'लिव-इन' पार्टनर से दुष्कर्म के आरोप से शादीशुदा व्यक्ति हुआ बरी, कोर्ट ने इस आधार पर दिया फैसला

MP News: इंदौर की जिला अदालत ने 'लिव-इन' पार्टनर से दुष्कर्म और जबरन गर्भपात मामले शादीशुदा व्यक्ति को आरोपों से बरी कर दिया है. अदालत ने लिव इन कपल के बीच हुए एग्रीमेंट को आधार मानते हुए यह फैसला सुनाया है.

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प्रतीकात्मक फोटो

Verdict on Live-in Partner Rape Case: इंदौर की जिला अदालत (District Court Indore) ने 34 वर्षीय व्यक्ति को अपनी 'लिव-इन' जोड़ीदार से दुष्कर्म (Rape), जबरन गर्भपात (Forced Abortion) और जान से मारने की धमकी देने के आरोपों से बरी कर दिया है. अभियोजन पक्ष के एक अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी. खास बात यह है कि दोषमुक्ति में एक अनुबंध इस विवाहित व्यक्ति का मददगार साबित हुआ, जिसमें 29 वर्षीय महिला ने इस बात पर सहमति जताई थी कि वह सात दिन उसके साथ और सात दिन अपनी पत्नी के साथ बारी-बारी से रहेगा.

अधिकारी ने बताया कि महिला ने इस व्यक्ति के खिलाफ शहर के भंवरकुआं पुलिस थाने (Indore Police) में 27 जुलाई 2021 को प्राथमिकी दर्ज कराई थी कि उसने शादी का झांसा देकर उसके साथ बार-बार बलात्कार किया, जबरन गोलियां खिलाकर उसका गर्भपात कराया और उसे जान से मारने की धमकी भी दी.

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एग्रीमेंट की वजह से कोर्ट ने किया दोषमुक्त

अपर सत्र न्यायाधीश जयदीप सिंह ने तथ्यों और सबूतों पर गौर करने के बाद इस व्यक्ति को भारतीय दंड विधान की धारा 376 (दो) (एन) (महिला से बार-बार बलात्कार), धारा 313 (स्त्री की सहमति के बिना उसका गर्भपात कराना) और धारा 506 (धमकाना) के आरोपों से 25 अप्रैल को बरी कर दिया. अदालत ने अपने फैसले में रेखांकित किया कि प्राथमिकी दर्ज कराने वाली महिला ने इस व्यक्ति के साथ 15 जून 2021 को बाकायदा अनुबंध किया था जिसमें साफ लिखा गया था कि आरोपी पहले से शादीशुदा है और वह एक हफ्ते उसके साथ और एक हफ्ते अपनी पत्नी के साथ बारी-बारी से रहेगा. अनुबंध में यह भी लिखा गया था कि महिला और इस व्यक्ति के बीच पिछले दो साल से प्रेम संबंध है.

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कोर्ट ने फैसले में क्या कहा?

अपर सत्र न्यायाधीश ने कहा कि इस अनुबंध से स्पष्ट है कि 'लिव-इन' संबंध (किसी जोड़े का बिना शादी के साथ रहना) में रहने के दौरान महिला और इस व्यक्ति ने आपसी सहमति से शारीरिक रिश्ते बनाए थे और यह शख्स पहले से शादीशुदा होने के कारण उसके साथ विवाह करने की स्थिति में नहीं था. अदालत ने इस व्यक्ति को आरोपों से बरी करते हुए कहा, ‘‘ऐसी स्थिति में इस व्यक्ति को बलात्कार और जबरन गर्भपात का दोषी नहीं ठहराया जा सकता. जहां तक (शिकायतकर्ता महिला को) जान से मारने की धमकी दिए जाने का संबंध है, इस सिलसिले में रिकॉर्ड पर विश्वसनीय सबूत मौजूद नहीं हैं.''

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आपको बता दें कि महिला के दर्ज कराए गए मामले में इस व्यक्ति को 15 अगस्त 2021 को गिरफ्तार किया गया था और दो मार्च 2022 को जमानत पर रिहा होने से पहले वह 200 दिन तक न्यायिक हिरासत के तहत जेल में रहा था.

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