा?

मध्यप्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान कांग्रेस के पूर्व मंत्री और विधायक जयवर्धन सिंह ने राज्य में लगातार बढ़ रहे बाल विवाह के मामलों को लेकर गंभीर सवाल उठाए. उन्होंने दावा किया कि सरकार की तमाम योजनाओं और जागरूकता अभियानों के बावजूद प्रदेश में नाबालिग बेटियों के विवाह के मामले चिंताजनक गति से बढ़ रहे हैं.

“बाल विवाह के बढ़ते आंकड़े”

  • 2021 – 450 केस
  • 2022 – 519 केस
  • 2023 – 528 केस
  • 2024 – 529 केस
  • तो वहीं 2025 – बाल विवाह के अबतक 538 मामले आ चुके हैं.

MP Child Marriage Cases: सदन में प्रस्तुत आंकड़ें

जयवर्धन सिंह ने सदन में प्रस्तुत आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि पिछले तीन वर्षों में बाल विवाह के मामलों में करीब 40 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. विधानसभा में उन्होंने बताया कि 2021 में जहां 450 केस दर्ज हुए थे, वहीं 2022 में यह संख्या बढ़कर 519  हो गई, 2023 में यह आंकड़ा 528, 2024 - 529, 2025 - 538 से भी अधिक पहुंच गया. उन्होंने कहा कि यह केवल दर्ज मामलों की संख्या है, जबकि हकीकत इससे कहीं अधिक गंभीर हो सकती है, क्योंकि ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में कई मामले रिपोर्ट ही नहीं होते.

मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य था जिसने बच्चियों से रेप पर मौत की सजा का प्रावधान किया था, जानकारों की मांग है. अब यही सख्ती बाल विवाह पर भी दिखनी चाहिए.

कांग्रेस विधायक ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि प्रदेश में “बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ” और “लाड़ली लक्ष्मी” जैसी योजनाएं ज़मीन पर प्रभावी रूप से लागू नहीं की जा रहीं. इसके चलते गरीब और पिछड़े वर्गों में कम उम्र में बेटियों की शादी कराने की प्रवृत्ति नहीं थम रही. उन्होंने बाल विवाह रोकने वाली इकाइयों की कमजोर निगरानी, सामाजिक विभाग की उदासीनता और पुलिस की ढीली कार्रवाई को भी इसकी बड़ी वजह बताया.

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जयवर्धन सिंह ने मांग की कि सरकार तत्काल विशेष अभियान चलाए, स्कूलों में जागरूकता कार्यक्रम बढ़ाए जाएं और बाल विवाह के मामलों में सख्ती से एफआईआर दर्ज कर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए. उन्होंने कहा कि यदि सरकार ने अभी प्रभावी कदम नहीं उठाए, तो यह सामाजिक अभिशाप आने वाले वर्षों में और भयावह रूप ले सकता है.

मंत्री ने दिया ऐसा जवाब

वहीं एनडीटीवी ने महिला बाल विकास मंत्री निर्मला भूरिया से इस मामले में सवाल किया तो उन्होंने ऐसा कोई सवाल आने से माना कर दिया, साथ ही कहा कि मुझे देखना हिगा कि कांग्रेस ऐसे सवाल ला कहाँ से रही है.

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