MP News: 100 करोड़ की जमीन पर उज्जैन नगर निगम को 50 साल बाद मिला कब्जा

Madhya Pradesh News: मामले में 24 साल तक सुनवाई के बाद 11 अक्टूबर को कोर्ट ने निगम के हक में फैसला देते हुए नियमानुसार कब्जा हटाने के निर्देश दे दिए थे. वहीं कब्जेधारियों का दावा है कि कोर्ट ने 17 सितंबर तक स्टे दिया था.

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50 साल के बाद मिला नगर निगम को कब्जा

Madhya Pradesh News: उज्जैन (Ujjain) के मक्सी रोड पर रविवार को नगर निगम (Nagar Nigam) ने 50 साल से कब्जाई जमीन पर बुलडोजर चलाकर कब्जा ले लिया. 100 करोड़ रुपए की कीमत वाली इस जमीन से कब्जा हटाने के दौरान यहां के व्यापारी और यहां रहने वाले लोगों ने काफी हंगामा किया, लेकिन भारी पुलिस फोर्स के कारण उनकी एक नहीं चल पाई. नगर निगम अब यहां पर बड़ा मैरिज गार्डन और परिसर बनाने की योजना बना रहा है.

कर रखा था अवैध कब्जा

दरअसल मक्सी रोड पर नगर निगम की 77600 स्क्वायर फीट जमीन है लेकिन उक्त जमीन पर करीब 50 साल से एक सामाजिक संस्था की आड़ में कुछ लोगों ने कब्जा जमा रखा था. अतिक्रमण हटाने के लिए नगर निगम 1998 से केस लड़ रहा था और हाल ही में 11 सितंबर को केस जीतने के बाद नगर निगम ने यहां पर दुकान चला रहे 28 लोगों और मकान बनाकर रह रहे 11 परिवारों को जगह खाली करने का नोटिस दिया था. इस नोटिस के बावजूद अवैध कब्जेधारी हटने को तैयार नहीं हो रहे थे.

करवा लिया कब्जा मुक्त

रविवार को निगम अफसर बुलडोजर और लाव लश्कर के साथ यहां कब्जा हटाने पहुंच गए, लेकिन लोगों ने यहां हंगामा कर दिया. विवाद की स्थिति को देखते हुए भारी फोर्स बुलवाकर नगर निगम ने अवैध अतिक्रमण पर बुलडोजर चलाकर जमीन को कब्जा मुक्त करवा लिया. 

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कोर्ट की अवमानना का आरोप

इस जमीन को साल 1943 में जे सी जाल संस्था को निर्धन छात्रों के लिए हॉस्टल बनाने के लिए लीज पर दिया गया था. संस्था के सदस्यों की मौत के बाद उनके परिजनों ने जमीन का सौदा कर दिया और कुछ हिस्सा किराए पर भी दे दिया. इसके कारण करीब एक दर्जन परिवारों ने यहां घर बना लिया और 28 लोगों ने दुकानें बना ली. जमीन का व्यवसायिक उपयोग होने पर नगर निगम ने 1998 में एक भाग को कब्जे से मुक्त कर सब्जी मंडी बना दी, लेकिन शेष लोग 1999 में कोर्ट चले गए.

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इस मामले में 24 साल तक सुनवाई के बाद 11 अक्टूबर को कोर्ट ने निगम के हक में फैसला देते हुए नियमानुसार कब्जा हटाने के निर्देश दे दिए. वहीं कब्जेधारियों का दावा है कि कोर्ट ने 17 सितंबर तक स्टे दिया था, इसके बावजूद निगम ने कार्रवाई कर दी, इसलिए अब निगम के अधिकारियों पर अवमानना का केस चलाया जाना चाहिए.

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