मातृभाषा में परीक्षा देकर टॉप करने वाले स्टूडेंट्स को मिलेगा 'मातृभाषा रत्न' सम्मान, मिलेंगे इतने लाख रुपये

Matribhasha Ratna award: मध्य प्रदेश मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी ने मातृभाषा हिंदी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है. अब यूनिवर्सिटी से संबद्ध मेडिकल और डेंटल कॉलेजों के छात्रों को हिंदी में परीक्षा देकर टॉप करने पर विशेष पुरस्कार और सम्मान प्रदान किया जाएगा. इस पहल के तहत "मातृभाषा रत्न" की उपाधि से सम्मानित किया जाएगा और विजेता को 2 लाख रुपये नकद पुरस्कार मिलेगा.

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सांकेतिक तस्वीर

MP News: मध्य प्रदेश मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी ने मातृभाषा हिंदी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है. अब यूनिवर्सिटी से संबद्ध मेडिकल और डेंटल कॉलेजों के छात्रों को हिंदी में परीक्षा देकर टॉप करने पर विशेष पुरस्कार और सम्मान प्रदान किया जाएगा. इस पहल के तहत "मातृभाषा रत्न" की उपाधि से सम्मानित किया जाएगा और विजेता को 2 लाख रुपये नकद पुरस्कार मिलेगा. 

मिलेंगे ये पुरस्कार

पूर्ण स्नातक पाठ्यक्रम की मेरिट सूची में—

प्रथम स्थान: 2 लाख रुपये (मातृभाषा रत्न)

द्वितीय स्थान: 1.5 लाख रुपये (मातृभाषा विश्लेषण)

तृतीय स्थान: 1 लाख रुपये (मातृभाषा बोध)

चतुर्थ स्थान: 75 हजार रुपये (मातृभाषा दृष्टि)

पंचम स्थान: 50 हजार रुपये (मातृभाषा श्रवण)


प्रत्येक वर्ष की मेरिट सूची में-

प्रथम स्थान: 1 लाख रुपये

द्वितीय स्थान: 75 हजार रुपये

तृतीय स्थान: 50 हजार रुपये

चतुर्थ स्थान: 25 हजार रुपये

यह पुरस्कार केवल उन छात्रों को मिलेगा जो मेडिकल या डेंटल की परीक्षाएं हिंदी में देकर टॉप करेंगे. अंग्रेजी और हिंदी दोनों में संयुक्त मेरिट सूची बनाई जाएगी, जिसमें हिंदी माध्यम से परीक्षा देकर शीर्ष स्थान लाने वाले छात्र-छात्राओं को चयनित किया जाएगा.

2025-26 सत्र से होगा लागू

यह योजना सत्र 2025-26 से प्रभाव में लाई जाएगी और प्रतिवर्ष इन पुरस्कारों का वितरण किया जाएगा. यह पहल मेडिकल शिक्षा में मातृभाषा के उपयोग को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है. 

क्या है उद्देश्य? 

इस योजना का उद्देश्य छात्रों को मातृभाषा में पढ़ाई और परीक्षा देने के लिए प्रोत्साहित करना है, जिससे वे बेहतर तरीके से विषय को समझ सकें और आत्मविश्वास से आगे बढ़ सकें. यह निर्णय न केवल शिक्षा में समावेशिता को बढ़ावा देगा बल्कि मातृभाषा को सम्मान देने की दिशा में एक प्रेरणादायक कदम है. 

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