Schools in MP: मध्यप्रदेश में स्कूली शिक्षा (School Education in MP) पर 7 साल में सरकार ने 80% खर्च बढ़ा दिया इसके बावजूद स्कूल बुनियादी सुविधा से जूझ रहे हैं,हालत ये हैं कि प्रदेश के 3 हज़ार 620 स्कूलों में छात्राओं के लिए अलग से शौचालय नहीं है,12 लाख से अधिक बच्चे स्कूलों में घट गए. आज भी 13198 स्कूल सिर्फ एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं. मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के खजूरी कलां स्थित एकीकृत शासकीय माध्यमिक शाला की है. 8वीं तक का ये सरकारी स्कूल मूलभूत सुविधाओं के आभाव से जूझ रहा है, छात्रों ने हमें बताया कि एक बार स्कूल की छत से एक टुकड़ा उनकी शिक्षक के सर पर गिर गया था. बारिश में छत से पानी टपकने लगता है. टॉयलेट इस्तेमाल करने लायक नहीं है, पीने के पानी के लिए भी कोई इंतजाम नहीं है. कैमरे पर तो नहीं लेकिन जिम्मेदारों ने बताया कई बार प्रशासन को बता चुके हैं, खत लिखा है लेकिन होता कुछ नहीं.
स्टूडेंट्स का क्या कहना है?
मानसी यादव नामक छात्रा का कहना है कि एक बार तो छत हमारी मैंम के ऊपर गिर गया था, ड़र लगता है कि छत गिर न जाये पढ़ाई पर फोकस नही हो पाता है. मधु यादव का कहना है कि गंदगी बहुत है सर, सब में पानी भर जाता है, खिडकियों से पानी अंदर आता है बुक्स भीग जाती हैं.
क्या कहते हैं आंकड़े?
शिक्षा मंत्रालय के UDISE की जनवरी 2025 में जारी रिपोर्ट 2023-24 के मुताबिक-
- MP में 13198 स्कूल सिर्फ एक शिक्षक के भरोसे हैं
- मध्यप्रदेश में कुल 1 लाख 23 हजार 412 स्कूल हैं
- 3 हजार 620 स्कूलों में बालिकाओं के लिए अलग टॉयलेट नहीं है
- 10 हजार 702 स्कूलों में बच्चियों के लिए बनाए गए टॉयलेट किसी के काम के नहीं
- 7 हजार 966 स्कूलों में हैंडवॉश की सुविधा नहीं है
- 7 हज़ार 422 स्कूलों में पीने के पानी की सुविधा नहीं है
स्कूलों की स्थिती दयनीय है जहां शौचालय बनाए गए, वह इस्तेमाल करने लायक नहीं है. जब ऐसी तस्वीर आप देखेंगे तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि कैसे इस शौचालय का इस्तेमाल किया जाए. चाहे वह अराजक तत्व या अन्य लोगों ने इसे खराब किया. शौचालय बना तो हुआ है लेकिन वह फंक्शनल नहीं है, इस्तेमाल करने लायक नहीं है कई बार ऐसी परिस्थितियां भी बनती हैं कि बालक बालिकाओं के लिए अलग-अलग शौचालय होने के बावजूद दोनों एक ही शौचालय का इस्तेमाल करते हैं.
बजट बढ़ा स्टूडेंट कम हो गए
मध्यप्रदेश में एक ओर सरकार ने स्कूली शिक्षा पर 7 साल में खर्च 80% तक बढ़ा दिया तो दूसरी ओर सरकारी स्कूलों में 12 लाख से अधिक बच्चे कम हो गये, कांग्रेस विधायक प्रताप ग्रेवाल के सवाल पर विधानसभा में दी गई जानकारी के मुताबिक मध्यप्रदेश के सरकारी स्कूलों में ऐसी स्थिति है.
- 2016 से 2023 -2024 तक 12 लाख 23 हज़ार 384 बच्चे कम हुए
- कक्षा 1 से 5 में 635434 बच्चे कम हुए
- कक्षा 6 से 8 में 483171 स्टूडेंट्स कम हो गए
- कक्षा 9 से 12 में 104479 बच्चे कम हुए
- स्कूल शिक्षा पर खर्च साल 2016-17 में 16226.08 करोड़ था
- इसे 80% बढ़ाकर 2023-24 में 29468.03 करोड़ कर दिया गया.
विपक्ष का क्या कहना है?
कांग्रेस विधायक प्रताप ग्रेवाल का कहना है कि प्रदेश के लिए चिंता का विषय है कि बच्चों का मोह स्कूल से क्यों खत्म हो रहा है,सरकार ने बजट बढ़ाया है बजट का पैसा कहां जा रहा है? 2016 से 23 तक 80% बजट बढ़ाया गया यह कहां जा रहा है.
बीजेपी का जवाब ये रहा
BJP प्रवक्ता अजय धवले का कहना है कि कांग्रेस प्रश्न उठा ही नहीं सकती, जिसने मध्य प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को खत्म कर दिया था, उसके शासनकाल में मध्य प्रदेश में जीरो बजट था, भारतीय जनता पार्टी की सरकार बच्चों को अच्छी शिक्षा के लिए काम कर रही है, हमने सीएम राइज राज स्कूल खोले हैं और बच्चों की बेहतरी के लिए काम करेंगे.
कागजों और सरकारी दावों से जमीन पर हकीकत अलग है जहां स्कूली शिक्षा पर सरकार ने 80 फीसदी तक खर्च बढ़ा दिया लेकिन इसके बावजूद मध्यप्रदेश के स्कूलों में बुनियादी सुविधाएं बच्चों को मुहैया नही हो पाई, तमाम जर्जर स्कूल मरम्मत मांग रहे हैं, छात्रों पर खतरा मंडरा रहा है, ऐसे में ड्रॉप आउट बच्चों की बढ़ती संख्या भी चिंता बढ़ाती है.
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