MP News : खाद को लेकर प्रदेश के अन्नदाताओं में मचा है हाहाकार, यहां पत्थर की भी लगी है कतार

किसानों ने आरोप लगाते हुए बताया कि 15 दिन से लगातार विभाग का चक्कर काट रहे हैं. जिम्मेदारों से संपर्क किया पर इस संबंध में जानकारी देने से जिम्मेदारों ने हाथ खड़े कर दिए. किसानों की माने तो ग्राम सेवकों द्वारा चोरी छिपे बीज बेचने की शिकायतें भी प्राप्त होती रहती थीं, वह सीधे रसूखदारों के घर पहुंच जाता है.

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Fertilizer Crisis in Madhya Pradesh : मध्य प्रदेश में बोनी के सीजन में किसानों को हर साल खाद की किल्लत का सामना करना पड़ता है. प्रदेश किसानों के लिए खाद (Fertilizer) परेशानी का सबब बन चुकी है. इस बार बोनी के सीजन में भी प्रदेश के अन्नदाता यूरिया खाद (Urea Fertilizer) के लिए खासा परेशान हो रहे हैं. शुरुआत में तो प्रशासन ने चुनाव का बहाना बनाया लेकिन अब जब वोटिंग संपन्न हो गई है उसके बाद भी खाद की किल्लत जस की तस बनी हुई है. प्रशासनिक लापरवाही के चलते किसानों को दिनभर कतार में लगने के बाद भी खाद नहीं मिल पा रही है. जहां एक ओर मध्यप्रदेश के किसान खाद के लिए परेशान हैं वहीं दूसरी ओर कालाबाजारी की शिकायत भी आ रही है. ऐसी संभावना जताई जा रही है कि आने वाले 2-3 दिनों में प्रदेश में बरसात हो सकती है, जिसके बाद फिर किसानों को खाद की जरूरत होगी लेकिन सवाल यह है कि खाद मिलेगी कैसे? मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) ने इस मामले में बैठक भी ली है, लेकिन फिलहाल इस समस्या का समाधान नजर नहीं आ रहा है.

खाद को लेकर मध्य प्रदेश के किसान चिंता में हैं

प्रदेश में बोनी की स्थिति क्या है?

प्रदेश में अब तक 81 लाख 71 हजार हेक्टयर में बोनी हो गई है, जो पिछले साल से 5.33 प्रतिशत अधिक है. वहीं विपणन संघ के 422 बिक्री केन्द्र राज्य में चल रहे हैं. विपणन सहकारी समितियां के 154 केन्द्रों से नकद में भी खाद बेची जा रही है. कतार कम करने के लिये 92 बिक्री केन्द्र शुरू किये गये हैं.

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सतना में ये खाद के लिये पहरा दे रहे हैं पत्थर

खाद की लंबी लाइन लगा-लगा कर किसान थक चुके हैं, जिसका तोड़ किसानों ने आपसी सहमति से मिलकर निकाला है. यहां के किसानों ने पत्थरों को लाइन में लगाया है. किसान सुबह पहुंचकर अपने नाम का पत्थर कतार में रख देते हैं और उसी के आधार पर अपनी बारी का इंतजार करते हैं.

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सतना में खाद के लिए लाइन में लगे पत्थर

बताया जाता है कि किसानों को दिन भर लाइन में खड़े होकर पहले दिन टोकन लेना पड़ता है और इसके बाद खाद के लिए रसीद कटवानी पड़ती है. इसी गंभीर समस्या के चलते किसानों ने आपसी सहमति से यह रास्ता अपनाया है.

यहां किसानों को एक ही सेंटर से खाद मिल पा रही है, लिहाजा जिला विपणन अधिकारी के कार्यालय के बाहर किसानों का दबाव अधिक रहता है. जिस प्रकार से नगद में खाद डीएमओ ऑफिस के बाहर से बेची जाती है, इस तरह का सिस्टम ग्रामीण क्षेत्र की सहकारी समितियां में कर दिया जाए तो काफी हद तक इस समस्या से निजात पाई जा सकती है.

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यहां के अधिकारियों का क्या कहना है?

वहीं इस मामले को लेकर कैमरे के पीछे प्रशासनिक अधिकारियों का तर्क यह है कि समितियां डिफॉल्ट हो चुकी हैं जिससे उनको नगद वितरण का अधिकार दिया जाना नियमों के अनुसार सही नहीं होगा. इन सब तर्कों और बातों के बीच जिले का अन्नदाता बेहद परेशानियों का सामना करते हुए अपने खेत बोने के लिए जरूरी खाद ले पा रहा है.

अकेले सतना जिले में रबी के मौसम में 3.75 लाख हेक्टेयर ज़मीन में बोनी होती है. यहां गेहूं 2.23 लाख हेक्टेयर, चना 65 हजार और मसूर के लिये 25 हजार हेक्टेयर में बोनी होगी. विभाग कहता है डबल और सिंगल लॉक में यूरिया का 4 हजार 713 मीट्रिक टन स्टॉक वितरण के लिए उपलब्ध है, वहीं डीएपी का स्टॉक 2 हजार 129 मीट्रिक टन है. लेकिन हकीकत यहां की कतारें बता रही हैं.

