एमपी में बढ़ रही है रेत पर रार, अब आदिवासी मांझी सरकार सेना ने मांगा हक, खनिज इंस्पेक्टर से झूमाझटकी

जहां एक ओर पेसा एक्ट (PESA Act) के अंतर्गत मध्य प्रदेश सरकार ने आदिवासियों (Tribes) को गांव के संसाधनों पर पहला हक दिया है. वहीं दूसरी ओर मांझी सरकार की मांग को अनदेखा कर सरकार ने जिले की सभी रेत खदानों को 27 करोड़ 27 लाख रुपये में नीलाम कर दिया था. अब बैतूल जिले के हजारों सैनिकों ने जिले की 47 रेत खदानों पर मालिकाना हक की मांग की है.

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बैतूल:

Madhya Pradesh News : मध्य प्रदेश में रेत को लेकर इन दिनों कई जगहों से झगड़े की खबरें आ रही है. कुछ दिनों पहले ही मध्य प्रदेश के शहडोल जिले में अवैध खनन रोकने गए पटवारी को  रेत माफिया ने ट्रैक्टर से कुचल दिया,  जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई. वहीं, रेत माफिया ट्रैक्टर लेकर फरार हो गए थे. ये मामला अभी शांत नहीं हुआ था कि बैतूल जिसे से खनिज इंस्पेक्टर (Mining Inspector) के साथ झूमा-झटकी का मामला सामने आया है. इसको लेकर ने खनिज इंस्पेक्टर ने चोपना थाने में मामला भी दर्ज करा दिया है. 

पहले जानिए क्या है मामला?

प्रदेश के साथ-साथ बैतूल जिले में भी रेत पर तकरार शुरू हो गई है, जिले के सबसे बड़े आदिवासी संघठन कंगला मांझी सरकार ने जिले के अधिकारियों से रेत पर अपना हक मांगा है. दरअसल जहां एक ओर पेसा एक्ट (PESA Act) के अंतर्गत मध्य प्रदेश सरकार (Madhya Pradesh Government) ने आदिवासियों (Tribes) को गांव (Tribal Village) के संसाधनों पर पहला हक दिया है. वहीं दूसरी ओर मांझी सरकार की मांग को अनदेखा कर सरकार ने जिले की सभी रेत खदानों को 27 करोड़ 27 लाख रुपये में नीलाम कर दिया था. अब बैतूल जिले के हजारों सैनिकों ने जिले की 47 रेत खदानों पर मालिकाना हक की मांग की है. 

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रेत ठेकेदार जब गुवाड़ी रेत खदान पर खनन की तैयारी कर रहे थे, तभी मांझी सरकार सैनिकों ने अड़ंगे लगाने शुरु कर दिये और रेत से लदे वाहनों को रोक लिया. इसके बाद शाहपुर पुलिस और खनिज इंस्पेक्टर भगवंत नागवंशी माझी सरकार सैनिकों को समझाने गए तो उनके साथ मांझी सरकार के सैनिकों ने झूमा-झटकी की, जिसकी शिकायत खनिज इंस्पेक्टर ने चोपना थाने में की है.

अब जानिए सरकार ने क्या है?

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मध्य प्रदेश जनसंपर्क विभाग ने अपने सोशल मीडिया हैंडल में पेसा एक्ट से जुड़ा एक पोस्ट शेयर किया था. इस पोस्ट में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) के बयान के दर्शाया गया है जिसमें लिखा है "गांव में रेत, मिट्टी, गिट्टी, पत्थर की खदानों पर पहला हक जनजातीय ग्रामसभा का होगा. खदानों पर दूसरा अधिकार जनजातीय बहनों का होगा अगर वे लेना चाहेंगी तो उसके बाद ही निविदाएं बुलाई जाएंगी."

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