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पहले 20000 रुपये का इनाम, फिर रात 1:30 बजे दबिश... ऐसे SIT के चंगुल में फंसा जहरीला कफ सिरप बनाने वाला मालिक रंगनाथन गोविंदन

Ranganathan Govindan Arrest: गिरफ्तारी के बाद रंगनाथन को कांचीपुरम स्थित श्रीसन फार्मा फैक्ट्री ले जाया गया, जहां से कई महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त किए गए. पुलिस अब चेन्नई की अदालत से ट्रांजिट रिमांड लेने की प्रक्रिया में है, जिसके बाद आरोपी को छिंदवाड़ा लाया जाएगा.

पहले 20000 रुपये का इनाम, फिर रात 1:30 बजे दबिश... ऐसे SIT के चंगुल में फंसा जहरीला कफ सिरप बनाने वाला मालिक रंगनाथन गोविंदन

Ranganathan Govindan Arrest: मध्य प्रदेश पुलिस ने आधी रात चले ऑपरेशन के बाद श्रीसन फार्मास्युटिकल्स के मालिक और जहरीले कफ सिरप कांड के मुख्य आरोपी रंगनाथन गोविंदन को गिरफ्तार कर लिया है. अभी तक ये जानलेवा कफ सिरप 20 बच्चों की जान ले चुका है. रंगनाथन घटना के बाद से अपनी पत्नी के साथ फरार था. बुधवार तड़के लगभग 1:30 बजे चेन्नई से रंगनाथन गोविंदन को गिरफ्तार किया गया.

सटीक इनपुट्स पर कार्रवाई करते हुए एसडीओपी परासिया के नेतृत्व में मध्य प्रदेश पुलिस की एक विशेष टीम 5 अक्टूबर को चेन्नई पहुंची थी. यानी एफआईआर दर्ज होने के अगले ही दिन. इस टीम में महिला अधिकारी, साइबर विशेषज्ञ और ड्रग इंस्पेक्टर भी शामिल थे, ताकि तकनीकी पहलुओं पर तत्काल कार्रवाई की जा सके.

गिरफ्तारी के बाद रंगनाथन को कांचीपुरम स्थित श्रीसन फार्मा फैक्ट्री ले जाया गया, जहां से कई महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त किए गए. पुलिस अब चेन्नई की अदालत से ट्रांजिट रिमांड लेने की प्रक्रिया में है, जिसके बाद आरोपी को छिंदवाड़ा लाया जाएगा.

पुलिस सूत्रों के अनुसार, यह ऑपरेशन बेहद संगठित और योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दिया गया. पुलिस ने रंगनाथन के वाहनों, बैंक ट्रांजैक्शन और घर की गतिविधियों पर लगातार निगरानी रखी और फिर सटीक समय पर उसे धर दबोचा. ये गिरफ्तारी देश की सबसे भयावह दवा घोटालों में से एक के पीछे छिपे सच को उजागर करने की दिशा में अहम कदम मानी जा रही है.

बुधवार दोपहर छिंदवाड़ा पुलिस ने रंगनाथन पर 20 हजार रुपये का इनाम घोषित किया था, जिसके कुछ घंटों बाद उसकी गिरफ्तारी हो गई.

चेन्नई स्थित श्रीसन फार्मास्युटिकल्स कंपनी, जिसने ‘कोल्डरीफ' कफ सिरप बनाया था. अब जांच एजेंसियों के रडार पर है. इसी सिरप से बच्चों की मौत और कई अन्य के बीमार पड़ने की पुष्टि हुई है. प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि कंपनी 1990 में प्राइवेट लिमिटेड के रूप में पंजीकृत हुई थी, लेकिन बाद में इसे कॉर्पोरेट अफेयर्स मंत्रालय की सूची से हटा दिया गया. फिर भी यह प्रोप्राइटरी फर्म के रूप में कंपनी संचालित होती रही, जिससे नियामकीय तंत्र पर भी गंभीर सवाल उठे हैं.

कंपनी खुद को कफ सिरप, प्रोटीन पाउडर, फार्मास्युटिकल सिरप और हर्बल उत्पादों के व्यापारी के रूप में प्रस्तुत करती थी, लेकिन अब इस पर लापरवाही, मानक उल्लंघन और घातक उत्पादन प्रक्रिया के आरोप लग रहे हैं. पुलिस सूत्रों के मुताबिक, रंगनाथन की गिरफ्तारी के बाद अब जांच का दायरा और बढ़ाया जाएगा, जिसमें रासायन आपूर्तिकर्ता, स्टॉकिस्ट और मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव्स तक की जांच होगी, ताकि उस पूरी श्रृंखला का पता लगाया जा सके जिसने यह जहरीला सिरप मासूम बच्चों तक पहुंचाया.

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