इंदौर में भी किसान यूरिया को लेकर परेशान

 प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में भी किसान यूरिया को लेकर परेशान हो रहे हैं. यहां सोनवाय गांव के किसान सुंदर दांगी का कहना है कि सुबह 7 बजे से खड़े हैं खाद नहीं मिल रही है, हम लगातार खाद की मांग कर रहे हैं, लेकिन हमें पर्याप्त खाद नहीं दी जा रही है. मैं 40 बीघा में किसानी करता हूं लेकिन ये हमें 10 बोरी खाद दे रहे हैं. इतनी खाद में हमारा कुछ भी नहीं होगा. वहीं बिचोली मरदाना गांव के किसान रामगोपाल पटेल का कहना है कि हमारे यहां खाद की पूर्ति नहीं हो पा रही है, हमें काम खाद मिल रही है, कई दिनों से हम खाद के लिए परेशान हो रहे हैं.

गोदाम प्रभारी संदीप जाट का कहना है कि हमारे यहां खाद की पर्याप्त व्यवस्था है. हम किसानों को खाद उपलब्ध करा रहे हैं. फिलहाल एक किसान को एक एकड़ पर एक बोरी खाद दे रहे हैं, जब एक पानी हो जाएगा तो फिर दूसरी बोरी भी दे देंगे. किसी किसान के पास 20 एकड़ है तो हम उसको 20 बोरी दे रहे हैं.

दतिया में खाद ना मिलने से परेशान किसानों ने लगाया जाम

दतिया में खाद न मिलने से किसानों ने लगाया जाम

दतिया के कृषि उपज मंडी के बाहर किसानों ने खाद न मिलने के कारण जाम लगा दिया. किसानों ने तकरीबन आधे घंटे तक रोड जाम रखा. हालांकि अधिकारियों की समझाइश के बाद किसानों ने जाम खोल दिया. बताया गया है कि दतिया में खाद की रैक ना आने के कारण खाद की आपूर्ति प्रभावित हो गई है, जिस कारण से किसानों को खाद नहीं मिल पा रही है. अधिकारियों ने बताया जल्द ही खाद की रैक दतिया में आने वाली है. जिससे खाद न मिलने की समस्या से निजात मिलेगा.

एक तरफ मारामारी तो दूसरी ओर कालाबाजारी

एक ओर जहां प्रदेश के किसान एक-एक बोरी खाद के लिए जूझ रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर कुछ मुनाफाखोर खाद का अवैध भंडारण कर औने-पौने दामों पर खाद बेचने में जुटे हुए हैं. ऐसा ही एक मामला छतरपुर में देखने को मिला. यहां जिला प्रशासन जिला मुख्यालय के पास ही ग्राम हमा के नजदीक कार्यवाही की है. जहां बड़ी मात्रा में खाद का भंडार मिला, जिसे जब्त करते हुए संबं​धित भवन को सील कर दिया गया है.

छतरपुर में खाद की कालाबाजारी करने वालों पर हुई कार्रवाई

प्राप्त जानकारी के मुताबिक ग्राम हमा के पास बने एक मकान में अवैध रूप से खाद का भंडारण किया गया था. मुखबिर के माध्यम से सूचना मिलने के बाद छतरपुर सीएसपी अमन मिश्रा ने ओरछा रोड थाना पुलिस और कृ​षि विभाग के अ​धिकारियों के साथ संबं​धित स्थान पर दबिश दी. कार्यवाही करने पहुंची टीम को मौके पर 60 बोरी जिप्सम कंपनी की खाद मिली, जिसे जब्त कर लिया गया है. इसके साथ ही जिस भवन में खाद का भंडारण किया गया था उसे भवन को भी सील कर दिया गया है.

सीएसपी अमन मिश्रा ने बताया कि जिला प्रशासन जिले के किसानों को खाद उपलब्ध कराने के हर संभव प्रयास कर रहा है और इस तरह से खाद का भंडारण करने वालों पर कार्यवाही की जा रही है।

नईगढ़ी कृषि कार्यालय में लटका है ताला

रीवा के नईगढ़ी में अधिकारियों और कर्मियों की लापरवाही के कारण कृषि कार्यालय आए दिन बंद रहता है. इससे कार्यालय आने वाले किसानों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है. आए दिन नईगढ़ी कृषि कार्यालय पर ताला लगा रहता है. खाद वितरण को लेकर भी कृषि कार्यालय नईगढ़ी में किसानों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ा था लेकिन कर्मचारी आंखें बंद कर सो रहे है.

नईगढ़ी के कार्यालय में लगा है ताला

यहां किसानो को सरकार की योजनाओं से वंचित रखा जा रहा है, कार्यालय में अधिकतर समय ताला लगा रहता है. जब कभी खुलता भी है, तो जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारी गायब मिलते हैं.

किसानों ने आरोप लगाते हुए बताया कि 15 दिन से लगातार विभाग का चक्कर काट रहे हैं. जिम्मेदारों से संपर्क किया पर इस संबंध में जानकारी देने से जिम्मेदारों ने हाथ खड़े कर दिए. किसानों की माने तो ग्राम सेवकों द्वारा चोरी छिपे बीज बेचने की शिकायतें भी प्राप्त होती रहती थीं, वह सीधे रसूखदारों के घर पहुंच जाता है.

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