MP News : अतिथि विद्वानों की नियुक्ति के मामले में सरकार को बड़ा झटका, हाईकोर्ट ने निरस्त की लिस्ट

MP Latest News : एडवोकेट समाधिया के अनुसार बहस के दौरान उच्च न्यायालय का इस बात पर ध्यान आकृष्ट किया गया कि जो विद्वान पहले से अतिथि विद्वान के रूप से कार्य के रूप में कार्यरत हैं, नियमानुसार उन्हें प्राथमिकता देनी चाहिए थी. लेकिन उनके हितों को अनदेखा करते हुए एकदम नए ढंग से अतिथि विद्वानों की भर्ती करना उच्च शिक्षा विभाग का मनमाना और अवैध निर्णय है.

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Madhya Pradesh News : हाईकोर्ट (High Court) ने मध्यप्रदेश सरकार (Madhya Pradesh Government) को बड़ा झटका देते हुए अतिथि विद्वानों (Guest Faculty) की नियुक्ति वाली सूची को रद्द करने का फैसला सुनाया है. कोर्ट के इस आदेश से लंबे समय से प्रदेश में आंदोलनरत अतिथि विद्वानों को बड़ी राहत मिली है. 

इसलिए दायर की गई याचिका

राज्य सरकार के उच्च शिक्षा विभाग (MP Higher Education Department) द्वारा अतिथि विद्वानों की एक चयन सूची नियुक्ति के लिए जारी की थी. जिसमे पहले से कार्यरत अतिथि विद्वानों के हितों का कोई ख्याल नही रखा गया था. इसके खिलाफ अतिथि विद्वान राकेश सिंह जाटव द्वारा हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ (Gwalior bench of High Court) में एक याचिका दायर कर इस सूची को रद्द करने की अपील की थी.

क्या था अतिथि विद्वानों का पक्ष?

याचिकाकर्ता राकेश सिंह जाटव के वकील गौरव समाधिया ने बताया कि उच्च शिक्षा विभाग ने अतिथि विद्वानों से आवेदन आमंत्रित किये थे. इसके बाद एक नियुक्ति सूची जारी कर दी. विभाग ने कोर्ट को बताया कि सूची में कुछ पूर्व से कार्यरत अतिथि विद्वानों को शामिल किया है जबकि इसमें पूर्व से कार्यरत सभी अतिथि विद्वानों को शामिल किया जाना चाहिए था.  सरकार के इस कृत्य को 17 दिसम्बर 2019 के प्रावधानों के विपरीत बताते हुए याचिका दायर की गई. 

पहले से कार्यरत विद्वानों का विरोध

एडवोकेट समाधिया के अनुसार बहस के दौरान उच्च न्यायालय का इस बात पर ध्यान आकृष्ट किया गया कि जो विद्वान पहले से अतिथि विद्वान के रूप से कार्य के रूप में कार्यरत हैं, नियमानुसार उन्हें प्राथमिकता देनी चाहिए थी. लेकिन उनके हितों को अनदेखा करते हुए एकदम नए ढंग से अतिथि विद्वानों की भर्ती करना उच्च शिक्षा विभाग का मनमाना और अवैध निर्णय है.

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कोर्ट ने सूची को किया रद्द 

इस याचिका पर एमपी हाईकोर्ट (Madhya Pradesh High Court) की ग्वालियर खंडपीठ ने बड़ा निर्णय सुनाते हुए विभाग द्वारा प्रस्तुत की गई पूरी सूची को ही निरस्त कर दिया. अपने आदेश में हाईकोर्ट ने अपने निर्णय में यह भी स्पष्ट किया कि यदि वर्तमान में कॉलेजों में अतिथि विद्वानों के पद रिक्त हों तो याचिकाकर्ता को नियुक्ति प्रदान की जाए और अगर रिक्त न हो तो अगले शैक्षणिक सत्र में नियुक्ति के समय याचिकाकर्ता को प्राथमिकता दी जाए. हालांकि कोर्ट ने पद खाली होने पर नए अतिथि विद्वानों को भी नियुक्त करने को कहा है.

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